एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय शाहपुर जिम्मेदारों के लिए बना कुबेर का खजाना करोड़ों के बजट को ठिकाने लगाने नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां, कलेक्टर से हुई शिकायत
By, बैतूल वार्ता
एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय शाहपुर जिम्मेदारों के लिए बना कुबेर का खजाना
करोड़ों के बजट को ठिकाने लगाने नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां, कलेक्टर से हुई शिकायत
बैतूल। शासकीय राजस्व को ठिकाने कैसे लगाया जाता है। इसका उदाहरण तब देखने को मिला जब एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय शाहपुर में छात्रावास संचालन के लिए दिये गए करोड़ो रुपयों की बन्दर बांट की शिकायत कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी से की गई। मय सबूत की गई शिकायत में आवासीय विद्यालय के प्राचार्य एसके डोनिवाल पर आरोप लगाया गया है कि आवासीय विद्यालय के संचालन के लिए शासन द्वारा दिये जाने वाले लगभग 6 करोड़ के बजट को ठिकाने लगाने के लिए नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कई फर्मे ऐसी है जिनसे लाखों रुपये की सामग्री की खरीदी कर ली गयी लेकिन यह सामग्री आवासीय विद्यालय पहुंची या नहीं इसका प्रमाण सिर्फ सम्बन्धित फर्म द्वारा दिया गया बिल ही है। सामग्री आवासीय विद्यालय परिसर तक सप्लाई हुई भी है या नहीं इस सवाल का जवाब तब ही मिल पायेगा जब कलेक्टर इस फर्जी वाड़े की जांच करवाएंगे। जानकारों का भी मानना है कि आवासीय विद्यालय के इस मामले की जांच यदि सूक्ष्मता से कराई जाती है तो इस विभाग से जुड़े कई अधिकारियों की पर्दे के पीछे खेला जाने वाला काला खेल उजागर हो जाएगा।
— एक ही फर्म से कई बार कर डाली खरीदी–
शिकायत कर्ता पत्रकार वामन पोटे ने आवासीय विद्यालय के सम्पूर्ण स्टाफ पर आरोप लगाते हुए शिकायत में बताया कि विद्यालय संचालन के लिए शासन द्वारा दी जाने वाली करोड़ों रुपये की राशि में भारी फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। नियम ये है कि एक फर्म से साल में 5 बार खरीदी किये जाने का प्रावधान है लेकिन प्राचार्य और प्रबन्धन ने मिलकर इस नियम को दरकिनार करते हुए एक ही फार्म कई बार खरीदी कर डाली और लाखों रुपयों का भुगतान भी किया गया है। इस प्रकार कई ऐसी भी फर्मों के प्रमाण मौजूद हैं जिनसे कई दफे खरीदी की गई है। सम्बन्धित सामग्री किस प्रयोजन से खरीदी गई है। सामग्री का उपयोग विद्यालय परिसर में किया गया है या नहीं। या फिर केवल बिल लेकर राशि का भुगतान कर दिया गया यह सब जांच का विषय है।
— एक बच्चे पर खर्च करने हैं 1 लाख 5 हजार रुपये–
शिकायतकर्ता के मुताबिक उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत निकाली गई जानकारी में यह पाया है कि, आवासीय विद्यालय परिसर के संचालन को लेकर शासकीय धन का स्वहित साधने में भी उपयोग किया जा रहा है। सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त किये गए दस्तावेज खुद बता रहे हैं कि प्रबन्धन द्वारा लाखों रुपयों की कई खरीदी ऐसी की गई हैं जिनका कोई ओचित्य नहीं है। इस आवासीय विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या लगभग 450 है। शासन द्वारा इन विद्यार्थियों के रहने खाने पीने, पुस्तक कॉपी पेन से लेकर कई उपयोगी सामग्री की खरीदी के लिए सालाना लगभग 6करोड़ रुपये का बजट दिया जाता है। एक बच्चे पर कुल 1 लाख 5 हजार रुपये खर्च किये जाने के निर्देश हैं। लेकिन क्या इतनी राशि बच्चों पर खर्च की जा रही है या नहीं यह जांच का विषय है। शिकायत कर्ता का कहना है कि यदि मामले की गम्भीरता से जांच कराई जाए तो जनजातीय कार्य विभाग के अंतर्गत बड़े फर्जी वाड़े का खुलासा हो सकता है।जिसमे विभाग से जुड़े कई बड़े अधिकारी नप सकते हैं।
— हीमोग्लोबिन की कमी से एक छात्रा की हो चुकी है मौत–
करोड़ों के बजट वाले एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों पर शासन करोड़ों रुपये सिर्फ इसलिए खर्च कर रहा है कि इस विद्यालय में पढ़ने वाले प्रतिभावान विद्यार्थी एक मुकाम हासिल कर सकें। परिसर में ही रहने वाले विद्यार्थियों के स्वास्थ्य को दृष्टिगत रखते हुए इन्हें दोनो टाइम पौष्टिक भोजन दिए जाने के भी प्रावधान किए गए हैं। लेकिन सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या इन विद्यार्थियों को पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है या नहीं। इसके जवाब में शिकायत कर्ता का कहना है कि विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को यदि पौष्टिक भोजन दिया जाता तो हीमोग्लोबिन की कमी से इसी विद्यालय में पढ़ने वाली एक छात्रा की मौत नहीं होती। भीमपुर विकासखण्ड के ग्राम झापल में रहने वाली एक छात्रा ने मई 2023 में इसी विद्यालय में एडमिशन लिया था। नवम्बर माह में उसका स्वास्थ्य खराब होने के चलते प्रबन्धन द्वारा उसे उसके घर भेज दिया गया था। करीब 20 से 25 दिन पूर्व उक्त छात्रा कि मौत हीमोग्लोबिन की कमी के चलते हो गयी। सवाल ये खड़ा हो रहा है कि जब आवासीय विद्यालय परिसर में रहने वाले बच्चों पर इतना पैसा खर्च कर इन्हें पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराए जाने के प्रावधान हैं तो हीमोग्लोबिन की कमी से उक्त छात्रा की मौत आखिर कैसे हो गयी। ऐसे तमाम सवाल है जिसकी जांच की जाए तो आवासीय विद्यालय में किये जा रहे फर्जीवाड़े की परतें एक के बाद एक खुलती चली जायेगी।
यह भी पढ़ें