नीतीश के साथ-साथ तेजस्वी के पास भी है अपना मिशन 2024, ‘ऑटोमैटिक सीएम’ वाली ‘भविष्यवाणी’ पढ़ कर दंग रह जाइएगा
By बैतूल वार्ता
नीतीश के साथ-साथ तेजस्वी के पास भी है अपना मिशन 2024, ‘ऑटोमैटिक सीएम’ वाली ‘भविष्यवाणी’ पढ़ कर दंग रह जाइएगा
Sep 9, 2022
नीतीश के साथ-साथ तेजस्वी के पास भी है अपना मिशन 2024
‘ऑटोमैटिक सीएम’ वाली ‘भविष्यवाणी’ पढ़ कर दंग रह जाइएगा
नीतीश पहले ही तेजस्वी को सौंप चुके ‘जिम्मेदारी’- एक्सपर्ट
2024 में नीतीश की तरह ही तेजस्वी की राह भी आसान नहीं
पटना: उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव अब खुद को ‘बड़ी भूमिका’ के लिए तैयार करते दिख रहे हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार देश में बिखरे विपक्ष को बीजेपी के खिलाफ एकजुट करने का बड़ा काम संभाल रहे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा कि चूंकि नीतीश अपने ‘मिशन 2024’ के हिस्से के रूप में देश भर में विभिन्न स्थानों के दौरे में व्यस्त होंगे, उनके डेप्युटी यानि तेजस्वी यादव परोक्ष रूप से राज्य प्रशासन के प्रभारी होंगे। यही वजह है कि तेजस्वी ने औचक निरीक्षण करना, अधिकारियों के साथ बैठक करना और चीजों को सीखने की कोशिश करना शुरू कर दिया है। विश्लेषकों ने कहा कि वह पहले भी उपमुख्यमंत्री के रूप में काम कर चुके हैं, लेकिन इस बार वह प्रैक्टिकल दिख रहे हैं और उनकी बॉडी लैंग्वेज आत्मविश्वास के संकेत दे रही है।
तेजस्वी बड़ी जिम्मेदारी संभालने के लिए कर रहे तैयारी
इसे यूं समझिए कि नीतीश कुमार ने महागठबंधन से हाथ मिलाते ही अपने इरादे साफ कर दिए। वो 2024 में विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम की बात कर रहे हैं। 2024 में ये तभी संभव होगा जब नीतीश बिहार से बाहर निकलें और अपना पूरा समय विपक्षी गोलबंदी में दें। विशेषज्ञों के मुताबिक मान कर चलिए कि होगा भी ऐसा ही। ऐसे में राज्य की पूरी जिम्मेदारी अपने आप तेजस्वी के पास आ जाएगी। यूं कहिए कि वो सिर्फ कहने को उपमुख्यमंत्री रह जाएंगे।
नीतीश तेजस्वी को लगभग सौंप चुके हैं जिम्मेदारी- एक्सपर्ट
तेजस्वी की तैयारी का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अचानक रात में वो औचक निरीक्षण के लिए निकल जाते हैं। इसके बाद वो सीधे पीएमसीएच पहुंचते हैं और रंगे हाथ सुविधाओं की बेहाली को पकड़ लेते हैं। ड्यूटी से गायब डॉक्टर-नर्सों को फटकार लगाते हैं। इसके बाद हाल ठीक करने के लिए 60 दिन की डेडलाइन भी दे डालते हैं। पटना के मशहूर पॉलिटिक एक्सपर्ट डॉ संजय कुमार के मुताबिक ‘एक तरह से नीतीश कुमार तेजस्वी को पहले ही कमान दे चुके हैं। इसका अंदाजा इसी से लगाइए कि दिल्ली जाने से पहले नीतीश कुमार लालू यादव से मिलते हैं। दिल्ली से लौटने के बाद भी वो सबसे पहली मुलाकात लालू यादव से ही करते हैं।’
दिल्ली आने-जाने से पहले नीतीश के लालू से मिलने का मतलब साफ है। वो ये कि एक तरह से नीतीश अपरोक्ष तरीके से तेजस्वी को बिहार की जिम्मेदारी सौंप चुके हैं। नीतीश अब खुद विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की मुहिम में लगे हैं, ऐसे में उनकी बिहार केंद्रित राजनीति अब विपक्ष केंद्रित राजनीति में बदल गई है।
डॉक्टर संजय कुमार, पॉलिटिकल एक्सपर्ट, पटना
तेजस्वी जब चाहें तब सीएम बन जाएं- BJP
इधर बिहार बीजेपी अध्यक्ष डॉक्टर संजय जायसवाल ने दावा किया है कि ‘मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब से हमेशा विपक्ष की ही राजनीति करेंगे। नीतीश कुमार को लगता है कि 2024 में मुख्य मोर्चे में आ सकते हैं, लेकिन बीजेपी अब नीतीश कुमार को कभी भी कबूल नहीं करेगी। हाल तो ये है कि तेजस्वी यादव जब चाहेंगे, तब मुख्यमंत्री बन जाएंगे।’
मांझी ने तो खुल्मखुल्ला ऐलान तक कर दिया
इससे पहले गुरुवार को ही गया में रबर डैम के उद्घाटन के बाद जीतनराम मांझी मंच से बोल रहे थे। मांझी ने जब मंच से बोलना शुरू किया तो सभी लोग हैरान रह गए। मांझी ने कहा कि ‘अब सीएम नीतीश मत कहिए, प्रधानमंत्री कहिए तो ज्यादा अच्छा लगता है।’ मांझी ने कहा कि हमें तो लगता है कि अभी से ही नीतीश जी को प्रधानमंत्री कहकर संबोधित करना चाहिए। और तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री कहकर संबोधित करना चाहिए।’
अब खबर का पोस्टमार्टम
यहां तक तो आपने एक्सपर्ट और नेताओं की राय पढ़ी। सवाल ये है कि क्या वाकई ऐसा है? सच पूछिए तो नीतीश कुमार ने जिस तरह से 2017 को 2022 में दोहराया, अब उनके पास कोई ऑप्शन बचा भी नहीं है। उल्टे एक चुनौती उनके गले आ पड़ी है कि वो महागठबंधन में जाने के अपने फैसले को सही साबित करके दिखाएं। इसके लिए उन्हें 2024 में कमरतोड़ मेहनत करनी पड़ेगी। रही बात तेजस्वी की तो उन्हें बखूबी पता है कि वही वो वक्त होगा जब वो बिहार में खुद को साबित कर पाएंगे। ये अलग बात है कि तेजस्वी पर लगे भ्रष्टाचार के दाग अभी धुले नहीं हैं, वो अभी भी केंद्रीय एजेंसियों की जांच की जद में हैं। ऐसे में उनकी राह भी नीतीश की तरह बहुत आसान नजर नहीं आ रही है।
साभार :नवभारतटाइम्स