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37 लाख हेक्टेयर बंजर और उजाड़ वन निजी हाथों में देने की तैयारी, जयस संगठन बैतूल ने किया विरोध

By, वामन पोटे

37 लाख हेक्टेयर बंजर और उजाड़ वन निजी हाथों में देने की तैयारी, जयस संगठन बैतूल ने किया विरोध

वन विभाग के नए प्लान को आदिवासियों के लिए बताया खतरा, राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन

बैतूल। मध्यप्रदेश में 37 लाख हेक्टेयर उजाड़ और बंजर वन भूमि को निजी कंपनियों को सौंपने की योजना पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन बैतूल ने इस फैसले का खुलकर विरोध किया है और राज्यपाल मंगूभाई पटेल के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर इसे निरस्त करने की मांग की है। जयस ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर इस प्रस्ताव को वापस नहीं लिया गया तो प्रदेशभर में आंदोलन छेड़ा जाएगा।

जयस ने ज्ञापन में बताया कि वन विभाग अंग्रेजों की नीतियों को ही आगे बढ़ा रहा है और भारतीय संविधान में जनजातीय समुदाय को मिले अधिकारों की लगातार अनदेखी कर रहा है। संगठन ने आरोप लगाया कि 1927 में बने भारतीय वन अधिनियम और उसके बाद के संशोधनों का दुरुपयोग करते हुए वन विभाग आदिवासियों के हक छीन रहा है।

वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक असीम श्रीवास्तव ने हाल ही में सार्वजनिक रूप से कहा था कि राज्य में 37 लाख हेक्टेयर उजाड़ और बंजर वन भूमि उपलब्ध है, जिसे लीज पर देने की योजना बनाई जा रही है। जयस का आरोप है कि सरकार बिना किसी वैधानिक जांच के इस भूमि को उद्योगपतियों को सौंपने जा रही है, जबकि यह भूमि वास्तव में आदिवासी समुदाय के परंपरागत उपयोग की है।

जयस ने 10 बड़े सवाल उठाए हैं, जिसमें पूछा गया है कि सरकार के पास इस भूमि का पूरा रिकॉर्ड है या नहीं? क्या यह जमीन सच में उजाड़ और बंजर है या फिर इसे जबरदस्ती इस श्रेणी में रखा गया है? क्या वन विभाग ने इस भूमि को आरक्षित या संरक्षित घोषित करने के लिए वैधानिक प्रक्रियाओं का पालन किया है?

जयस ने इस फैसले को वन अधिकार कानून 2006 का उल्लंघन बताते हुए कहा कि यह कानून आदिवासियों और अन्य परंपरागत वनवासियों के हक की गारंटी देता है, लेकिन वन विभाग इसे मान्यता देने को तैयार नहीं है।

संगठन ने साफ कहा है कि अगर सरकार इस फैसले को वापस नहीं लेती तो जयस पूरे प्रदेश में तहसील, जिला, संभाग और राज्य स्तर पर आंदोलन करेगा और भूख हड़ताल भी शुरू करेगा। जयस ने चेतावनी दी है कि अगर आदिवासियों के हक की अनदेखी जारी रही तो सरकार की जिम्मेदारी होगी कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब न हो। इस ज्ञापन की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री मोहन यादव, वन मंत्री दिलीप अहिरवार, मुख्य सचिव और प्रधान मुख्य वन संरक्षक को भी भेजी गई है। ज्ञापन देने वालों में जयस जिला प्रभारी बैतूल और जयस कार्यकर्ता शामिल रहे।

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