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डोनिवाल का काला कारनामा जांच रिपोर्ट में साफ,,, नियमो के विरुद्ध जाकर कर ली लाखों रुपये की खरीददारी, आउट सोर्स कर्मचारियों के हक पर भी लालची नजर

By, बैतूल वार्ता

डोनिवाल का काला कारनामा जांच रिपोर्ट में साफ,,,

नियमो के विरुद्ध जाकर कर ली लाखों रुपये की खरीददारी, आउट सोर्स कर्मचारियों के हक पर भी लालची नजर

बैतूल।।एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय शाहपुर में प्राचार्य एस के डोनिवाल और टीम भरस्टाचार का काला कारनामा सामने आ गया है। कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवँशी द्वारा तीन सदस्यीय दल ने जो जांच की है। उस प्रतिवेदन में  खबरों पर सच्चाई की वह मुहर  लगा दी है जिन्हें सतत रूप से प्रकाशित कर आदिवासी विद्यार्थियों के हक और अधिकार की तरफ प्रशासन का ध्यान आकर्षित कराया गया है।
एकलव्य आदर्श  आवासीय  परिसर में नियम, कायदे , कानूनों को ताक पर रखकर लाखों रुपये की हेरा फेरी किये जाने के प्रमाण जांच अधिकारियों को मिले हैं। जिसका उल्लेख जांच प्रतिवेदन में किया गया है।लेकिन इसे विडम्बना ही कहा जायेगा कि शासन स्तर पर इन
भ्रष्ट्राचारियों पर अभी तक कार्यवाही सुनिश्चित नहीं कि जा सकी है।वही खास बात ये है कि पूरी जांच रिपोर्ट में ठेकेदार के खिलाफ कोई भी कार्यवाही की अनुशंसा नहीं कि गयी है। जबकि वर्तमान में ठेकेदार मां वैष्णो ट्रेडिंग कम्पनी भोपाल के पास आउटसोर्स और मेस संचालन का कार्य है। नियम के मुताबिक ठेकेदार को भी तत्काल ब्लेक लिस्टेड कर एफआईआर कराई जानी चाहिए।

जांच प्रतिवेदन में स्पस्ट उल्लेख किया गया है कि
उपरोक्त सामग्रियों के क्रय में मध्यप्रदेश शासन, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग मंत्रालय, वल्लभ भवन भोपाल के पत्र क्रमांक 595  दिनांक 13 जनवरी 2023 में उल्लेखित नियम प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है।  जबकि नियमानुसार 2.50 लाख से अधिक मूल्य की सामग्री क्रय किये जाने की स्थिति में खुली निविदा के माध्यम से सामग्री क्रय की कार्यवाही की जाना थी। जिसका पालन नहीं किया गया है। जांच में यह भी पाया गया है कि सामग्री के क्रय का आदेश दिये जाते समय एवं अनुबंध के अनुसार सामग्री प्राप्त नहीं की गई है जांच में पाया गया है कि अनुबंध में उल्लेखित स्पेशिफिकेशन के अनुसार देयक का भुगतान किया गया है। देयक के भुगतान के पूर्व मध्यप्रदेश शासन, आदिम जाति कल्याण विभाग मंत्रालय भोपाल के पत्र क्रमांक 795  दिनांक 14 जुलाई 2020 के द्वारा मध्यप्रदेश स्पेशल एण्ड रेसीडेंसियल एकेडमिक सोसायटी (एमपीसरस) के बायलॉज की कंडिका 20 के अनुसार अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) की अध्यक्षता में गठित विद्यालयीन समिति से सामग्री का सत्यापन एवं भुगतान की अनुशंसा लिये जाने की कार्यवाही करनी थी जो नहीं की गई है। उक्त सक्षम समिति से सत्यापन कराये बिना सामग्री के देयकों का भुगतान कर दिया  है।

अनुपयुक्त सामग्रियों की भी कर डाली खरीददारी

एकलव्य के प्राचार्य और उनकी    भ्रष्ट्राचारी टीम ने फर्जी वाड़े की हदें किस तरह पार की उसका खुलासा जांच में किया गया है।जांच के दौरान  क्रय की गई सामग्रियां गुणवत्ताहीन पाई गई है। आयुक्त, जनजातीय कार्य सह सचिव, मध्यप्रदेश स्पेशल एण्ड रेसीडेंसियल एकेडमिक सोसायटी के पत्र क्रमांक-242 दिनांक 20 मार्च 2023 के द्वारा जारी दिशा निर्देश में बिस्तर सामग्री में दरी क्रय किये जाने का प्रावधान ही नहीं है। इसके बावजूद भी प्राचार्य  द्वारा दरीयां क्रय की जाकर अनुचित व्यय किया गया है । प्राचार्य के द्वारा स्वैच्छाचारितापूर्ण ढंग से संस्था स्तर पर 01 व्याख्याता, 02 शिक्षक एवं 02 अतिथि तथा नेमप्लेट एवं कोटेशन नेमप्लेट के क्रय का भी कोई प्रावधान नहीं था। इसके पश्चात् भी नेमप्लेट एवं कोटेशन नेमप्लेट पर 5 लाख से अधिक राशि का अनुचित व्यय कर दिया गया है । इसके बाद अधीक्षकों को सम्मिलित कर समिति बनाकर सामग्री का सत्यापन एवं भुगतान की अनुशंसा कराई गई है। जबकि प्राचार्य को एमपीसरस के बायलॉज के अनुसार अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) की अध्यक्षता में निर्धारित समिति से सामग्री का सत्यापन एवं भुगतान की अनुशंसा प्राप्त करना था ।

सफाई के नाम पर निकाले ढाई लाख, आउट सोर्स कर्मचारियों की ईपीएफ राशि भी डकारी

एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय शाहपुर में मेस एवं सफाई व्यवस्था के नाम पर भी बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। साथ ही विद्यालय परिसर में कार्यरत आउट सोर्स कर्मचारियों की ईपीएफ की राशि भी कर्मचारियों के खातों में ना डालकर अपनी तिजोरी में रख ली गयी। जांच में पाया गया है कि  परिसर में सफाई कार्य ठेके से कराया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में मेस व्यय माह जून एवं जुलाई 2023 का भुगतान संबंधित एजेंसी को किया गया है। इन दो माहों के भुगतान देयकों एवं विद्यार्थियों की उपस्थिति के आधार पर वास्तविक भुगतान योग्य राशि का मिलान कर जब परीक्षण किया गया तो पाया गया कि इन दो माह में ही संबंधित ठेकेदार को 2.46 लाख का अधिक भुगतान किया  गया है। जबकि इसका साल भर का रेशो यदि निकाला जाए तो हो सकता है कि ठेकेदार को 15 लाख रुपये का अधिक भुगतान कर दिया गया हो। इसके अलावा पाया गया की ठेकेदार के द्वारा आउटसोर्स के माध्यम से नियुक्त किये गये कर्मचारियों को भी निर्धारित मानदेय के अनुसार वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। संबंधित कर्मचारियों की ईपीएफ राशि भी जमा नहीं की गई है । जबकि  प्राचार्य से ईपीएफ सहित पूर्ण राशि ठेकेदार द्वारा प्राप्त की जाती रही है । प्राचार्य के द्वारा भी कर्मचारियों को नियमानुसार वेतन दिलाये जाने एवं उनकी ईपीएफ की राशि जमा कराये जाने हेतु कोई प्रयास एवं कार्यवाही नहीं की गई है। जो यह बताता है कि आउटसोर्स कर्मचारियों की मजबूरी का बेजा फायदा उठाते हुए इन भरस्टाचारियों ने अपनी जेबें गर्म करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।

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