न बोल सकती और न सुन पाती…इशारों-इशारों में सीखा ताइक्वांडो, अब नेशनल कॉम्पिटिशन में सोना लेने उतरीं
By, बैतूल वार्ता
न बोल सकती और न सुन पाती…इशारों-इशारों में सीखा ताइक्वांडो, अब नेशनल कॉम्पिटिशन में सोना लेने उतरीं
भोपाल निवासी 15 साल की कनिष्का शर्मा बैतूल में आयोजित राष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में 7 वर्ष आयु वर्ग में वजन के अनुसार खेल रही हैं. कनिष्का न बोल सकती हैं और न ही सुन सकती हैं. उन्होंने ताइक्वांडो इशारों-इशारों में सीखा है.
मध्य प्रदेश के बैतूल में नेशनल ताइक्वांडो टूर्नामेंट का आयोजन हो रहा है. जिसमें एक खिलाड़ी पर सबकी नजर है. ये वो खिलाड़ी है जो न बोल सकती है और न ही सुन सकती है. ताइक्वांडो में नेशनल में सिल्वर जीत चुकी कनिष्का अब गोल्ड का सपना लेकर बैतूल आई हैं.
भोपाल निवासी 15 साल की कनिष्का शर्मा बैतूल में आयोजित राष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में 7 वर्ष आयु वर्ग में वजन के अनुसार खेल रही हैं. कनिष्का न बोल सकती हैं और न ही सुन सकती हैं. उन्होंने ताइक्वांडो इशारों-इशारों में सीखा है. दिव्यांगता होने के बावजूद कनिष्का ने स्टेट में पांच गोल्ड और 2023 में बेंगलुरु में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीता था. अब वह बैतूल में गोल्ड जीतना चाहती हैं.
कनिष्का मध्यप्रदेश की स्पोर्ट एकेडमी में हैं और वह वर्ल्ड ताइक्वांडो और डेफ ओलंपिक में जाने की तैयारी कर रही हैं. कनिष्का के पिता कपिल शर्मा फोटोग्राफर हैं. कपिल को जन्म के ढाई से तीन साल बाद पता चला कि उनकी बेटी कनिष्का न बोल सकती है और न ही सुन सकती है तो उन्हें रोना आ गया था. उसके इलाज के लिए उन्होंने देश के कई अस्पतालों के डॉक्टरों को दिखाया, पर दिव्यांगता 91 प्रतिशत होने के कारण सबने इलाज के लिए मना कर दिया.
पिता कपिल शर्मा के साथ बेटी कनिष्का.
कनिष्का को सामान्य बच्चों के स्कूल में दाखिला दिलाया. लेकिन वो ठीक ढंग से पढ़ नहीं पा रही थी तो उसे आशा निकेतन स्कूल जो कि विशेष डेफ बच्चों के लिए है वहां पर दाखिला कराया. इसके बाद कनिष्का अभी सातवीं कक्षा में पढ़ रही हैं. उन्होंने कहा कि साइन लैंग्वेज सीखने के बाद अब बच्ची बातों को समझकर प्रतिक्रिया भी अच्छे से देती हैं.
कनिष्का के कोच दीपक सिंह का कहना है, बच्ची को शुरुबात में ताइक्वांडो सिखाने में जरूर दिक्कत आती थी. लेकिन अब वह सामान्य बच्चों की तरह ही रिस्पांस करती है. कनिष्का काफी मेहनती है और उसका प्रदर्शन भी अन्य बच्चों से अलग होता है. इस चैम्पियनशिप में कनिष्का इकलौती दिव्यांग बच्ची है.
नेशनल ताइक्वांडो प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं कनिष्का.
साथी खिलाड़ी आयुषी सिंह का कहना है कि कनिष्का को एक साल से जानती हैं. कई टूर्नामेंट साथ खेल हैं. कनिष्का को देखकर हमें भी मोटिवेशन मिलता है कि वह बोल नहीं पाती और सुन नहीं पाती, हमारे साथ बराबर की ट्रेनिंग करती है. हम लोग तो बिल्कुल फिट हैं. उसके बाद भी हम लोग आलस कर जाते हैं. लेकिन वह रेगुलर ट्रेंनिंग पर आती है और बहुत अच्छे से ट्रेनिंग करती है.
बैतूल के जिला शिक्षा अधिकारी डॉ अनिल कुशवाहा का कहना है कि 67वीं नेशनल ताइक्वांडो प्रतियोगिता है. इसमें 36 स्टेट के लगभग 2200 खिलाड़ी शामिल हो रहे हैं. यह प्रतियोगिता 5 जनवरी तक चलेगी.