अयोध्या: कौन हैं अनिल मिश्रा जो बने
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए यजमान
20 जनवरी 2024
16 जनवरी से प्राण प्रतिष्ठा की पद्धति के हिसाब से अयोध्या में राम मंदिर में पूजा का सिलसिला शुरू हो गया है. इस पूजा समारोह का समापन 22 जनवरी को होगा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें शामिल होंगे.
इस पूरे पूजा समारोह में ट्रस्ट के सदस्य और संघ के पुराने स्वयंसेवक डॉक्टर अनिल मिश्रा यजमान की ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं..
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ऑफिस इंचार्ज प्रकाश गुप्ता बताते हैं कि प्राण प्रतिष्ठा के लिए सात दिन पूजा का विधान है, तो फिर सात दिन किसी न किसी को बैठ कर पूजा करनी है.
वो कहते हैं, “डॉक्टर अनिल मिश्रा को यजमान के तौर पर चुनने के पीछे दो कारण थे – एक तो वो मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं और दूसरा कि वो अयोध्या में उपलब्ध हैं. हमारे तमाम अन्य ट्रस्टी साधु संत हैं. इसलिए डॉक्टर अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी को चुना गया.”
वो कहते हैं, “प्रधानमंत्री मोदी आख़िरी दिन आएंगे, तो पहले दिन से आख़िरी दिन तक किसी को बैठ कर पूरी पूजा करने का दायित्व निभाना होगा. विधान के अनुसार किसी को यजमान बन कर पूजा पाठ करने की ज़िम्मेदारी निभानी पड़ेगी. इसीलिए डॉक्टर अनिल मिश्रा को यजमान बना दिया गया और वो सात दिन तक लगातार पूजा करेंगे और समापन प्रधानमंत्री मोदी करेंगे. और जब अनिल मिश्रा यजमान बन कर सातों दिन पूजा कर रहे हैं तो आख़िरी दिन भी वह पूजा में शामिल होंगे.”
22 जनवरी के कार्यक्रम के बारे में प्रकाश गुप्ता कहते हैं, “समापन वाली पूजा 22 जनवरी को सुबह से ही शुरू हो जाएगी, और उस दिन मोदी जी आख़िरी पूजा करेंगे.वो अन्य रीति रिवाजों के साथ-साथ आरती करेंगे और फिर पूजा का समापन हो जायेगा. वो आधे घंटे का कार्यक्रम होगा.”
संघ के पुराने स्वयंसेवक और कार्यवाह
अनिल मिश्रा को क़रीब से जानने वाले और उनके साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से दशकों से जुड़े उनके एक साथी बीबीसी को बताते हैं कि अयोध्या में आरएसएस कार्यालय के अधिकतर लोग डॉक्टर अनिल मिश्रा को एक आदर्श स्वयंसेवक के रूप में देखते हैं.
पहले अनिल मिश्रा आरएसएस के ज़िला कार्यवाह के पद पर काम रहे थे. संघ के ढांचे में यह एक ज़िले के नज़रिये से अहम भूमिका होती है. ख़ास तौर से अयोध्या जैसे ज़िले के लिए.
तो अयोध्या में आरएसएस की अधिकतर गतिविधियां, जैसे विजय दशमी, मकर संक्रांति, रक्षा बंधन, अनिल मिश्रा जैसे ज़िला कार्यवाह के संरक्षण में ही चलती थीं.
आरएसएस के ज़िला कार्यवाह बनाने के बाद वो विभाग कार्यवाह बने और उसके बाद उन्हें अयोध्या प्रान्त का प्रांत कार्यवाह बनाया गया.
आरएसएस के पदाधिकारी कहते हैं कि अनिल मिश्रा के प्रांत कार्यवाह रहते रहते अयोध्या में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद के विवाद का फैसला आया. फैसला आने के बाद केंद्र सरकार ने जब राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बनाया तो डॉक्टर अनिल मिश्रा को ट्रस्ट का एक ट्रस्टी बनाया गया.
अयोध्या में जिन स्वयंसेवकों से हमारी बात हुई उनके मुताबिक संघ नेतृत्व की नज़र में अनिल मिश्रा को संघ के कामों में कर्मठ, ईमानदार और ज़िम्मेदार स्वयंसेवक के रूप में देखा जाता है.
डॉक्टर अनिल मिश्रा को क़रीब से जानने वाले एक स्वयंसेवक बताते हैं कि डॉक्टर मिश्रा ने राम जन्मभूमि आंदोलन में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था.
स्वयंसेवक बताते हैं कि स्वभाव से डॉक्टर अनिल मिश्रा सौम्य हैं, गंभीर हैं और संगठन की दृष्टि से सोच समझ कर अपना काम करते हैं.
सरकारी डॉक्टर रहते हुए संघ की ज़िम्मेदारियों को निभाया
अनिल मिश्रा सरकारी होमियोपैथी डॉक्टर थे. उन्हें क़रीब से जानने वाले लोग कहते हैं कि अमूमन आरएसएस ज़िला कार्यवाह उन ही लोगों को बनाती है जो गृहस्थ जीवन से होते हैं और किसी व्यवसाय में होते हैं.
कार्यालय में मौजूद आरएसएस के स्वयंसेवक बताते हैं संघ उन्हें सिखाता है कि किसी पदाधिकारी को अपने पेशे में कोई ढिलाई नहीं होनी चाहिए और उसी के साथ साथ संघ की ज़िम्मेदारियाँ भी निभानी हैं. स्वयंसेवकों के मुताबिक़ डॉ अनिल मिश्रा भी होमियोपैथी के सरकारी डॉक्टर रहते हुए इसी कार्यशैली को निभाते थे.
डॉक्टर अनिल मिश्रा का परिवार गोंडा ज़िले के महबूबपुर गाँव का रहने वाला है, और सरकारी डॉक्टर होने की वजह से उनकी तैनाती अयोध्या और उसके आस पास के ज़िलों में ही रहते थी.
डॉ अनिल मिश्रा 2017 में रिटायर हो गए और उसके बाद उनकी संघ में भूमिका और ज़िम्मेदारियाँ बढ़ गईं और उन्हें प्रांत कार्यवाह बनाया गया.
रिटायर होने के बाद डॉक्टर अनिल मिश्रा की अयोध्या के रकाबगंज में एक डिस्पेंसरी भी थी जहाँ पर वो बैठा करते थे. लेकिन जब से वो राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी बने हैं तो उसी में व्यस्त रहते है.
अयोध्या आरएसएस से पुराना रिश्ता
कृष्ण चंद्र अयोध्या में आरएसएस कार्यालय प्रभारी हैं. राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी बनने के पहले डॉक्टर अनिल मिश्रा इसी कार्यालय से संघ का अयोध्या में काम देखते थे.
कृष्ण चंद्र कहते हैं, “जब से डॉक्टर अनिल मिश्रा ट्रस्ट के ट्रस्टी बने हैं तो उनका पूरा समय अब ट्रस्ट के काम में जाता है.”
कृष्ण चंद्र भी इस बात को दोहराते हैं कि डॉ अनिल मिश्र ने राम मंदिर आंदोलन में कार सेवा भी की.