अमृतमंथन
भाजपा
मुलताई ,आमला ,शाहपुर ,बैतूल भाजपा में बगावत ?
संगठन ,सत्ता और संघ के माथे पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही है
सुखदेव को हल्के में लेना भाजपा को पड़ा भारी:
मुलताई में एक सप्ताह पहले ही लिखी
जा चुकी थी बीजेपी से बगावत की पटकथा
भाजपा को हार के बाद भी विभीषण नही मिले
बैतूल।।भाजपा में राजनीति के चतुर खिलाड़ी भी मुलताई की नब्ज पकड़ने में फेल हो गए ।हालांकि मुलताई ही नही आमला और बैतूल नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव में भी भाजपा में बगावत हुई।शाहपुर में टिकट वितरण से नाराज होकर 40 भाजपा के कार्यकर्ताओ ने भाजपा को बायबाय कर दिया था और निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत भी गए और अध्यक्ष भी बना लिया अब भाजपा उन्हें अपने खेमे में लेने के लिए पापड़ बेल रही है। मुलताई आमला और शाहपुर में यह बगावत सफल भी हो गई।मुलताई में भाजपा को समाज और सीएम के करीबी किराड़ समाज को साधने की कवायद फल फूल नही सकी ।
भाजपा खेमे में अध्यक्ष के नाम पर मची खींचतान और गुटबाजी का फायदा उठाकर यहाँ कांग्रेस ने कब सेंधमारी की भाजपा के दिग्गजों को पता ही नही चला ।
भीतरघात और गुटबाजी से सत्ता गंवाने वाली भाजपा को बहुमत के बावजूद बगावत का अंदेशा ही नही था।अब भाजपा संगठन ,सत्ता और संघ के माथे पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही है।
वही दूसरी ओर भाजपा के पार्षद के पद से त्यागपत्र देने के बाद भी विभीषण भी नही मिल सके है, जिससे भाजपा की जिले और प्रदेश में जमकर जग हँसाई हो रही है।
मुलताई में नगर पालिका चुनाव में भाजपा की करारी हार की पटकथा एक सप्ताह पहले ही लिखी जा चुकी थी। बताया जा रहा है कि इस पटकथा के बाद ही मुलताई से चार कांग्रेसी पार्षदों को गोवा रवाना किया गया था,
भाजपा की ओर से कौन से दो अन्य पार्षद क्रॉस वोटिंग करेंगे, इसको लेकर चर्चा पहले ही पूरी हो चुकी थी।
वहीं यह भी तय हो गया था कि किस तरह पहले कांग्रेस की ओर से भी अध्यक्ष पद का फॉर्म भरवा जाएगा और बाद में वह फॉर्म वापस लिया जाएगा। भाजपा की ओर से जीत के लिए कांग्रेस को दो वोटों की आवश्यकता थी, यह दो वोट कौन से होंगे एवं किस तरह कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार नीतू परमार को मिलेंगे, इसको लेकर भी पूरी बातचीत फाइनल हो चुकी थी।
मुलताई के विधायक सुखदेव पांसे को भाजपा द्वारा हल्के में लिया जा रहा था। कहा जा रहा था कि भाजपा के लिए भाजपा के अलावा कांग्रेस के भी दो अन्य पार्षद वोटिंग करेंगे, लेकिन सोमवार को जो हुआ उससे असलियत सामने आ गई कि सुखदेव पांसे की फील्डिंग कितनी मजबूत थी और उनकी राजनीतिक दूरदर्शिता कितनी सटीक है।
बगावत होने के बाद भी भाजपा नेताओं ने कोई कदम नहीं उठाया
ऐसा नहीं है कि भाजपा पार्षद नीतू परमार द्वारा ऐन मौके पर बगावत की गई। इस बगावत की जानकारी 5 दिन पहले ही भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को थी, लेकिन इन वरिष्ठ नेताओं ने आवश्यक कदम नहीं उठाए। अगर भाजपा के नेता चाहते तो इस बगावत को रोका जा सकता था,लेकिन भाजपा द्वारा इस बगावत को हल्के में लिया जा रहा था।जिसका परिणाम यह हुआ कि मुलताई नगरपालिका भाजपा के हाथ से निकल गई।
पांसे ने पलट दी बाजी
सूत्र बताते है कि 5 दिन पहले ही नगर पालिका अध्यक्ष नीतू परमार के पति पहलाद परमार विधायक सुखदेव पांसे से मिले थे, जहां बैठक के बाद यह तय हुआ था कि कांग्रेस के पार्षद उन्हें समर्थन देने के लिए तैयार है,लेकिन कांग्रेस के पास केवल 6 पार्षद थे, एक नीतू परमार के बाद भी आंकड़ा बहुमत पर नहीं पहुंच रहा था। ऐसे में भाजपा के दो और पार्षदों की आवश्यकता थी।
भाजपा की ओर से क्रॉस वोटिंग होने की संभावना कम नजर आ रही थी, ऐसे में सुखदेव पांसे रिस्क नहीं लेना चाह रहे थे, लेकिन जब प्रह्लाद परमार द्वारा उन्हें इसका भरोसा दिलाया कि वह 2 पार्षद ले आएंगे उसके बाद तय हुआ कि नीतू परमार को कांग्रेस समर्थन देगी और कल इसे अंजाम तक पहुंचाया गया।इधर भाजपा के जिला अध्यक्ष बबला शुक्ला ने कहा कि मुलताई में भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ने के मामले में नीतू परमार के खिलाफ पार्टी से निष्कासन का पत्र प्रदेश संगठन को भेजा जा रहा है ।