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विजयपुर उप चुनाव में भाजपा और कांग्रेस  में जीत के लिए प्रतिष्ठा दांव पर ,आदिवासी वोटर्स करेंगे फैसला मल्होत्रा ? या फिर रावत ?

By,बैतूल वार्ता

विजयपुर उप चुनाव में भाजपा और कांग्रेस  में जीत के लिए प्रतिष्ठा दांव पर ,आदिवासी वोटर्स करेंगे फैसला मल्होत्रा ? या फिर रावत ?
राज्य ब्यूरो, भोपाल : विजयपुर उपचुनाव में बुधवार को वन एवं पर्यावरण मंत्री रामनिवास रावत का राजनीतिक भविष्य तय होगा। यहां भाजपा और कांग्रेस बीच कड़ी टक्कर है। जातिगत समीकरणों में बंटे इस उपचुनाव में आदिवासी मतदाता ही निर्णायक भूमिका में हैं। यहां का चुनाव आदिवासी बनाम ओबीसी में तब्दील हो गया है।

सिंधिया को छोड़ मैदान में कूदे सभी दिग्गज

विजयपुर में भाजपा ने इस बार ओबीसी वर्ग के रामनिवास रावत को प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस ने आदिवासी नेता मुकेश मल्होत्रा पर दांव लगाया है। मल्होत्रा पिछले चुनाव में निर्दलीय खड़े हुए थे और तीसरे नंबर पर रहे थे। भाजपा ने इस सीट पर पूरी ताक़त झोंकी, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को छोड़कर बाकी सभी बड़े नेताओं ने बड़ी संख्या में सभाएं की हैं।

भाजपा का दो मोर्चों पर संघर्ष

मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने रात्रि विश्राम कर अलग-अलग समाजों को साधने का भी प्रयास किया है। अब मतदाता ही तय करेंगे कि वर्ष 2023 में रावत को कांग्रेस से जिताने के बाद दोबारा भाजपा से भेजते हैं या नहीं। भाजपा को इन दिनों कई मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ रहा है। एक तरफ कांग्रेस से आए लोगों को लेकर विवाद थम नहीं पा रहा है, वहीं दूसरी तरफ विजयपुर उपचुनाव में भी पार्टी को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।

6 बार के विधायक रामनिवास की प्रतिष्ठा दांव पर

विजयपुर में भी भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत कांग्रेस छोड़कर आए थे। यही वजह है कि पार्टी को यहां अधिक मेहनत करनी पड़ रही है। विजयपुर विधानसभा क्षेत्र का मूल स्वरूप भी कांग्रेस का रहा है। रावत स्वयं यहां से छह बार कांग्रेस के टिकट पर ही चुने गए हैं। यहां के नेता कहते हैं कि लोगों ने भाजपा के सीताराम आदिवासी को एकबार चुनाव केवल और केवल सांत्वना के लिए जिता दिया था क्योंकि वे लगातार चुनाव हार रहे थे।

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