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गड़ा धन निकालने के बहाने युवक को ले गए जंगल में, हत्या कर वहीं फेंक आए शव, कोर्ट ने आजीवन कारावास की सुनाई सजा

11 माह बाद बरेठा के जंगल में मिला था मृतक का कंकाल

बैतूल/मुलताई। गड़ा धन निकालने के लिए ग्रामीण को बरेठा के जंगल में जाकर उसकी हत्या करने वाले दो आरोपियों को तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश ने दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है।

प्रकरण में जिला अभियोजन अधिकारी एसपी वर्मा के मार्गदर्शन में शासन की ओर से पैरवी करने वाली विशेष लोक अभियोजक मालिनी देशराज ने बताया कि ग्राम टेमझिरा निवासी ओमकार ने पुलिस थाना मुलताई में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया था कि उसके पुत्र ज्ञान चंद को बीते 1 मार्च 2016 को सुबह 10 बजे के दरमियान ग्राम का ही निवासी लेखराज उर्फ लखन पिता गुलाबराव नरवरे बाइक पर बिठाकर अपने साथ मुलताई लेकर गया था। उसके बाद से पुत्र ज्ञानचंद घर नहीं लौटा है। ओंमकार ने अपने पुत्र ज्ञानचंद की हत्या करने का संदेह जाहिर किया था।

पुलिस ने ओमकार की रिपोर्ट पर लेखराज के खिलाफ धारा 364 के तहत केस दर्ज कर लेखराज को अभिरक्षा में लेकर पूछताछ की। पूछताछ के दौरान लेखराज ने पुरानी रंजिश के चलते 1 मार्च को केदार सिंह निगम के साथ मिलकर योजनाबद्ध तरीके से ज्ञानचंद को गड़ा धन निकालने के लिए सफेद पलसा का वृक्ष दिखाने के बहाने बरेठा के जंगल में बाइक पर बिठाकर ले जाने और पत्थरों से ज्ञानचंद की हत्या करने की बात कबूली थी और पुलिस ने लेखराज की निशानदेही पर बरेठा के जंगल में कंकाल बरामद किया था। जहां ज्ञानचंद के कपड़े भी बरामद हुए थे। कंकाल का डीएनए ज्ञानचंद के पिता और भाई के साथ कराया तो कंकाल ज्ञानचंद का ही होने की पुष्टि हुई।

विवेचना उपरांत पुलिस ने आरोपी लेखराज नरवरे निवासी ग्राम टेमझिरा और केदार सिंह पिता रूपसिंह निगम निवासी ग्राम बाड़े गांव के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया। न्यायाधीश ने प्रकरण की सुनवाई उपरांत आरोपी लेखराज और केदार सिंह को धारा 302 के तहत दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास और दो-दो हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया, वहीं धारा 364, 120 के तहत भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई और दो-दो हजार रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया है।

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