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अखबार से आईएएस बनने की मिली प्रेरणा ,हिंदी मीडियम की सुरभि अंग्रेजी में थीं कमजोर, फिर भी नहीं मानी हार; पढ़िए IAS की कहानी

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हिंदी मीडियम की सुरभि अंग्रेजी में थीं कमजोर, फिर भी नहीं मानी हार; पढ़िए IAS की कहानी

सुरभि गौतम की पढ़ाई हिंदी मीडियम से हुई थी, इस वजह से उनकी इंग्लिश कमजोर थी। जिसकी वजह से कई बार क्लास में टीचर के सवालों का वो जवाब नहीं दे पाती थीं।

नई दिल्ली

June 12, 2022

यूपीएससी की परीक्षा दुनियाभर की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। इस परीक्षा को पास कर आईएएस बनने का सपना तमाम लोग देखते हैं। कई लोग मजबूरी और अभावों को पीछे धकेलते हुए अफसर बनकर भी दिखाते हैं। ऐसी ही कहानी सुरभि की है। मध्य प्रदेश की रहने वाली सुरभि गौतम (Surbhi Gautam) ने अपनी मेहनत का लोहा मनवा दिया।

कौन हैं सुरभि गौतम? सुरभि का जन्म सतना (मध्य प्रदेश) के छोटे से गांव अमदरा में एक वकील-शिक्षक दम्पत्ति के यहां हुआ था। परिवार के अन्य बच्चों की तरह सुरभि को भी प्राथमिक शिक्षा के लिए गांव के सरकारी स्कूल में भेजा गया, जो हिंदी मीडियम का स्कूल था। सुरभि बचपन से ही पढ़ने में तेज थीं, लेकिन घर के ज्यादातर सदस्यों के लिए यह कोई खास बात नहीं थी।

हालांकि जब पांचवीं कक्षा का रिजल्ट आया तो सुरभि ने गणित में सौ में से सौ अंक हासिल किये। शिक्षिका ने सुरभि को बुलाकर उनकी पीठ थपथपाई और कहा, ‘तुम्हें गणित में 100 फीसदी अंक मिले हैं। मैंने आज तक किसी को बोर्ड परीक्षा में सौ में से सौ अंक प्राप्त करते नहीं देखा। आप भविष्य में बहुत अच्छा करेंगी।’

इसके बाद सुरभि पढ़ाई के प्रति और गंभीर हो गईं। इस बीच सुरभि के जोड़ों में बार-बार दर्द उठने लगा, शुरुआती दिनों तक इस दर्द को नजरअंदाज किया लेकिन धीरे-धीरे दर्द पूरे शरीर में फैल गया और एक दिन सुरभि बिस्तर की ऐसी हालत हो गई कि वह बिस्तर से उठ नहीं पाईं।

गंभीर बीमारी से किया मुकाबला

सुरभि की तबीयत खराब होने के बाद गांव में अच्छे डॉक्टर न होने की वजह से माता-पिता उन्हें जबलपुर लेकर गए। वहां डॉक्टरों ने बताया कि सुरभि को ‘रूमैटिक फीवर’ है। यह ज्यादा समय तक नजरंदाज किया जाए तो व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। इस बीमारी में हृदय को सबसे अधिक नुकसान पहुंचता है। डॉक्टर ने सुरभि को 15 दिन पर इन्जेक्शन लेने की सलाह दी, गांव में कुशल डॉक्टर न होने की वजह से हर 15 दिन पर उनके माता-पिता सुरभि को लेकर जबलपुर जाते थे। इस दौरान सुरभि की सेहत अच्छी नहीं थी लेकिन पढ़ाई से मुंह नहीं मोड़ा।

अखबार से आईएएस बनने की मिली प्रेरणा

सुरभि की सेहत तो खराब थी ही इसके बावजूद उन्हें हाईस्कूल में गणित के साथ विज्ञान में भी शत-प्रतिशत अंक मिले। इसके साथ ही सुरभि को राज्य स्तर पर प्रतिभाशाली विद्यार्थियों में गिना जाने लगा। सुरभि को लेकर कई खबरें छपीं, एक अखबार में लिखा था कि सुरभि कलेक्टर बनना चाहती हैं। जबकि सुरभि के मन में ऐसा कोई ख्याल नहीं था। हालांकि इस खबर के बाद सुरभि ने मन ही मन ठान लिया कि उन्हें आईएएस बनना है।

इंग्लिश बना सिर दर्द, कक्षा में बैठती थीं पीछे

12वीं में भी अच्छे अंक प्राप्त करने के बाद, उन्होंने राज्य इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की और भोपाल के एक इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन्स में प्रवेश लिया। सरकारी स्कूल में पढ़ते हुए वह अपने स्कूल की सबसे अच्छी छात्रा थीं। लेकिन जब सुरभि स्कूल से कॉलेज पहुंची तो वहां उनकी दुनिया पूरी तरह बदल गई। वह हिंदी माध्यम की छात्रा थी और यहां आने वाले ज्यादातर बच्चे अंग्रेजी माध्यम से थे।

हिंदी मीडियम से होने के नाते उन्हें हीन भावना का शिकार होना पड़ा, जहां अपने स्कूल में सबसे आगे बैठती थीं। वहीं अब वह पीछे बैठने लगीं। उन्हें इस दौरान सिर्फ एक बात का मलाल रहा कि उनपर किसी ने ध्यान नहीं दिया, इसके बाद उन्होंने अपनी अंग्रेजी पर काम करना शुरू कर दिया।
ग्रेजुएशन के फर्स्ट सेमेस्टर में टॉप किया

सुरभि ने अंग्रेजी को इतना सीरियसली ले लिया कि इंग्लिश लैंग्वेज से परेशान सुरभि ने अपनी इंग्लिश सुधारने के लिए खुद से अंग्रेजी में बात करना शुरू कर दिया। यहां तक कि सपने में भी उन्होंने लोगों से अंग्रेजी में बात करना शुरू कर दिया। इसका परिणाम भी दिखा। उन्होंने अपने ग्रेजुएशन के फर्स्ट सेमेस्टर में टॉप किया और इसके लिए उन्हें कॉलेज चांसलर अवार्ड भी दिया गया।

यूपीएससी समेत कई परीक्षाओं को किया क्रैक

सुरभि को कॉलेज में प्लेसमेंट के दौरान टीसीएस कंपनी में नौकरी मिल गई, लेकिन उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। उसके बाद उन्होंने लगातार कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे BARC, ISRO, GTE, SAIL, MPPSC, SSC, FCI और दिल्ली पुलिस परीक्षा में भाग लिया और उन सभी को क्रैक किया।

आईईएस में मिली थी फर्स्ट रैंक, लेकिन बनना था आईएएस

साल 2013 में सुरभि ने आईईएस की परीक्षा पास करते हुए ऑल इंडिया फर्स्ट रैंक हासिल की। लेकिन सुरभि ने आईएएस बनने का लक्ष्य रखा था। इसलिए, उसने अपनी तैयारी जारी रखी और वर्ष 2016 में, सुरभि ने यूपीएससी परीक्षा में अपने पहले प्रयास में 50वीं रैंक हासिल करते हुए अपना सपना पूरा कर लिया। मीडिया को दिए गए साक्षात्कार में सुरभि कहती हैं कि कोई भी भाषा दीवार नहीं होती, अगर आप ठान लें तो यह आपके वश में हो जाएगी।

फिलहाल यहां है पोस्टिंग

आईएएस सुरभि गौतम अहमदाबाद के विरमगाम जिले में सहायक कलेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। इससे पहले वह गुजरात के वडोदरा में सहायक कलेक्टर के रूप में कार्यरत थीं।

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