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60 साल से एक ही फैसला , नहीं हुए पंचायत चुनाव भीड़ से आवाज आती है…चुन लिए जाते हैं पंच-सरपंच:

Waman Pote

भीड़ से आवाज आती है…चुन लिए जाते हैं पंच-सरपंच:बुरहानपुर में 60 साल से एक ही ट्रेंड, नहीं हुए पंचायत चुनाव

बुरहानपुर।।
मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव तीन चरण में होने जा रहे हैं। पहले चरण में 25 जून को, दूसरे चरण 1 जुलाई को और तीसरे चरण में 8 जुलाई को मतदान होगा, लेकिन मतदान से पहले ही प्रदेश में कई पंचायतों में निर्विरोध सरपंच और पंचों का चुनाव कर लिया गया है। बुरहानपुर जिले में एक ऐसी ही पंचायत मांजरोद है। यहां बीते 60 सालों से पंच और सरपंच निर्विरोध ही चुने जा रहे हैं। यहां गांव के लोगों की बैठक होती है। बैठक में नाम पर चर्चा के बाद भीड़ से आवाज आती है, जो बताती है कि किसे पंच और किसे सरपंच चुना जाए।

बहुमत के आधार पर तुरंत फैसला कर लिया जाता है। इस बार महिला अजजा सीट होने से सरपंच सहित यहां सभी 12 पंच पदों पर महिलाएं निर्विरोध निर्वाचित हुई हैं। इस पंचायत को मप्र सरकार से 15 लाख का इनाम भी मिलेगा, क्योंकि यहां निर्वाचन पूरी तरह निर्विरोध हुआ है।

इस बार ये महिलाएं हुई निर्वाचित

सरपंच लाड़की बाई कृष्ण, उपसरपंच ललिता बाई विष्णु जगताप, पंच शामली बाई कन्हैया, मनीषा हीरालाल, पार्वती नंदु, सुंदर पंढरीनाथ, दीपाली गणेश, द्रोपति हीरालाल, पूजा अबासाहेब, आशा बी अकील, चंदाबाई बिश्राम, लक्ष्मी बाई केशव।

सालों से चली आ रही परंपरा

यहां सालों पहले पटेल चुनने की परंपरा को अब भी कायम रखकर सरपंच, पंच का चयन किया जाता है। पंचायत चुनाव के दौरान गांव के लोग बैठक में ही नामों पर विचार करते हैं। भीड़ से आवाज आती है, यह अच्छा काम कर रहा है। इस बार इसे पंच चुन लो, इसे सरपंच लो। तब बहुमत देखा जाता है कि ज्यादा बहुमत किधर है और तुरंत फैसला कर लिया जाता है। ऐसे में विवाद की स्थिति बनने की कोई आशंका भी नहीं होती।

इसलिए है गिनीज बुक की राह पर

खास बात यह है कि यह गांव ग्रामीण विकास विभाग के रिकॉर्ड में गरीबी मुक्त गांव भी कहलाता है। पंचायत को गिनीज बुक में दर्ज कराने की तैयारी की जा रही है, क्योंकि यह साधन संपन्न गांव है। रोड से लेकर स्कूल, आंगनबाड़ी, जिम, मंगल भवन, नल जल कनेक्शन सहित अन्य सुविधाएं यहां पर मौजूद है। 60 साल से किसी भी जाति का आरक्षण हो यहां निर्विरोध निर्वाचन की परंपरा पर कोई असर नहीं पड़ता।

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यहां की गलियों से लेकर सड़कें तक चमचमाती नजर आती हैं।

गांव में मंगल भवन ही नहीं ग्रामीणों के लिए जिम भी बना है।

हर घर के बाहर नल कनेक्शन है। लोग पानी के लिए नहीं भटकते।

नियमित रूप से साफ सफाई होती है। कहीं जरा सा कचरा नजर नहीं आता।

बच्चों के लिए 2 आंगनवाड़ी भवन हैं। कोई केंद्र किराए के भवन में नहीं चलता।

बच्चों के लिए स्कूल, शिक्षकों की पर्याप्त व्यवस्था।

खोकरी नदी एक बैराज जिससे फसलें सींची जाती है। खेती में भी नंबर एक गांव।

आपराधिक गतिविधियों से काफी दूर, क्योंकि यहां शराब बिक्री पर पूरी तरह बंद।

साफ सफाई के मामले में गांव को 2007 में राष्ट्रपति से निर्मल ग्राम सम्मान मिला।

गांव के हर घर में पक्के शौचालय, मुख्य मार्ग डामरीकृत, गांव की गलियां सीमेंट कांक्रीट।
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