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देशी गाय पालने पर हर महीने 900 रुपए देगी सरकार

प्राकृतिक खेती के लिए देशी गायें पालने पर किसान को अनुदान

भोपाल।। मध्यप्रदेश सरकार(MP Govt) ने गोवंश की समृद्धि को लेकर बड़ा फैसला किया है। अब सरकार प्राकृतिक खेती के लिए देशी गायें पालने पर किसान को अनुदान देगी। एक गाय के लिए हर महीने 900 रुपए दिया जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने एक सख्त फैसला भी लिया है। जिसके अनुसार यदि मवेशी को आवारा सड़क पर छोड़ा जाता है तो पशु मालिक को 5 हजार रुपए का जुर्माना भरना पड़ेगा।

इन फैसलों को अमल में लाने के लिए शिवराज सरकार (Shivraj Govt) नगर पालिका अधिनियम में संशोधन अध्यादेश लागू करने जा रही है। इस अध्यादेश को 26 अप्रैल को होने वाली कैबिनेट की बैठक में स्वीकृति दी जाएगी। इसके बाद राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। वर्तमान कानून के मुताबिक आवारा पशु को लेकर पहली बार में 25 रुपए और इसके बाद 50 रुपए प्रति पशु के हिसाब से जुर्माने वसूलने का प्रावधान था। जो बेअसर था।

मवेशियों को खुला छोड़ना पड़ेगा महंगा
प्रस्तावित अध्यादेश के मुताबिक जो कोई भी शख्स जो जानबूझकर अथवा लापरवाही के चलते किसी मवेशी या अन्य पशु को सड़क या किसी अन्य सार्वजनिक स्थान पर छोड़ता है और इसके कारण किसी व्यक्ति, संपत्ति को नुकसान व ट्रैफिक में बाधा पहुचंती है तो 5 हजार रुपए तक जुर्माना होगा। सरकार ने नगर पालिका निगम अधिनियम 1956 की धारा 358 व अधिनियम 1861 की धारा 254 में संशोधन किया है। इसके लिए नगर पालिका विधि (संशोधन) 2022 को वरिष्ठ सचिव समिति ने 17 मार्च 2022 को जुर्माना बढ़ाने की सिफारिश की थी।

सीएम ऑफिस का ट्वीट-

आवारा पशुओं को बताया लोगों के लिए खतरनाक
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने एक प्रस्ताव देते हुए बताया था कि प्रदेश के तमाम शहरों में सड़कों पर घूमने वाले आवारा मवेशी आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। सड़कों पर घूमने वाले इन छुट्टा मवेशियों से जान का खतरा भी होने लगा है। आए दिन इन मवेशियों की वजह से हादसे हो रहे हैं। चाहे वो नेशनल हाईवे हों, शहर की दूसरी सड़कें या फिर गलियां हों। हर जगह ये मवेशी ट्रैफिक में बाधा पैदा करते हैं। रात के अंधेरे में कभी मवेशी वाहनों की चपेट में आकर घायल हो जाते हैं, तो कभी इन्हीं मवेशियों के कारण रास्ते जाम हो जाते हैं। कई भीषण हादसे भी मवेशियों को बचाने की कोशिश में हो चुके हैं।

सवा साल पहले हाईकोर्ट ने दिए थे सख्त निर्देश
आवारा पशुओं को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में सतीश कुमार वर्मा ने 2009 में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने 7 सितंबर 2015 को सरकार को आदेश दिया था कि आवारा पशुओं के मामले में सख्त एक्शन लिया जाए। इसके बाद 2018 को बृजेंद्र यादव और 2019 को पूर्णिमा शर्मा ने याचिका दायर की थी। इसके साथ ही सतीश वर्मा ने अवमानना याचिका भी दायर की थी। जिसके बाद हाईकोर्ट ने पिछले साल 11 जनवरी को सरकार को सख्त नियम लागू करने की चेतावनी दी थी।

राजस्थान में 10 हजार रुपए तक जुर्माना
राजस्थान सरकार ने हाल ही में पशुओं को लावारिस छोड़ने वाले पशुपालकों पर मोटा जुर्माना लगाने का निर्णय लिया है। सरकार के निर्देश के मुताबिक अब खुले में पशुओं को छोड़ने पर भी 1 से 10 हजार रुपए तक जुर्माना लगाया जाएगा। ये ही नहीं, सरकार पशुपालकों से परिवहन राशि के तौर पर 300 से 500 रुपए प्रति पशु की वसूली भी करेगी। इसी के साथ हर रोज पशु चराई के लिए 100 रूपए तक की राशि ली जाएगी।

जानवरों के 15 ऐसे कानून, जो हमें मालूम होने चाहिए
हम अपने घरों में पालतू जानवर तो रखते हैं लेकिन जाने-अनजाने में उनके साथ कई बार ऐसे सलूक करते हैं, जो अपराध की श्रेणी में आता है। भारतीय संविधान के तरह 15 ऐसे कानून बनाए गए हैं, जो हमें मालूम होने चाहिए.

अनुच्छेद 51(A) – भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51(A) के मुताबिक, हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभूति रखना भारत के हर नागरिक का मूल कर्तव्य है।

क्रूएलिटी एक्ट – कोई भी पशु (मुर्गी समेत) सिर्फ बूचड़खाने में ही काटा जाएगा. बीमार और गर्भ धारण कर चुके पशुओं को मारा नहीं जाएगा. प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलिटी ऑन एनिमल्स एक्ट और फूड सेफ्टी रेगुलेशन में इस बात पर स्पष्ट नियम हैं।

पशु को मारना – भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के मुताबिक किसी पशु को मारना या अपंग करना, भले ही वह आवारा क्यों न हो, दंडनीय अपराध है।

पशु को आवारा बनाना – प्रिवेंशन ऑफ क्रूएलिटी ऑन एनिमल्स एक्ट (पीसीए) 1960 के मुताबिक किसी पशु को आवारा छोड़ने पर तीन महीने की सजा हो सकती है।

खाना-पानी न देना अपराध – जानवर को पर्याप्त भोजन, पानी, शरण देने से इनकार करना और लंबे समय तक बांधे रखना दंडनीय अपराध है। इसके लिए जुर्माना या तीन महीने की सजा या फिर दोनों हो सकते हैं।

पशुओं को ले जाना – पशुओं को असुविधा में रखकर, दर्द पहुंचाकर या परेशान करते हुए किसी भी गाड़ी में एक जगह से दूसरी जगह ले जाना मोटर व्हीकल एक्ट और पीसीए एक्ट के तहत दंडनीय अपराध है।

पशुओं को लड़ाना – पशुओं को लड़ने के लिए भड़काना, ऐसी लड़ाई का आयोजन करना या उसमें हिस्सा लेना संज्ञेय अपराध है।

एनिमल टेस्टिंग – ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक रूल्स 1945 के मुताबिक जानवरों पर कॉस्मेटिक्स का परीक्षण करना और जानवरों पर टेस्ट किये जा चुके कॉस्मेटिक्स का आयात करना प्रतिबंधित है।

बलि पर बैन – स्लॉटरहाउस रूल्स 2001 के मुताबिक देश के किसी भी हिस्से में पशु बलि देना गैरकानूनी है।

जंगली जानवरों को कैद करना – किसी भी जंगली जानवर को पकड़ना, फंसाना, जहर देना या लालच देना दंडनीय अपराध है। इसके दोषी को सात साल की तक की सजा या 25 हजार रुपए का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

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