देवउठनी एकादशी से शुरू शादियों का सीजन, इस बार 8 महीनों में 40 शुभ मुहूर्त; लेकिन एकादशी और बसंत पंचमी पर विवाह का योग नहीं
By,वामन पोटे
देवउठनी एकादशी से शुरू शादियों का सीजन, इस बार 8 महीनों में 40 शुभ मुहूर्त; लेकिन एकादशी और बसंत पंचमी पर विवाह का योग नहीं
पं. अमर डिब्बेवाला के मुताबिक, 12 नवंबर को देव उठनी एकादशी और 2 फरवरी को बसंत पंचमी पर्व पर शादी का एक भी मुहूर्त नहीं है।
पौराणिक मान्यता है कि चार महीने की योग निद्रा के बाद भगवान विष्णु देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं, इसलिए इसे देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन से ही मांगलिक कार्य शुरू होते हैं।
इस साल 12 नवंबर को देव उठनी एकादशी के त्योहार से शादियों का सीजन शुरू होगा। इस बार खास यह है कि 8 महीने में 40 विशेष शुभ मुहूर्त हैं लेकिन देवउठनी एकादशी और 2 फरवरी को बसंत पंचमी पर्व पर शादी का एक भी मुहूर्त नहीं है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डिब्बेवाला ने कहा-
देव उठनी एकादशी, अक्षय तृतीया और बसंत पंचमी के दिन को लोग अबूझ मुहूर्त मानकर चलते हैं। इन तीनों दिन बिना मुहूर्त के ही हजारों शादियां होती हैं। इस बार 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी और 2 फरवरी बसंत पंचमी को शादी का कोई मुहूर्त नहीं बन रहा है। इस बार शादियां सिर्फ 40 मुहूर्त में ही हो सकेंगी।
16 नवंबर से 8 जून तक शुभ मुहूर्त
इस बार शादियां 16 नवंबर 2024 से शुरू होकर 8 जून 2025 तक शुभ मुहूर्त में हो सकेंगी। इसके बाद 12 जून से 8 जुलाई तक गुरु का तारा अस्त होने के चलते शादी के शुभ मुहूर्त नहीं हैं। इसके बाद अगले चार माह चातुर्मास में देवशयनी एकादशी लगने के चलते 6 जुलाई 2025 को शादियां बंद हो जाएंगी, फिर 2 नवंबर 2025 से शुरू होंगी।
मुहूर्त चिंतामणि और धार्मिक ग्रंथों की मान्यता के अनुसार, यज्ञोपवीत के मुहूर्त सूर्य के उत्तरायण में विशेष रूप से माने जाते हैं। फिलहाल, सूर्य दक्षिणायन चल रहे हैं, इस दृष्टि से नवंबर-दिसंबर में यज्ञोपवीत और मुंडन के मुहूर्त नहीं हैं। 15 जनवरी के बाद यज्ञोपवीत और मुंडन के विशिष्ट मुहूर्त निकल सकेंगे।
12 जून से 8 जुलाई तक गुरु का तारा अस्त रहेगा
अक्षय तृतीया वाले दिन सिर्फ दोपहर में शादी का मुहूर्त है। इस बार 12 जून से लेकर 8 जुलाई तक गुरु का तारा अस्त रहेगा। इस अस्त काल में विवाह नहीं होंगे। ग्रहों की गणना के आधार पर बात करें तो देवउठनी एकादशी से लेकर देव शयनी एकादशी तक चालीस विशेष मुहूर्त हैं।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बेवाला कहते हैं, ‘इस दृष्टि से इस बार 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर तुलसी सालिगराम का विवाह ही संभावित होगा, क्योंकि धर्मशास्त्र मान्यता भी यह कहती है कि जब तुलसी-सालिगराम का विवाह होता है तो अन्य विवाह नहीं करें।
जो लोग शास्त्रीय अभिमत को नहीं समझते हैं, वे अबूझ मुहूर्त की श्रेणी को मानकर बसंत पंचमी पर विवाह कर लेते हैं। या तो लग्न प्रॉपर होता नहीं है या रेखाएं या कभी भद्रा के संयोग बनते हैं…कभी कड़क, चोर या मृत्यु पंचक होता है तो ऐसी स्थिति में लग्न की तारीख को त्याग देना चाहिए।’
यज्ञोपवीत मुहूर्त
जनवरी 2025: तिथि 15, 16
फरवरी 2025: तिथि 7, 14
अप्रैल 2025: तिथि 2, 7, 9, 14, 18, 30
मई 2025: तिथि 1, 7, 8, 28, 29
जून 2025: तिथि 8 तारीख में शुभ मुहूर्त है।
मुंडन संस्कार
जनवरी 2025: तिथि 15, 20, 25, 31
फरवरी 2025: तिथि 4, 10, 19, 22
अप्रैल 2025: तिथि 14, 24
मई 2025: तिथि 1, 3, 4, 15, 24, 25, 28, 31
जून 2025: तिथि 7, 8 को शुभ मुहूर्त हैं।