कई विचारों का समावेशित दस्तावेज है आपदा में आपबीती- राजा ठाकुर
पूर्व डीवायसी ने नर्मदापुरम से बैतूल पहुंचकर किया गौरी का किया सम्मान
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बैतूल। कोराना काल के वास्तविक परिदृश्य पर 110 लेखकों के संग्रह का प्रकाशन बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति द्वारा अध्यक्ष गौरी पदम के सम्पादन में किया गया। इस संग्रह में कोराना काल की लगभग हर परिस्थिति उजागर हुई है। बैतूल प्रवास पर आए नेहरु युवा केन्द्र बैतूल के पूर्व जिला समन्वयक सुधाकर गौर को जब यह संग्रह भेंट किया गया तो उसके पढऩे के बाद जिले में आपदा में आपबीती पर एक संगोष्ठी का आयोजन समाजसेवी एवं वरिष्ठ भाजपा नेता राजा ठाकुर के मुख्य आतिथ्य में किया गया। संगोष्ठी में संकलन की संपादक का नेहरु युवा केन्द्र के पूर्व डीवायसी सुधाकर गौर ने नर्मदापुरम से बैतूल पहुंचकर सम्मान किया। कोरोना की वजह से अपने पति को खो देने वाली रजनी देशमुख को भी इस संगोष्ठी में सम्मानित किया गया। संगोष्ठी में नेशनल यूथ अवार्डी समाजसेवी मनीष दीक्षित, शैलेन्द्र बिहारिया, राजू सोनी, दीप मालवीय, मीना खण्डेलवाल, धनंजय सिंह ठाकुर, सतीश सलामे, राकेश मन्नासे, रामदीन, रेखा निनावे, कराते खिलाड़ी एवं बड़ी संख्या में युवा शामिल हुए। मुख्य अतिथि श्री ठाकुर ने संगोष्ठी में कहा कि किसी भी पुस्तक को लिखना या उसका सम्पादन करना आसान नहीं है। यदि पुस्तक संग्रह के रुप में है तो यह कई विचारों का समावेशित दस्तावेज होती है। कोराना काल की वास्तविकता का सटिक चित्रण इस संकलन में है। उन्होंने इस अवसर पर नेहरु युवा केन्द्र से अधिक अधिक युवाओं से जुडऩे का आह्वान भी किया।
पढ़ते वक्त रोंगटे खड़े हो जाते है- गौर
संगोष्ठी में आपदा को लेकर अभी भी सतर्क रहने की आवश्यकता पर विस्तृत चर्चा की गई। पूर्व डीवायसी श्री गौर ने आपदा में आपबीती संकलन बहुत ही संवेदनशील व प्रभावशाली है। इसे पढ़ते वक्त रोंगटे खड़े हो जाते है। उन्होंने गौरी की सराहना करते हुए कहा कि बचपन से ही वह जुझारु रही है। उन्होंने बताया कि नेहरु युवा केन्द्र से जुड़े संगठन हर गांव में है जो शासन की योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के साथ-साथ जागरुकता का श्रेष्ठ माध्यम बन सकते है। श्रीमती पदम ने कहा कि नेहरु युवा केन्द्र में ही उन्होंने जरुरतमंदों की मदद का ककहरा सीखा है। जिले से राष्ट्रीय युवा पुरुस्कार तक का सफर इसी केन्द्र शासित संस्था की वजह से वह कर पाई। उन्होंने कहा कि नेहरु युवा केन्द्र प्रभारी डीवायसी के भरोसे है, न अकाउंटेट है और न ही भृत्य। ऐसे में युवाओं की यह संस्था अब अपना वजूद खोती जा रही है। इस दिशा में भी शासन को गंभीरता से सोचकर वापस युवाओं की संस्थाओं के प्रति चिंता करनी होगी। संगोष्ठी में सामाजिक कार्यों एवं कोरोना काल में सेवा के कई उदाहरणों के माध्यम से धीरज गौर द्वारा भी अपनी बात रखी गई। संगोष्ठी के आयोजन एवं सफलता पूर्वक संचालन में स्वयं सेवक धनंजय सिंह ठाकुर की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
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