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बैतूल जिले के जनप्रतिनिधि और अधिकारी ठेकेदारो के साथ समय पर काम पूरा नहीं फिर भी पेनाल्टी नहीं

By,वामन पोटे

बैतूल जिले के जनप्रतिनिधि और अधिकारी ठेकेदारो के साथ
समय पर काम पूरा नहीं फिर भी पेनाल्टी नहीं

जल निगम की 618 करोड़ की योजना लटकी:3 साल में केवल 20 से 30 प्रतिशत काम हुआ ; कांग्रेस ने ठेकेदारों को टर्मिनेट करने की मांग की

बैतूल।।मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में चल रहे बड़े निर्माण कार्यों को ठेकेदार निर्धारित समय सीमा में पूरा नहीं कर रहे हैं इन योजनाओं में शासन की 5 साल से लेकर 15 साल की गारंटी ठेकेदार की है परंतु राजनेताओं और विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से ठेकेदारों को बड़ा आर्थिक लाभ पहुंचाया जा रहा है। इधर जल निगम की जिले भर में चल रही योजनाओं को पूर्ण करने की समय सीमा 2024 में ही खत्म हो गई है परंतु राजनेता और अधिकारी जल निगम के रिवाइज स्टीमेट बनवाकर अधूरे कामों में पेनाल्टी से ठेकेदारों को संरक्षण दे रहे है।इसी तरह पीएचई विभाग में भी दर्जनों योजनाओं के रिवाइज स्टीमेट बनाकर भोपाल भेजे जाने की खबर सुर्खियां बटोर रही हैं जिससे ठेकेदार योजनाओं को समय पर पूरा नहीं कर रहे हैं और न ही उन पर विभाग पेनाल्टी लगा रहा है।ऐसे ही मामले पीआईयू विभाग में भी करोड़ों की लागत से बनने वाले शाला भवनों का है जिससे इन योजनाओं का लाभ समय पर नहीं मिल रहा है।बैतूल जिले के जनता के प्रतिनिधि अपने स्वार्थ के चलते ठेकेदारों की मदद करते नजर आ रहे है

इधर जल निगम ने मार्च 2026 तक परियोजनाओं को पूरा करने का दावा किया।

मध्यप्रदेश जल निगम की महत्वाकांक्षी योजना में बैतूल के 545 गांवों तक पानी पहुंचाने का काम धीमी गति से चल रहा है। 618.1 करोड़ रुपए की इस योजना में तीन साल बाद भी अधिकतम 40% काम ही पूरा हो सका है।

मुंबई की विक्रान इंजीनियरिंग और भोपाल की एल एन मालवीय इंफ्रा प्रोजेक्ट कंपनी को चार योजनाओं का काम मिला है। विक्रान इंजीनियरिंग को घोघरी समूह जल योजना के तहत आमला, मुलताई और प्रभात पट्टन के 162 गांवों में पानी पहुंचाने का काम 215.55 करोड़ में मिला था। कंपनी ने अब तक 40% काम पूरा किया है।
केवल 16 से 28% काम ही पूरा हुआ है 
वहीं एल एन मालवीय को तीन योजनाओं का काम मिला है। गढ़ा से 51 गांव, वर्धा से 91 गांव और मेंढ़ा से 241 गांवों तक पानी पहुंचाना है। इन तीन योजनाओं की कुल लागत 71.24 करोड़, 134.59 करोड़ और 322.33 करोड़ रुपए है। कंपनी ने अब तक केवल 16 से 28% काम ही पूरा किया है।
कंपनियों को और समय देने की तैयारी
सभी योजनाओं को 13 मार्च 2025 तक पूरा होना था। कई गांवों में योजना में बदलाव के कारण कंपनियों को पेनल्टी से छूट मिल रही है। अब दोनों कंपनियों को एक साल का अतिरिक्त समय देने की तैयारी चल रही है।
50 करोड़ का भुगतान किया गया 
मुंबई की कंपनी विक्रान को ताप्ती नदी पर बन रहे घोघरी डैम से 162 गांवों में पानी पहुंचाना है। इसके लिए कंपनी से 5 सितंबर 2022 को अनुबंध किया गया था। 215.55 करोड़ की योजना 28 दिसंबर को पूरी होनी थी। निगम उसे अब तक परियोजना लागत का 22 फीसदी से ज्यादा की रकम यानि लगभग 50 करोड़ का भुगतान कर चुका है।
29 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं
जबकि एल एन मालवीय की कंपनी को गढ़ा योजना की कुल लागत 54.34 करोड़ का 12.25 फीसदी, वर्धा की कुल लागत 102.88 करोड़ का 14.60 प्रतिशत और मेंढ़ा के 245.33 करोड़ के 11.93 फीसदी यानी 29 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है।
धीमी रफ्तार से चल रहा काम
 काम की धीमी रफ्तार के कारण घोघरी योजना में अभी भी इंटेकवेल का 14 मीटर काम बाकी है, जबकि 10 किमी रॉ वाटर पाइपलाइन में से 4 किमी अभी भी डालना बाकी है। जल शोधन संयंत्र का निर्माण अब तक शुरू नहीं हुआ है। 37 किमी क्लियर वाटर पाइपलाइन में से 20 किमी और 449 किमी ग्रेविटी पाइपलाइन में से 324 किमी का काम अभी भी अधूरा है। जल वितरण पाइपलाइन में भी 232 किमी में से 134 किमी का काम बाकी है। इस योजना के तहत 11 हजार 452 नल कनेक्शन दिए जाने थे, लेकिन अब तक इस पर कोई काम शुरू नहीं हुआ है।
गढ़ा, वर्धा और मेंढ़ा योजनाओं की स्थिति भी कुछ अलग नहीं है। इन तीनों योजनाओं में घरेलू कनेक्शन का कोई काम नहीं हुआ है। जल शोधन संयंत्र का 75% से 90% तक काम अभी भी अधूरा है। वाटर पंपिंग पाइपलाइन और ग्रेविटी लाइन का ज्यादातर काम भी अब तक पूरा नहीं हो सका है। इन तीनों योजनाओं में करीब 15 हजार कनेक्शन दिए जाने हैं, लेकिन ये काम भी अभी तक शुरू नहीं हुआ है।
निगम की सफाई- पेनल्टी लगाएंगे
इस मामले में निगम की चारों परियोजनाओं की निगरानी कर रहे सब इंजीनियर नीलेश सिंह का कहना है कि घोघरी अगस्त से जबकि मेंढ़ा,वर्धा, गढ़ा मार्च 23 से चालू हुई। शुरुआत में टेंडर में जो गांव थे उनके हिसाब से सर्वे और काम होना था। लेकिन बीच में कुछ गांवों के नाम बदल दिए गए जिसकी वजह से डिजाइन में चेंज आया। इसकी वजह से 9 माह से एक साल की देरी हुई। अब नई डिजाइन के हिसाब से काम हो रहा है। अभी हमने ठेकेदार पर कुछ पेनल्टी के लिए अनुशंसा की है। उस आधार पर समयवृद्धि का प्रस्ताव भेजा है। उनका दावा है कि मार्च 2026 तक चारो परियोजनाओं को पूरा कर लेंगे।
बैतूल विधायक ने जताई नाराजगी 
योजना में सबसे ज्यादा बैतूल विधान सभा के 258 गांवों को कवर किया जाना है। इसमें मुलताई विस के 249 गांवों तक पानी पहुंचना है। जबकि आमला विस के महज 12 और घोड़ाडोंगरी 2 ,भैंसदेही के 24 गांव शामिल किए गए है। चुनाव के दौरान बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल ने इस योजना को लेकर कई वादे भी किए थे। इसलिए इस योजना में हो रही देरी से वे नाराज हैं। उन्होंने योजना को लेकर विभागीय अधिकारियों के समाने अपनी नाराजगी भी व्यक्त की है।
कांग्रेस ने पेनाल्टी और टर्मिनेशन की मांग की
कांग्रेस के पूर्व विधायक निलय डागा का कहना है कि ये योजना 2018 में कमलनाथ सरकार के समय स्वीकृत की गई थी। इसमें देरी से ग्रामीण जनता को पेयजल के लिए जो सुविधा समय पर मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिल पा रही है। इसमें सरकार की लापरवाही है। जिन ठेकेदारों ने ये काम कंप्लीट नहीं किया है उन्हें टर्मिनेट करना चाहिए और पेनल्टी लगाई जानी चाहिए। इसकी रिटेंडरिंग कर काम में गति लाई जानी चाहिए।

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