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मांझी सैनिकों पर झूठे आरोप से आदिवासी समाज में आक्रोश  मांझी सरकार के दिल्ली प्रतिनिधि ने एडिशनल एसपी के सामने कहा गैर आदिवासी से शादी करने पर हाथ पैर काट दिए जाए निर्दोष मांझी सैनिकों को आतंकवादी बताने पर जताई आपत्ति, एडिशनल एसपी को सौंपा ज्ञापन चोपना पुलिस पर राजनीतिक दबाव में कार्रवाई करने का आरोप बंगाली समुदाय पर अवैध कब्जे और आरक्षण के दुरुपयोग के आरोप

By,वामन पोटे

मांझी सैनिकों पर झूठे आरोप से आदिवासी समाज में आक्रोश

 मांझी सरकार के दिल्ली प्रतिनिधि ने एडिशनल एसपी के सामने कहा गैर आदिवासी से शादी करने पर हाथ पैर काट दिए जाए
निर्दोष मांझी सैनिकों को आतंकवादी बताने पर जताई आपत्ति, एडिशनल एसपी को सौंपा ज्ञापन
चोपना पुलिस पर राजनीतिक दबाव में कार्रवाई करने का आरोप
बंगाली समुदाय पर अवैध कब्जे और आरक्षण के दुरुपयोग के आरोप
बैतूल। चोपना थाना क्षेत्र में दर्ज अपराध क्रमांक 31/25 को लेकर मांझी सरकार के सैनिकों और आदिवासी समाज ने चोपना पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मांझी सरकार के भारत प्रतिनिधि श्रवण कुमार परते ने कहा कि आदिवासी युवती को बहला-फुसलाकर ले जाने और शारीरिक शोषण करने वाले बंगाली युवक के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय पुलिस ने मांझी सैनिकों के खिलाफ झूठा मामला दर्ज कर लिया। इस मामले में माझी सरकार ने एडिशनल एसपी को ज्ञापन सौंपकर उचित कार्रवाई करने की मांग की। यह मामला उस समय सामने आया जब मांझी सैनिक पीड़िता के माता-पिता के साथ उसे छुड़ाने के लिए विष्णुपुर गए थे। वहां से महिला को लाने के बाद आरोपी पक्ष ने मांझी सैनिकों पर झूठी शिकायत दर्ज करा दी। इस कार्रवाई से आदिवासी समाज में आक्रोश व्याप्त है।
ज्ञापन पढ़ने दौरान मांझी सरकार के दिल्ली प्रतिनिधि वस्तु सिंह सलाम ने एडिशनल एसपी के सामने कठोर सजा के बयान देकर सनसनी फैला दी। उन्होंने एडिशनल एसपी के सामने मांग रखी कि अगर कोई आदिवासी लड़की गैर-आदिवासी व्यक्ति से शादी करती है, तो उसके हाथ और पैर काट दिए जाएं।
– पुलिस पर राजनीतिक दबाव में काम करने का आरोप
मांझी सरकार के जिला अध्यक्ष नौरंग सिग आहके ने कहा कि पुलिस ने राजनीतिक दबाव में आकर निर्दोष मांझी सैनिकों के खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया है। जिला मंत्री रामकिशोर धुर्वे ने बताया कि चोपना थाना प्रभारी ने निर्दोष आदिवासी समाज के लोगों को आतंकवादी तक कह दिया, जिससे समाज में रोष फैल गया है। संगठन के सदस्यों ने मांग की कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और निर्दोष मांझी सैनिकों पर दर्ज मामला खारिज किया जाए।
– बंगाली समुदाय पर अतिक्रमण और आरक्षण के दुरुपयोग के आरोप
मांझी सरकार के जिला सचिव राजकुमार उइके ने कहा कि बंगाली समुदाय ने आदिवासी महिलाओं को बहला-फुसलाकर उनके नाम पर जमीन और राजनीतिक आरक्षण का दुरुपयोग किया है। 1972 में भारत सरकार द्वारा बसाए गए बंगाली समुदाय ने तय सीमा से अधिक जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है। संगठन ने मांग की है कि बंगाली समुदाय के इन कब्जों को तुरंत हटाया जाए और जो आदिवासी महिलाएं गैर-आदिवासी व्यक्तियों से विवाह करती हैं, उनके जाति प्रमाण पत्र और आरक्षण को रद्द किया जाए।
– आदिवासी समाज की भावनाओं को ठेस पहुंचाने पर जताई आपत्ति
मांझी सरकार ने यह भी आपत्ति जताई कि कुछ समाचार पत्रों ने मांझी सैनिकों को आतंकवादी बताकर उनकी छवि खराब की है। भारत प्रतिनिधि श्रवण कुमार परते ने कहा कि यह आदिवासी समाज की भावनाओं पर गहरा आघात है। संगठन ने इस खबर का खंडन करते हुए कहा कि मांझी सैनिक संविधान का पालन करते हैं और मानव सेवा ही उनका उद्देश्य है।
– उग्र आंदोलन की चेतावनी
मांझी सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर निर्दोष सैनिकों पर दर्ज झूठे मामले को तुरंत खत्म नहीं किया गया और निष्पक्ष जांच नहीं हुई तो आदिवासी समाज उग्र आंदोलन करेगा। संगठन ने कहा कि आंदोलन से उत्पन्न किसी भी स्थिति की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
– सैकड़ों सैनिकों ने दिया ज्ञापन
चोपना थाना में दर्ज मामले के खिलाफ एडिशनल एसपी को सौंपे गए ज्ञापन में मांझी सरकार के सैकड़ों सैनिक उपस्थित रहे। ज्ञापन देने वालों में भारत प्रतिनिधि श्रवण कुमार परते, जिला अध्यक्ष नौरंग सिग आहके, जिला मंत्री रामकिशोर धुर्वे और जिला सचिव राजकुमार उइके समेत कई अन्य शामिल थे। संगठन ने साफ तौर पर कहा है कि वे निर्दोष आदिवासी सैनिकों के साथ किसी भी अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे।

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