जब जीप घोटाले में गिरफ्तार हुईं इंदिरा गांधी:जनता पार्टी के ऑपरेशन ब्लंडर की पूरी कहानी
By बैतूल वार्ता
जब जीप घोटाले में गिरफ्तार हुईं इंदिरा गांधी:जनता पार्टी के ऑपरेशन ब्लंडर की पूरी कहानी
3 अक्टूबर 1977 का दिन था। CBI के अफसर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के घर पहुंचते हैं और उन्हें चुनाव प्रचार के लिए जीप की खरीदी में भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार करते हैं। उस समय मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार थी और गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह थे।
जनता पार्टी की इस राजनीतिक भूल को ‘ऑपरेशन ब्लंडर’ कहा जाता है। इंदिरा को गिरफ्तारी का नुकसान नहीं बल्कि फायदा हुआ।
आज एक्सप्लेनर में हम इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी की कहानी के बारे में बताएंगे। आखिर क्यों उनकी गिरफ्तारी हुई? यह गिरफ्तारी इंदिरा और कांग्रेस के लिए कैसे संजीवनी साबित हुई?
इमरजेंसी का गुस्सा इंदिरा गांधी को जेल भेजकर निकालना चाहते थे जनता पार्टी के नेता
25 जून 1975 को देश में इमरजेंसी की घोषणा करने से पहले कांग्रेसी नेताओं से बात करती इंदिरा गांधी।
1971 की बात है। लोकसभा चुनावों में कांग्रेस भारी बहुमत के साथ जीतती है। रायबरेली से चुनाव जीतकर इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनती हैं, लेकिन 4 साल बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट चुनाव में धांधली के मामले में उनकी संसद की सदस्यता रद्दद कर देता है। इसके बाद इंदिरा गांधी 25 जून 1975 को पूरे देश में इमरजेंसी लगा देती हैं और सभी विपक्षी नेताओं को जेल भेज देती हैं।
करीब 2 साल बाद 1977 में अचानक लोकसभा चुनाव की घोषणा करती हैं। इस चुनाव में कांग्रेस के साथ ही रायबरेली सीट से इंदिरा गांधी की करारी हार होती है। सरकार बनती है जनता पार्टी की। मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बनते हैं और गृहमंत्री बनते हैं चौधरी चरण सिंह। माना जाता है कि इमरजेंसी में जिस तरह इंदिरा गांधी ने विरोधियों को परेशान किया, उनसे कई नेता नाराज थे।
सरकार बनने के बाद जनता पार्टी की कैबिनेट बैठकों में ये बात उठने लगी कि इंदिरा को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। इन बैठकों में राजनरायण और जॉर्ज फर्नांडिस जैसे नेता होते थे। वहीं चौधरी चरण सिंह जब इमरजेंसी के समय तिहाड़ जेल में बंद थे तो वे कहते थे कि यदि में सत्ता में आता हूं तो इंदिरा को इसी कोठरी में बंद करूंगा। यहां तक कि उस समय अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी भी इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी के फेवर में थे।
कहा जाता है कि जनता सरकार बनने के बाद हर कैबिनेट मीटिंग में इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करने की मांग की जाती थी।
मोरारजी देसाई की शर्त थी- इंदिरा को हथकड़ी नहीं पहनाई जाएगी
चरण सिंह इंदिरा की गिरफ्तारी पर अड़े हुए थे। जबकि उस वक्त के प्रधानमंत्री रहे मोरारजी देसाई और कानून मंत्री शांति भूषण का मानना था कि ऐसा कोई भी कदम बहुत सोच समझकर उठाया जाना चाहिए। इसके बाद चौधरी चरण सिंह ऑपरेशन अरेस्ट पर काम करना शुरू कर देते हैं। वे अपने अफसरों को इंदिरा गांधी पर मजबूत केस बनाने के लिए कहते हैं।
वहीं दूसरी तरफ लोकसभा चुनावों में हार से सहमी इंदिरा गांधी 3 महीने तक बाहर नहीं आती हैं। इसी बीच 27 मई 1977 में बिहार के बेलछी में 11 दलितों की बेरहमी से हत्या कर दी जाती है। चुनाव हारने के बाद चुप्पी साधने वाली इंदिरा को इसमें एक सियासी संभावना दिखती है जो कांग्रेस को फिर से रिवाइव कर सकती है।
बेलछी का इलाका बाढ़ से प्रभावित था। ऐसे में इंदिरा हाथी पर बैठकर गांव में पहुंचती हैं। वे यहां 5 दिन तक रहती हैं। इसके बाद देशभर में हर तरफ इंदिरा की चर्चा थी। इसके बाद वह अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली पहुंचती हैं। यहां पर भी उन्हें लोगों का खूब समर्थन मिलता है।
बिहार के बेलछी में बाढ़ होने के चलते इंदिरा गांधी हाथी पर बैठकर वहां गई थी।
इस तरह का समर्थन देख जनता पार्टी में घबराहट का माहौल बनता है और अब गिरफ्तारी की मांग और तेज हो गई। इसी बीच चरण सिंह SP लेवल के अफसरों की एक लिस्ट मंगवाते हैं। वे इन सभी लोगों के रिकॉर्ड को गौर से देखते हैं। इसके बाद ऑपरेशन अरेस्ट के लिए एक खास अफसर एनके सिंह को चुनते हैं जो उस वक्त CBI में थे। सबसे बड़ी बात है कि इसे पूरे प्लान को बनाते वक्त न तो अटॉर्नी जनरल और न ही सॉलिसिटर जनरल को भरोसे में लिया गया।
इसके बाद चरण सिंह, प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई से इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी की अनुमति लेते हैं। चरण सिंह कहते हैं कि अगर फूल प्रूफ प्लान है तो वह गिरफ्तारी की अनुमति देते हैं, लेकिन एक शर्त भी रखी। कहा- इंदिरा गांधी को हथकड़ी नहीं पहनाई जाएगी।
इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करने वाले CBI अफसर एनके सिंह।
पहले ऑपरेशन अरेस्ट के लिए 1 अक्टूबर का दिन चुना जाता है
प्लान के मुताबिक गिरफ्तारी के लिए 1 अक्टूबर 1977 का दिन चुना जाता है। बताया जाता है कि गृहमंत्री चरण सिंह की पत्नी कहती हैं कि शनिवार का दिन गिरफ्तारी के लिए शुभ नहीं है। यानी यह फलेगा नहीं। इसके बाद 2 अक्टूबर को गांधी जयंती थी। यानी इस दिन भी गिरफ्तारी से गलत संदेश जाने की आशंका थी। ऐसे में उस वक्त DIG रहे विजय किरण ने गृहमंत्री को 2 अक्टूबर के बाद इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करने की सलाह दी।
शाम को गिरफ्तार करने की योजना बनी, ताकि तुरंत जमानत न मिल सके
अब इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करने के लिए 3 अक्टूबर का दिन चुना जाता है। चरण सिंह CBI डायरेक्टर को तलब करते हैं। प्लान बनाया जाता है कि कैसे इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया जाएगा। इसके बाद FIR दर्ज होती है।
आरोप लगाया जाता है कि लोकसभा चुनाव के दौरान रायबरेली में इंदिरा के लिए 100 जीपें खरीदी गई थीं। इनका भुगतान कांग्रेस ने नहीं बल्कि उद्योगपतियों ने किया था। वहीं दूसरा आरोप था- एक फ्रेंच कंपनी को ऑफशोर ड्रिलिंग का कॉन्ट्रैक्ट देने का, जिससे भारत सरकार को 11 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। यह तय होता है कि इंदिरा को शाम को गिरफ्तार किया जाएगा, ताकि वे एक रात जेल में बिता सकें।
मोरारजी देसाई ने चौधरी चरण सिंह से कहा था कि इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करते वक्त उनसे कोई बदसलूकी नहीं की जाए।
इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी में 3 घंटे लग गए
इसके बाद ये तय हुआ इंदिरा को गिरफ्तार करने एनके सिंह जाएंगे। वे उन्हें घर पर ही पर्सनल बॉन्ड पर बेल भी ऑफर करेंगे। यानी वो जमानत लेना चाहेंगी तो इंदिरा को उसी वक्त जमानत मिल जाएगी। ये भी तय हुआ कि उनके साथ डिप्टी SP एमवी राव होंगे, एक इंस्पेक्टर होगा और एक सब इंस्पेक्टर होगा। इस दौरान दो कारें होंगी। एक में गिरफ्तार होने के बाद इंदिरा गांधी बैठेंगी और दूसरे में उनका सामान रखा जाएगा और सब इंस्पेक्टर रहेंगे।
इसी बीच इंदिरा गांधी के घर के बाहर पुलिस का पहरा बढ़ा दिया जाता है। उस दौरान DIG रहे राजपाल और एडिशनल SP रही किरण बेदी को घर के बाहर लॉ एंड ऑर्डर को मेंटेन करने के लिए तैनात किया गया था। यानी अब इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी का पूरा रोडमैप तैयार था। 3 अक्टूबर 1977 का दिन था। शाम के 5:15 मिनट थे। CBI अफसर अपनी एंबेसडर कार से इंदिरा के घर पहुंचते हैं। घर के लॉन में संजय गांधी और मेनका गांधी बैडमिंटन खेल रहे थे। संजय गांधी ने एनके सिंह को देखते ही पहचान लिया। वहीं इंदिरा गांधी अपने ड्राइंग रूप में कुछ नेताओं से बात कर रहीं थीं।
जैसे ही पता चलता है कि CBI अफसर एनके सिंह आए हैं। तुरंत ही इंदिरा गांधी के निजी सचिव रहे आरके धवन बाहर आते हैं। वे एनके सिंह से पूछते हैं कि माजरा क्या है। यानी वे क्यों आए हैं। तब एनके सिंह कहते हैं कि मामला अर्जेंट हैं। मैं सिर्फ इंदिरा गांधी से ही बात करूंगा। एनके सिंह की बात इंदिरा गांधी को बताई जाती है। इंदिरा कहती हैं कि आप पहले से अप्वाइंटमेंट लेकर क्यों नहीं आए।
एनके सिंह कहते हैं कि मैं जिस काम के लिए आया हूं उसमें अप्वाइंटमेंट की जरूरत नहीं है। तब धवन कहते हैं कि इंदिरा गांधी अंदर कुछ लोगों के साथ बात कर रही हैं और ये लोग जैसे ही जाएंगे आप उनसे मिल सकते हैं। एनके सिंह इसके बाद घर के बाहर सड़क पर ही खड़े होकर इंतजार करने लगते हैं। वहीं दूसरी तरफ गृहमंत्री चरण सिंह भी बेचैन थे और वे हरपल की जानकारी CBI अफसरों से ले रहे थे।
अंदर हलचल का माहौल था। संजय गांधी अपने वकीलों और करीबी कांग्रेस नेताओं लोगों से लगातार फोन पर बात कर रहे थे। इसी बीच जैसे ही इंदिरा गांधी से मिलने वाले लोग बाहर आए। कई और लोग उनसे मिलने के लिए जाने लगे। इनमें मशहूर वकील फ्रैंक एंटनी, नेपाल में भारत के राजदूत रहे चुके सीपीएन सिंह जैसे लोग थे। एनके सिंह यह देखकर भड़क जाते हैं और कहते हैं कि उन्हें अंदर जाने के लिए कहा गया था। ऐसे में ये लोग क्यों अंदर जा रहे हैं। इस पर जवाब आता है, इनका पहले से अप्वाइंटमेंट था।
3 अक्टूबर को जैसे ही CBI के अफसर इंदिरा के घर पहुंचे तो इसके बाद संजय गांधी फोन कर अपने करीबी लोगों और वकीलों को बुलाया था।
तभी CBI के सब इंस्पेक्टर आते हैं और एनके सिंह से बताते हैं मेनका और संजय गांधी लगातार फोन कर रहे हैं और बाहर से लोगों को बुला रहे हैं। ऐसे में एनके सिंह को गुस्सा आ जाता है और वे धमकी भरे लहजे में कहते हैं कि यदि 15 मिनट के अंदर उन्हें इंदिरा गांधी से नहीं मिलने दिया गया तो उन्हें कड़ा फैसला लेना पड़ेगा। तभी कांग्रेस नेताओं का एक और हुजूम जिसमें कमलापति त्रिपाठी, केसी पंत, बंशी लाल, सीताराम केसरी थे, इंदिरा के घर पहुंचते हैं।
करीब 1 घंटा बीत जाने के बाद एनके सिंह इंदिरा गांधी से मिलते हैं। एनके सिंह कहते हैं कि मैं आपसे अकेले में बात करना चाहता हूं। इंदिरा गांधी, एनके सिंह के साथ कॉरिडोर में जाती हैं। यहां पर एनके सिंह अपना ID कार्ड निकालते हैं और इंदिरा गांधी को दिखाते हैं। एनके सिंह बताते हैं कि आपको करप्शन के एक मामले में आरोपी बनाया गया है। एक FIR दर्ज की गई है जिसमें आप मुख्य आरोपी हैं। मुझे आपको गिरफ्तार करने का थैंकलेस जॉब मिला है।
यह सुनते ही इंदिरा गांधी अपना आपा खो देती हैं और चिल्लाते हुए कहती हैं कि उन्हें किसी गिरफ्तारी का डर नहीं है। साथ ही पर्सनल बॉन्ड पर जमानत लेने से इनकार कर देती हैं। तेजी से चिल्लाते हुए कहती हैं- हथकड़ियां लाइए। इन सबके बीच इंदिरा गांधी की गिरफ्तारी की खबर कांग्रेसी हलकों में फैल चुकी थी। इंदिरा गांधी के घर पर कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ ही आम कार्यकर्ताओं का हुजूम पहुंचने लगा था। अब इंदिरा गांधी शांत होती हैं और एनके सिंह से कहती हैं उन्हें तैयार होने के लिए कुछ वक्त चाहिए। इसके बाद वे अपने बेडरूप में जाती हैं और अंदर से गेट बंद कर लेती हैं।
इधर समय जैसे बीतता जा रहा था, एनके सिंह परेशान हो रहे थे। करीब डेढ़ घंटे बाद सफेद साड़ी पहने और एक झोला लिए इंदिरा गांधी रात 8:30 बजे बाहर निकलती हैं। अब घर के बाहर और तेजी से नारे लगते हैं। इंदिरा भी इस मौके को पूरी तरह से भुनाना चाहती थीं। कार में बैठने से पहले ही वह खड़े होकर कार्यकर्ताओं का अभिवादन स्वीकारती हैं और गिरफ्तारी को राजनीति से प्रेरित बताती हैं। इसके बाद अंदर बैठ जाती हैं। उनके साथ कांग्रेस नेता ललित माकन भी पीछे की सीट पर बैठ जाते हैं। बड़ी मुश्किल से माकन को बाहर निकाला जाता है।
तभी गांधी पीस फाउंडेशन की निर्मला देशपांडे ने इंदिरा गांधी के साथ जाने की इच्छा जताई। उन्हें इंदिरा के साथ जाने दिया गया। इंदिरा और निर्मला को एंबेसडर कार की पीछे की सीट पर बैठाया जाता है। आगे की सीट पर एनके सिंह बैठते हैं। इंदिरा गांधी को फरीदाबाद में बड़खड़ लेक के एक गेस्ट हाउस में ले जाना था। जैसे ही कार चलती है कांग्रेस कार्यकर्ता कार के सामने लेट जाते हैं।
इंदिरा गांधी दूसरे स्टेट में जाने से मना कर देती हैं और चबूतरे पर बैठ जाती हैं
पुलिस कार्यकर्ताओं को काफी जद्दोजहद के बाद हटाती है। इंदिरा की कार जैसे ही आगे बढ़ती है। उसके जस्ट पीछे संजय गांधी की ब्लू मेटाडोर कार, फिर राजीव गांधी की मेटाडोर कार और कांग्रेस के लीडर की कार चल रही थी। फरीदाबाद पहुंचते ही काफिला बड़खड़ लेक की तरफ मुड़ता है। तभी रेलवे क्रॉसिंग बंद होने के चलते काफिला वहीं पर रुक जाता है। इंदिरा गांधी कार से उतरती हैं और वहां पर बने एक चबूतरे पर बैठ जाती है। उसी वक्त इंदिरा के वकील और कई कांग्रेसी नेता एनके सिंह समेत सभी CBI अफसरों को घेर लेते और कहते हैं कि बिना किसी कोर्ट वारंट के आप इन्हें दूसरे स्टेट में नहीं ले जा सकते हैं।
तभी क्रॉसिंग से ट्रेन गुजरती है और फाटक खुलता है। एनके सिंह, इंदिरा गांधी से कार में बैठने के लिए कहते हैं, लेकिन इंदिरा मना कर देती हैं और कहती हैं कि उनके वकीलों ने कहा है कि मुझको दूसरे स्टेट में नहीं ले जाया जा सकता है। लंबी बातचीत का दौर चलता है। इसी बीच CBI के DIG आईसी द्विवेदी पहुंचते हैं। उन्हें बताया गया कि इंदिरा गांधी हरियाणा नहीं जाना चाहती है। वे कहते हैं ठीक है। अब किंग्सवे कैंप दिल्ली पुलिस ऑफिसर मेस में ले जाने की बात होती है और काफिला एक बार फिर दिल्ली की तरफ चलता है।
काफिला किंग्सवे कैंप पहुंचता है। पुलिस अफसर राजपाल और वेद मारवाह वहां पर मौजूद थे। इंदिरा गांधी को ग्राउंड फ्लोर पर VIP कमरे में रखा गया। निर्मला देशपांडे उनके साथ थीं। उनको खाना ऑफर किया गया, लेकिन उन्होंने खाने से इनकार कर दिया। एनके सिंह वहां से जाने लगे तो इंदिरा गांधी ने उन्हें बुलाकर कहा कि जो कुछ भी आज हुआ वो उसके लिए माफी चाहती हैं। इसके बाद एनके सिंह वहां से चले जाते हैं।
जज ने एक से डेढ़ मिनट में केस को खारिज कर दिया
अगले दिन यानी 4 अक्टूबर को इंदिरा गांधी को चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना था। एनके सिंह 4 अक्टूबर की सुबह 8 पुलिस मेस में पहुंचते हैं। वहां संजय और राजीव गांधी पहले से थे। वे लोग अपनी मां इंदिरा गांधी के लिए नाश्ता लेकर आए थे। इसके बाद इंदिरा गांधी को पार्लियामेंट स्ट्रीट पर चीफ मेट्रोपोलिटन कोर्ट में पेश किया गया था। उस वक्त चीफ मेट्रोपोलिटन जज आर दयाल थे।
इंदिरा के वहां पहुंचते ही भारी भीड़ उमड़ती है। इनमें इंदिरा गांधी के समर्थक और विरोधी दोनों थे। दोनों गुटों में झड़प होती हैं। पुलिस लोगों को काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ती है। इसी बीच वहां पर प्रणब मुखर्जी और वसंत साठे जैसे कांग्रेसी नेता भी पहुंचते हैं। इंदिरा गांधी के लिए एक कुर्सी लाई जाती है, लेकिन उन्होंने बैठने से इनकार कर दिया।
मजिस्ट्रेट ने फिर प्रॉसीक्यूशन के वकील से पूछा कि आपके पास क्या सबूत हैं। तब प्रॉसीक्यूटर ने कहा कि FIR तो कल ही दायर की हुई है। ऐसे में एडिशनल सबूत जमा करने में समय लगेगा। इसके बाद एक से डेढ़ मिनट में जज ने कहा कि प्रॉसीक्यूशन के पास कोई सबूत नहीं है, ऐसे में केस को डिसमिस किया जाता है। यह सुनते ही संजय गांधी भागते हुए बाहर जाते हैं और डिसमिस, डिसमिस चिल्लाते हैं। कोर्ट के बाहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ जाती है और नारे लगने लगते हैं।
4 अक्टूबर 1977 को चीफ मेट्रोपोलिटन जज की ओर से केस खारिज करने के बाद अपने घर जाते वक्त कार्यकर्ताओं का अभिवादन स्वीकार करती इंदिरा गांधी।
इस दौरान प्रणब मुखर्जी का एक बयान बहुत चर्चित हुआ था कि इंदिरा ने जिस जनता पार्टी के नेताओं को 19 महीने तक जेल में रखा, वे उन्हें (इंदिरा गांधी) 19 घंटे भी जेल में नहीं रख पाए। ये जनता सरकार के लिए बड़ा राजनीति झटका था। बिना पूरी तैयारी के इंदिरा को गिरफ्तार करना जनता सरकार के लिए गले की फांस बन गया। इंदिरा अपनी गिरफ्तारी सहानुभूति में बदल देती हैं।
इसके बाद 1980 में लोकसभा चुनाव होता है। इंदिरा भारी बहुमत के साथ वापसी करती हैं और प्रधानमंत्री बनती हैं। यानी जिस गिरफ्तारी के जरिए जनता सरकार इंदिरा पर भ्रष्टाचार का धब्बा लगाना चाहती थी। वही गिरफ्तारी जनता सरकार के लिए एक ब्लंडर साबित हुआ और उसे अपनी सत्ता गंवानी पड़ी।
साभार : दैनिक भास्कर
लेखक: नीरज सिंह