बैतूल के मजदूर हैदराबाद में बंधुआ:3 महीने पहले 30 मजदूर गए, मजदूरी नहीं मिलने पर 9 लौटे, SP से की शिकायत
बैतूल।।
काम के नाम पर दक्षिण भारतीय शहरों में जाने वाले आदिवासियों से बंधुआ मजदूरी कराने की वारदातें थम नहीं रही है। सोमवार ऐसा ही मामला सामने आया जब हैदराबाद से ठगे गए नौ मजदूरों ने बैतूल पहुंचकर तीन महीने की मजदूरी दिलाए जाने की मांग की। परेशान मजदूर किसी तरह हैदराबाद से तो भाग आए लेकिन बैतूल से गांव जाने तक के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। मोहदा से करीब तीस मजदूर तीन महीने पहले जयंतपुर हैदराबाद गए थे। जहां उनसे तीन महीने तक काम तो करवाया गया लेकिन मजदूरी नहीं दी गई। किसी तरह गांव से खाते में रुपए डलवाकर वे लोग आज बैतूल पहुंचे।
वापस लौट कर आए मजदूर अपनी फरियाद लेकर एसपी कार्यालय पहुंचे। मजदूर सर्जन सिरसाम ने बताया की उन्हें तीन महीने पहले छिंदवाड़ा निवासी एजेंट कमल धुर्वे यह झांसा देकर हैदराबाद ले गया था की वहां दाल कंपनी में दस हजार रुपए प्रति माह काम दिया जाएगा। मोहदा से तीस मजदूरों को कमल ने भिजवा तो दिया लेकिन, वहां उन्हे कंक्रीट के काम पर लगा दिया गया। यहां उनसे तीन महीने तक काम लिया गया जिसकी एवज में कोई मजदूरी नहीं दी गई। उन्हें हर सप्ताह खर्च के लिए दो सौ रुपए और खाना पीना दिया जाता था। इसी वजह से तीस में से कई मजदूर अलग अलग समय पर वहां से भाग आए। तो दो दिन पहले वे नौ मजदूर वापस आए है। नौ मजदूर अभी भी वहीं है। उनके पास भी लौटने के रुपए नही थे। घर से रुपए बुलवाकर वे किसी तरह से लौटे है।
घर लौटने में शर्मिंदगी, किस मुंहं से लौटे घर
हैदराबाद से खाली हाथ लौटे मजदूरों में तीन युवती और छह युवक शामिल है। वे शनिवार हैदराबाद से लौट तो गए लेकिन अब अपने गांव मोहदा जाने के लिए उनके पास रुपए नही है। दुर्गा इवने ने बताया की वे जिस तरह खाली हाथ लौटे है। उनकी हिम्मत नही है की घर वापस जा पाए। खाली हाथ लौटने और घर वालों के पास बगैर रुपए जाने से उन्हें शर्मिंदगी हो रही है। वे जाते समय घर वालों को बोल गए थे कि हजारों रु लेकर लौटेंगे।लेकिन यहां तो खाने के भी लाले पड़े हुए है। दो दिन से एक मित्र के घर ठहरे हुए है। वे चाहते है की उन्हें उनकी मजदूरी मिल जाए।