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दुनिया का सबसे खतरनाक पौधा, छूने के बाद सुसाइड करने को मजबूर हो जाते हैं लोग!

By, बैतूल वार्ता

दुनिया का सबसे खतरनाक पौधा, छूने के बाद सुसाइड करने को मजबूर हो जाते हैं लोग!
प्रकृति के कई रंग हैं। जहां प्रकृति का सौम्य रूप सबको अपनी ओर आकर्षित करता है तो इसका रौद्र रूप देखकर लोगों की रूह कांप जाती है। इसके साथ ही प्रकृति खुद में कई रहस्यों को समेटे हुए हैं।
जंगलों में कई खूबसूरत दिखने वाले पौधे बहुत खतरनाक भी हो सकते हैं हम आपको एक ऐसे ही पौधे के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सांप से भी ज्यादा जहरीला और खतरनाक है। सिर्फ इसे छूने मात्र से लोगों को इतनी असहनीय पीड़ा होती है कि लोगों को सुसाइड करने का मन करता है। इसको छूने वाले कई लोगों ने तो खुद को गोली मार ली। इस पौधे का नाम जिम्पई है।

रिसर्च करने गई थी वैज्ञानिक लेकिन
कुछ साल पहले मरिना हर्ले नाम की एक वैज्ञानिक ऑस्ट्रेलियाई वर्षावनों पर शोध कर रही थीं। वैज्ञानिक होने के नाते वे जानती थीं कि जंगलों में कई खतरे होते हैं। यहां तक कि पेड़-पौधे भी जहरीले हो सकते हैं। इससे बचने के लिए उन्होंने हाथों में वेल्डिंग ग्लव्स और बॉडी सूट पहना हुआ था। अलग लगने वाले तमाम पेड़-पौधों के बीच वे एक नए पौधे के संपर्क में आईं। वेल्डिंग ग्लव्स पहने हुए ही उन्होंने उसकी स्टडी करनी चाही, लेकिन ये कोशिश भारी पड़ गईं।

वैज्ञानिक की हो गई ऐसी हालत
जैसे ही हर्ले ने उस पौधे को छुआ तो उनका दर्द से हाल बेहाल हो गया। वह अस्पताल पहुंची तो उनका सारा शरीर लाल पड़ चुका था और वह जलन से चीख रही थीं। मरिन को ठीक होने में काफी समय लगा और उन्हें लंबे वक्त तक अस्पताल में स्टेरॉयड लेकर रहना पड़ा। बाद में डिस्कवरी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि ये दर्द वैसा ही था, जैसे किसी को बिजली का झटका देते हुए ऊपर से एसिड उड़ेल दिया जाए।

मौत का दूसरा नाम
जिम्पई नाम का यह खतरनाक पौधा मौत का दूसरा नाम है। इस पौधे को सबसे पहले साल 1866 में रिपोर्ट किया गया था। इस दौरान जंगलों से गुजर रहे कई जानवर, खासकर घोड़ों की भयंकर दर्द से मौत होने लगी। जांच में पता लगा कि सब एक ही रास्ते से गुजर रहे थे और एक जैसे पौधों के संपर्क में आए थे। वहीं दूसरे विश्व युद्ध के दौरान कई आर्मी अफसर भी इसका शिकार हुए और कईयों ने दर्द से बेहाल खुद को गोली मार ली। इसके बाद से ही इसपर ज्यादा ध्यान गया। इस पौधे को सुसाइड प्लांट भी कहा जाता है। इस पौधे को कई और नाम से भी जाना जाता है जैसे जिम्पई स्टिंगर, स्टिंगिंग ब्रश और मूनलाइटर। ऑस्ट्रेलिया के अलावा ये मोलक्कस और इंडोनेशिया में भी मिलता है।

न्यूरोटॉक्सिन जहर से भरा पौधा
दिखने में ये पौधा बिल्कुल सामान्य पौधे जैसा है, जिसकी पत्तियां हार्ट के आकार की होती हैं और पौधे की ऊंचाई 3 से 15 फीट तक हो सकती है। रोएं की तरह बारीक लगने वाले कांटों से भरे इस पौधे में न्यूरोटॉक्सिन जहर होता है, जो कांटों के जरिए शरीर के भीतर पहुंच जाता है। न्यूरोटॉक्सिन जहर सीधे सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर असर डालता है। इससे मौत भी हो सकती है। कांटा लगने के लगभग आधे घंटे बाद दर्द की तीव्रता बढ़ने लगती है जो लगातार बढ़ती ही जाती है अगर जल्दी इलाज न मिले।

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