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सब कुछ गड़बड़ , 21वी सदी में हालात जस के तस कंधे पर लादकर गर्भवती को कराई नदी पार, अस्पताल में किया भर्ती

By, बैतूल वार्ता

सब कुछ गड़बड़ , 21वी सदी में हालात जस के तस

कंधे पर लादकर गर्भवती को कराई नदी पार, अस्पताल में किया भर्ती

बैतूल /भीमपुर :आदिवासी बाहुल्य भीमपुर ब्लाक में 21वी सदी में भी ऐसे नजारे कोई नई बात नही है।54 ग्राम पंचायतों के सैकड़ों ढानो ,मंजरे टोलो में सड़के नही है पीने के पानी की समस्या तो शिक्षा का स्तर सब कुछ गड़बड़ है सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं को तमाम सुख सुविधाएं देने का वादा किया जाता है, लेकिन यह सुख सुविधाएं हकीकत में धरातल में नहीं उतरती। सुख सुविधा के दावे खोखले साबित हो रहे है। सरकारी सिस्टम की उस समय पोल खुल गई, जब गांव में आने-जाने के लिए रास्त नहीं होने के कारण ग्रामीणों ने गर्भवती महिला को कंधे पर लादकर प्रसव के लिए जिला अस्पताल भर्ती कराया। सरकारी एम्बुलेंस तक गर्भवती को लेने के लिए नहीं पहुंच पाई। जानकारी के मुताबिक बैतूल जिले के भीमपुर ब्लॉक के ग्राम भटबोरी निवासी समाय पति बबलू अखंडे को प्रसव पीढ़ा हुई। गांव में आने-जाने के लिए रास्ता नहीं होने के कारण एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाती। गांव में जाने-आने के लिए ताप्ती नदी पार करना पड़ता है। जब महिला को प्रसव पीढ़ा हुई तो परिजन गर्भवती महिला को कपड़े का झूला बनाकर उसमें बैठाया और कंधे पर लादकर कमर तक पानी से होते हुए नदी पार कराई।  ऐसे में हादसा होने का खतरा भी बना रहता है। इस गंभीरता को न तो अभी तक अधिकारी समझ पाए और न ही जनप्रतिनिधि समझ पाए। ग्रामीणों का कहना है कि रास्ता नहीं होने के कारण मजबूरीवश उन्हें नदी पार करते हुए आना-जाना पड़ता है। सबसे ज्यादा समस्या तब होती है, जब किसी गर्भवती महिला को प्रसव के लिए अस्पताल तक पहुंचाना पड़ता है। नदी पार कराने के बाद महिला के परिजनों ने निजी एम्बुलेंस के माध्यम से प्रसव के लिए जिला अस्पताल पहुंचाया। महिला को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस तक नहीं मिल पाई। महिला के परिजनों का कहना है कि उन्होंने कई बार एम्बुलेंस को कॉल किया, लेकिन एम्बुलेंस नहीं मिल पाई। जोखिम भरा सफर तय कर गर्भवती को अस्पताल पहुंचाया। इस नजारे को जिसने भी देखा सब लोग हैरत में रह गए।

नदी पर नहीं है वर्षो से पुल

ग्रामीणों का कहना है कि भीमपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत डोडाजाम के ग्राम भटबोरी जाने के लिए कोई सडक़ मार्ग नहीं है। गांव तक पहुंचने के लिए ताप्ती नदी को पार करना होता है, तब जाकर ग्रामीण गांव आना-जाना करते है। यहां वाहन भी नहीं जा पाते है, पैदल आना-जाना पड़ता है। गांव में मोबाईल नेटवर्क की भी समस्या बनी हुई है। ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से नदी पर पुलिया बनाकर रास्ता बनाने की मांग की, लेकिन किसी ने भी ग्रामीणों की समस्या पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। नतीजा यह है कि आज भी ग्रामीण आने-जाने के लिए परेशान होते रहते है। सबसे ज्यादा परेशानी तो उस समय होती है, जब बारिश का समय रहता है और नदी में बाढ़ रहती है। कई बार ग्रामीण बाढ़ के जोखिम को उठाते हुए भी आवाजाही करते रहते है।

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