बिना इस्तीफ़ा दिए दिल्ली से वापस एमपी क्यों लौट आए कमलनाथ? क्या बने रहेंगे अध्यक्ष
भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद कयासों का दौर चला कि कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकते हैं। वहीं विरोधी खेमे और भाजपा ने इस आशय की खबरें आम कर दीं कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व ही कमलनाथ से इस्तीफा मांग रहा है और बहुत जल्द नया अध्यक्ष नियुक्त होने वाला है।
इन तमाम कयासों पर विराम लगाते हुए अब कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव तक मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ही रहेंगे। दिल्ली की बैठक के बाद भी ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। बिना इस्तीफ़ा दिए कमलनाथ भोपाल लौट आए।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित हार के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा अपने पद से इस्तीफा देने जैसी खबरें आम हो गईं थीं। इसके साथ ही कयास लगाए गए और कहा गया कि कमलनाथ से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने ही इस्तीफा मांग लिया है और बहुत जल्द नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति होने जा रही है।
दरअसल कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से जुड़े सूत्र बतला रहे हैं कि कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए ही लोकसभा चुनाव में पार्टी जाएगी और अभी फिलहाल कोई बदलाव करने की आवश्यकता भी नहीं है। जो विधानसभा चुनाव परिणाम मध्य प्रदेश में आए हैं वो अप्रत्याशित और विश्वास से परे हैं। इसके साथ ही कहा गया कि कमलनाथ को हटाए जाने या फिर उनके इस्तीफा देने की जो भी भ्रामक खबरें चलाई गईं उसके पीछे कहीं न कहीं विरोधियों और भाजपा के लोगों का हाथ रहा है, जबकि कांग्रेस ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है।
गौरतलब है कि कमलनाथ पिछले 6 साल से मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का दायित्व पूरी जिम्मेदारी से निभा रहे हैं। यही नहीं बल्कि साल 2018 में कमलनाथ के नेतृत्व में ही कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 15 साल बाद जीता था। इसके साथ ही उनके नेतृत्व में ही मध्य प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस ने वापसी की थी, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत कर दी और महज 15 महीने में विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सरकार को गिराने में भाजपा सफल रही। बावजूद इसके कमलनाथ लगातार पार्टी को मजबूती प्रदान करने के लिए संघर्ष करते रहे हैं।
इसलिए पार्टी के जिम्मेदारों और शुभचिंतकों ने सलाह भी दी है कि लोकसभा चुनाव तक कमलनाथ को ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बने रहना चाहिए। दरअसल पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 29 में से 28 सीटों पर जीत दर्ज कर सभी को चौंका दिया था और अब 2024 वाले चुनाव में स्थिति बेहतर करने की जिम्मेदारी भी कमलनाथ के कंधों पर होगी। ऐसे में नया अध्यक्ष बनाना कांग्रेस के लिए और ज्यादा चुनौतियों को खुद के लिए खड़ा करना जैसा ही होगा।