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बुलबुल के पंख पर उड़ते थे वीर सावरकर, कक्षा 8वीं के चैप्टर ने मचाई खलबली

By Betul Varta 9425002492

बुलबुल के पंख पर उड़ते थे वीर सावरकर, कर्नाटक में कक्षा 8वीं के चैप्टर ने मचाई खलबली

कर्नाटक में स्कूली किताब में वीर सावरकर के चैप्टर में किए गए बदलाव के बाद विवाद हो रहा है।

By Betul Varta

 August 29, 2022

बेंगलुरु।। रिपोर्ट। कर्नाटक में आठवीं क्लास की किताब में दिए एक चैप्टर को लेकर बवाल मच गया है। बुक रिवीजन कमेटी की ओर से हाई स्कूल की एक किताब के सिलेबस में एक सेक्शन बदला गया है। कहा यह भी जा रहा है कि सत्ता में बैठी बीजेपी इतिहास के साथ छेड़छाड़ कर रही है।

किताब में दिए गए सावरकर के अध्याय में लिखा हुआ है कि जब वह जेल में बंद थे तो बुलबुल के पंखों पर बैठकर मातृभूमि की सैर के लिए जाया करते थे। चैप्टर के एक अंश में यह लिखा हुआ है कि जिस जेल में सावरकर को बंद किया गया था, वहां एक सुराख भी नहीं था लेकिन बुलबुल पक्षी फिर भी वहां आती थी और सावरकर उनके पंखों पर बैठकर मातृभूमि के दौरे पर जाते थे।

रिपोर्ट्स के मुताबिक इस किताब में पहले लिखे गए विजयमाला के चैप्टर ब्लड ग्रुप को केके गट्टी के चैप्टर कलावनु गेद्यावारु से बदला गया है। वीर सावरकर की अंडमान सेलुलर जेल यात्रा से संबंधित इस पाठ को बढ़ा चढ़ाकर पेश करने की बात सोशल मीडिया पर कही जा रही है। इन सब के बीच कर्नाटक के तुमकुरु विश्वविद्यालय में स्थापित किया जाने वाला वीर सावरकर अनुसंधान केंद्र स्थापित पूरी तरह से तैयार है। जिसके बाद नया विवाद होने की संभावना जताई जा रही है।
पिछले मंगलवार को बीजेपी के नेतृत्व में कर्नाटक में सावरकर रथ यात्रा भी निकाली गई थी। इस दौरान बी एस येदियुरप्पा ने विपक्ष के नेता सिद्धारमैया पर निशाना साधते हुए कहा था कि महान स्वतंत्रता सेनानी सावरकर को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वीर बताया था, लेकिन कर्नाटक में उनके खिलाफ भ्रामक सूचना अभियान चलाया जा रहा है जो काफी पीड़ादायक है।
कक्षा 8वीं की किताब 
वर्तमान में संदर्भित की जा रही पाठ्यपुस्तकें कक्षा 8 के छात्रों के लिए निर्धारित दूसरी भाषा कन्नड़ हैं. पाठ्यपुस्तक के जिस नए अध्याय ने विवाद को जन्म दिया है, वह पद्यांश केटी गट्टी के एक यात्रा वृत्तांत से लिया गया है. केटी गट्टी 1911 से 1924 के बीच सेल्युलर जेल गए थे, जहां उस वक्त सावरकर बंद थे. केटी गट्टी ने ‘कलावनु गेद्दावारु’ नाम से किताब लिखी है. जिसने विजयमाला रंगनाथ द्वारा ‘ब्लड ग्रुप’ नामक एक पुराने पाठ को बदल दिया है.

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