बैतूल विधायक ने कारपोरेशन के गोदामो में कार्यरत दैनिक श्रमिकों को हटाने के आदेश को वापस लेने सीएम को लिखा पत्र
By बैतूल वार्ता
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कड़ी मेहनत करने वाले श्रमिकों के हितों को लेकर चिंतित विधायक निलय डागा
कारपोरेशन के गोदामो में कार्यरत दैनिक श्रमिकों को हटाने के आदेश को वापस लेने सीएम को लिखा पत्र
बैतूल। कारपोरेशन के गोदामों में अपना पसीना बहाकर काम करने वाले हजारों मजदूरों पर आर्थिक संकट खड़ा हो चुका है, क्योंकि कुछ ही दिनों पहले शासन स्तर पर म.प्र. वेयर हाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कॉर्पोरेशन में कार्य करने वाले दैनिक श्रमिकों को हटाए जाने के आदेश जारी हुए है। जिसके बाद श्रमिकों में आक्रोश नजर आ रहा है। श्रमिकों को आर्थिक संकट में घिरता देख बैतूल विधायक निलय डागा ने दुख व्यक्त करते हुए श्रमिकों और उनके परिवार जनों के हितों को द्रष्टिगत रखते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उक्त निर्णय तत्काल वापस लेने का आग्रह किया है ताकि विभिन्न शाखाओं में कार्यरत श्रमिक मजदूर आर्थिक संकट से उबर सके। श्री डागा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को संबोधित पत्र में उल्लेख किया है कि बैतूल जिले की विभिन्न शाखाओं पर कुल 48 एवं प्रदेश स्तर पर लगभग 4000 दैनिक श्रमिक पिछले 10-12 वर्षो से कार्यरत हैं, लेकिन 14 सितंबर को इनके अहित में निर्णय लेते हुए आउटसोर्स ऐजेंसी के माध्यम से कार्य कराए जाने का का उल्लेख किया गया है, जिससे इन श्रमिकों सहित इनके पूरे परिवार का भविष्य और आर्थिक स्तिथि खतरे में पड़ गयी है। जिससे समस्त दैनिक श्रमिकों में भी रोष व्याप्त है। जबकि ये दैनिक मजदूर म.प्र. वेयरहाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स की रीड़ की हड्डी है।
–मजदूरों की आजीविका सुनिश्चित की जाए–
विधायक श्री डागा ने मजदूरों के भविष्य और उनके परिवार के सुरक्षा और आजिविका सुनिश्चत करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान से आग्रह किया है कि दैनिक मजदूरों की समस्या को दृष्टिगत रखते हुए उक्त पत्र को निरस्त करने हेतू संबंधित विभाग को निर्देशित करते हुए श्रमिकों के हित में निर्णय लिया जाए, ताकि यह श्रमिक अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सके। वहीं दूसरी तरफ संगठन के राहुल यादव का कहना है कि श्रमिक कर्मचारी न्यूनतम वेतन ( कलेक्टर दर) पर गोदामों पर दिन-रात 14 से 16 घण्टे लगातार मजदूरी का कार्य कर जैसेे-तैसे अपना परिवार का पालन-पोषण कर रहे है। कोविड-19 के दौरान भी अपनी जान को जोखिम में डालते हुए निर्भिकता से हम श्रमिकों ने देशहित में अपनी सेवाएं दी ताकि अनाज की कमी न पड़े, लेकिन शासन के इस निर्णय के बाद हजारों परिवारों को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ेगा। अत: शासन को श्रमिकों के हित में यह निर्णय वापस लेना चाहिए।
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