गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देकर बना रहे होनहार, कई स्टूडेंट्स आज बड़ी कंपनियों में करते हैं काम
By बैतूल वार्ता
गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देकर बना रहे होनहार, कई स्टूडेंट्स आज बड़ी कंपनियों में करते हैं काम
Sep 11, 2022
समाजसेवी और स्ट्रीट स्कूल संचालक सतीश शर्मा ने बताया कि 2008 में मैंने पहला स्कूल नवादा गांव में शुरू किया था। आज 3 सेंटर मथुरा में अलग-अलग संचालित हैं। सतीश शर्मा ने अपने पिताजी कैलाश चंद शर्मा को प्रेरणा का स्रोत बताया। उन्होंने यह भी बताया कि गरीबों के बच्चों को मेरे पिताजी नि:शुल्क शिक्षा देते थे। शिक्षा के लिए जागरूक करते थे। पिताजी की प्रेरणा से उन बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और आज कई ऐसे छात्र हैं जो कि अच्छी-अच्छी कंपनियों में कार्यरत हैं।
मथुरा : झुग्गी झोपड़ी में शिक्षा की अलख जागाने निकले समाज सेवी आज सैकड़ों बच्चों के जीवन को रौशन करने का काम कर रहे हैं। इस स्ट्रीट स्कूल को चलाने वाले समाज सेवी सतीश शर्मा को न तो किसी तरह का अनुदान मिलता है और न ही सरकारी सहायता। खुले आसमान के नीचे चल रहे स्ट्रीट स्कूल में बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं। फिलहाल ये स्कूल समाज सेवी और दानियों के सहयोग से चल रहा है।
सतीश के पढ़ाए बच्चे कई कंपनियों में हैं कार्यरत
कहानी सतीश की: गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देकर बना रहे होनहार, कई स्टूडेंट्स आज बड़ी कंपनियों में करते हैं काम
मथुरा में झोपड़ी झुग्गी में रहने वाले परिवारों के बच्चों को समाजसेवी सतीश शर्मा पिछले 14 वर्षों से शिक्षा देने का कार्य कर रहे हैं। इतना ही नहीं इन बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ खाने पीने की चीजें और कपड़े भी उपलब्ध कराते हैं। 15 बच्चों से शुरू किया चिल्ड्रन स्टीट स्कूल अब 300 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। एक लंबे अंतराल के बाद भी समाजसेवी सतीश शर्मा का हौसला बरकरार है। बच्चों की बढ़ती हुई संख्या शर्मा को एक ऊर्जा देती है।
समाजसेवी और स्ट्रीट स्कूल संचालक सतीश शर्मा से जब बात की तो उन्होंने बताया कि 2008 में मैंने पहला स्कूल नवादा गांव में शुरू किया था। आज 3 सेंटर मथुरा में अलग-अलग संचालित हैं। सतीश शर्मा ने अपने पिताजी कैलाश चंद शर्मा को प्रेरणा का स्रोत बताया। उन्होंने यह भी बताया कि गरीबों के बच्चों को मेरे पिताजी नि:शुल्क शिक्षा देते थे। शिक्षा के लिए जागरूक करते थे। पिताजी की प्रेरणा से उन बच्चों को पढ़ाना शुरू किया और आज कई ऐसे छात्र हैं जो कि अच्छी-अच्छी कंपनियों में कार्यरत हैं।
झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रहे सतीश शर्मा
स्ट्रीट स्कूल संचालक ने बताया कि कोई सरकारी अनुदान नहीं मिलता है। सामाजिक संस्थाएं बच्चों के लिए कुछ दान देना चाहती हैं तो वह स्वयं आकर दान दे जाती हैं। किसी का बर्थडे होता है या किसी की शादी की सालगिरह होती है तो वह अपने अनुसार बच्चों को बैग, जूते, चप्पल, बुक और स्टेशनरी आदि का सामान दान दे जाता है। उसी से बच्चों का भरण पोषण और शिक्षा का कार्य चल रहा है। एक दर्जन वॉलिंटियर्स बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा सामाजिक कार्य की भावना से देते हैं। बच्चों को शिक्षा देने में जो भी वॉलिंटियर्स लगे हैं वह सेवा भावना से लगे हुए हैं। कोई भी पैसा वे नहीं लेते हैं।
15 बच्चों से शुरू किया था स्कूल स्ट्रीट
सतीश शर्मा ने जब स्ट्रीट स्कूल की शुरुआत की तो महज उनके पास 15 बच्चे थे। वह अकेले ही इन बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का कार्य करते रहे। मन में बच्चों को पढ़ाने की लगन को देख कारवां बनता चला गया और आज एक बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं और छोटे बच्चे यहां शिक्षा नि:शुल्क ग्रहण करते हैं। झोपड़ी झुग्गियों में रहने वाले बच्चे यहां शिक्षा ग्रहण करने आते हैं।
पोस्ट ग्रेजुएट हैं सामाजिक कार्यकर्ता सतीश शर्मा
सतीश शर्मा मूल रूप से नौहझील के गांव पचहैरा के रहने वाले हैं। सतीश शर्मा की प्राथमिक शिक्षा गांव के ही स्कूल से हुई। हाई स्कूल और इंटर क्षेत्र में ही बने इंटर कॉलेजों से हुई। मथुरा के बीएसए डिग्री कॉलेज से उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की। आगरा दयालबाग से सतीश शर्मा इंजीनियरिंग का डिप्लोमा कर चुके हैं। इतना ही नहीं आगरा विश्वविद्यालय से एमए सोशलॉजी की पढ़ाई भी कर चुके हैं। सतीश शर्मा को ऐसे सैकड़ों मेडल समाज सेवा के लिए मिल चुके हैं।
बता दें कि समाजसेवी इन तीनों स्कूलों में करीब 300 बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का कार्य कर रहे हैं। डेढ़ सौ परिवार के बच्चे इन स्कूल में पढ़कर शिक्षा ग्रहण करने आते हैं।