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डरा-धमकाकर शिक्षकों का आंदोलन कुचल रही भाजपा सरकार:डागा

By बैतूल वार्ता

डरा-धमकाकर शिक्षकों का आंदोलन कुचल रही भाजपा सरकार:डागा

 

शिक्षकों के निलंबन मामले में भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर बरसे कांग्रेस विधायक
तत्काल प्रभाव से निलंबन वापस नहीं लेने पर प्रदर्शन करेंगे कांग्रेस कार्यकर्ता
बैतूल। कांग्रेस विधायक निलय विनोद डागा ने शिक्षकों के निलंबन मामले में भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने भाजपा सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि तत्काल प्रभाव से शिक्षकों का निलंबन वापस नहीं लिया गया तो वह कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे।
उन्होंने कहा कि क्रमोन्नति, पुरानी पेंशन बहाली सहित अन्य जायज मांग को लेकर आजाद अध्यापक शिक्षक संघ के पदाधिकारी लगातार अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे थे। इस दौरान सरकार द्वारा तानाशाही रवैया अपनाते हुए शिक्षक संगठन को आश्वासन देने के बजाय निलंबन करने की कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने भाजपा सरकार के खिलाफ आरोप लगाया कि सरकार निलंबन का डर दिखाकर आंदोलन को कुचलने का प्रयास कर रही है। शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे शिक्षकों के साथ सरकार द्वारा अन्याय पूर्ण नीति अपनाई जा रही है। प्रदेश के सैकड़ों अध्यापकों को निलंबित कर दिया गया है। अध्यापकों की मांग है कि पुरानी पेंशन लागू की जाए। साथ ही क्रमोन्नति की जाए। जिससे अध्यापकों का भविष्य सुरक्षित हो सके लेकिन निलंबन की कार्रवाई से शिक्षकों में घोर आक्रोश है। इस मामले में विधायक विधायक निलय डागा ने सरकार को गलत ठहराया है।
–न्यायोचित नहीं है कार्रवाई–
कांग्रेस विधायक का कहना है कि कर्मचारियों से बात करने की बजाए उन पर कार्रवाई करना न्यायोचित नहीं है। शिक्षा विभाग की इस कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगों को रखने पर कार्रवाई करना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के सभी शिक्षक पुरानी पेंशन बहाली, नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता जैसे महत्वपूर्ण मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। वहीं सरकार उनकी बात सुनने के बजाय निलंबित कर रही है। सरकार का यह तरीका बिल्कुल गलत है, लोकतंत्र में सरकार का तानाशाही रवैया नहीं चलेगा। सरकार के ऐसे फैसलों से शिक्षक और लामबंद हो रहे हैं औऱ अपनी मांगों को मजबूती से रखेंगे। सरकार से अपेक्षा की है कि आंदोलन को दबाने के बजाय शिक्षकों से बातचीत के माध्यम से उनकी समस्याओं का निराकरण किया जाए।

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