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1901 के बाद से 2024 भारत में रहा सबसे गर्म साल, तोड़ा 2016 का रिकॉर्ड, IMD का दावा

By,वामन पोटे

मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी)

1901 के बाद से 2024 भारत में रहा सबसे गर्म साल, तोड़ा 2016 का रिकॉर्ड, IMD का दावा
साल 2024 खत्म हो गया है. दुनियाभर में लोगों ने जोर शोर के साथ नए साल का स्वागत किया. इस बीच जाते जाते ये साल एक नया रिकॉर्ड बना गया है. 2024 ने साल 2016 का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 1901 के बाद से सबसे ज्यादा गर्म साल रहने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया.भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक 2024 भारत में 1901 के बाद से सबसे गर्म साल रहा, जिसमें औसत न्यूनतम तापमान सामान्य से 0.90 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा.

वर्चुअल प्रेस ब्रीफिंग में विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने जानकारी देते हुए बताया कि 2024 में पूरे भारत में सालाना औसत भूमि सतही वायु तापमान दीर्घकालिक औसत (1991-2020 अवधि) से 0.65 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था. साल 2024 अब 1901 के बाद से सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज किया गया है, इसने 2016 को पीछे छोड़ दिया है जिसमें औसत तापमान सामान्य से 0.54 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया था.

2024 भारत में 1901 के बाद से सबसे गर्म साल रहा

यूरोपीय जलवायु एजेंसी कॉपरनिकस के अनुसार, 2024 विश्व स्तर पर सबसे गर्म वर्ष होने की उम्मीद है, जिसमें औसत तापमान पहली बार पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस की महत्वपूर्ण सीमा को पार कर जाएगा. वहीं वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन और क्लाइमेट सेंट्रल की एक संयुक्त समीक्षा में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि 2024 में पिछले सालों की तुलना में दुनिया भर में औसतन 41 अतिरिक्त दिनों की    भीषण गर्मी देखी गई.

नवबंर का महीना भी रहा गर्म

इससे पहले नवबंर के महीना भी काफी गर्म रहा था. आमतौर पर नवंबर के महीने से ठंड की शुरूआत हो जाती है, लेकिन इस बार वैसी सर्दी नहीं पड़ी. मौसम विभाग ने बताया था कि 1901 के बाद से दूसरा सबसे गर्म नवंबर रहा है. जब औसत अधिकतम तापमान 29.37 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो मौसम के सामान्य 28.75 डिग्री से 0.623 डिग्री ज्यादा था.

वहीं अक्टूबर का महीना भी
1901 के बाद सबसे गर्म रहा था. मौसम विभाग ने बताया था कि इस महीने में औसत तापमान सामान्य से 1.23 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया. आईएमडी के महानिदेशक महापात्र ने गर्म मौसम के लिए पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति और बंगाल की खाड़ी में सक्रिय कम दबाव प्रणालियों को जिम्मेदार ठहराया था. मौसम विभाग ने इस बार शीतलहर वाले दिन कम रहने की उम्मीद जतई थी.

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