बैतूल नपा की देश में स्वच्छता रैकिंग 54 वें पायदान पर 13 पायदान फिसल गई स्वच्छता रैकिंग
By, बैतूल वार्ता
बैतूल नपा की देश में स्वच्छता रैकिंग 54 वें पायदान पर
13 पायदान फिसल गई स्वच्छता रैकिंग
कचरा प्रसंस्करण का टेंडर नहीं हुआ, इसलिए स्वच्छता रैकिंग में पिछड़ा बैतूल
पिछले वर्ष की अपेक्षा बैतूल नपा देश में 41वें के बजाए 54 वें पायदान पर फिसली
बैतूल।। नगरपालिका के पास दो स्वच्छता निरीक्षक और भारी भरकम महकमा होने के बावजूद स्वच्छता रैकिंग में बैतूल लगातार पिछड़ते जा रहा है। इस बार बैतूल नपा ने स्वच्छता रैकिंग में 1 से 3 लाख जनसंख्या वाली नगरपालिका में देश में 14वां और 1 से 10 लाख आबादी वाली देश की 450 नगरपालिकाओं में 54वां स्थान हासिल किया है। गत वर्ष बैतूल को क्रमश: 11वां और 41वां स्थान हासिल हुआ था। इस लिहाज से रैकिंग में बैतूल नगरपालिका फिर पिछड़ गई है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि कचरा प्रसंस्करण का यदि टेंडर हो जाता तो अंकों में सुधार आने के बाद नगरपालिका में टॉप टेन में भी शामिल हो सकती थी। टेंडर को लेकर अब नपा के जिम्मेदार एक दूसरे पर पल्ला झाड़ रहे हैं।
केंद्रीय शहरी एवं आवास मंत्रालय द्वारा गुरुवार को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में स्वच्छ सर्वेक्षण के परिणाम घोषित किए गए। यह परिणाम बैतूल जिले के लिए सुखद नहीं कहे जा सकते। जिले की कोई भी नगरपालिका न तो प्रदेश न ही देश में टॉप टेन में शामिल होने से वंचित रह गई है। बात जिला मुख्यालय की नगरपालिका की करें तो बैतूल नगरपालिका इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण में काफी पिछड़ गई है। इसके पीछे कहीं न कहीं चूक और स्वच्छता निरीक्षकों की कार्यप्रणाली भी संदेह के दायरे में आ गई है।
दरअसल बैतूल नगरपालिका ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2022-23 के परिणामों में एक से तीन लाख वाली आबादी वाली नगरपालिकाओं में देश में 14वां, एक लाख से अधिक आबादी वाले 450 शहरों में बैतूल ने 54वीं रैंक हासिल की है। पिछले वर्ष देश में बैतूल की रैंक 41वीं थी। इस लिहाज से इस बार बैतूल नगरपालिका 13 पायदान फिसल गई है। बैतूल नगरपालिका ने प्रदेश में 13वीं और संभाग में 2 रैंक हासिल की है। हालांकि बैतूल को जीएफसी और ओडीएफ ++ का दर्जा दोबारा मिल गया है।
ऐसे मिले अंक
बैतूल नगरपालिका को स्वच्छता रैकिंग में भले ही ठीक नहीं मिली, लेकिन कई अन्य मामले में अच्छे अंक हासिल किए हैं। सेवा स्तर प्रगति में 4 हजार 830 में से 3 हजार 643 अंक, जीएफसी, ओडीएफ++ प्रमाणीकरण 2500 में से 1250, नागरिक प्रतिक्रिया में 2170 में से 1916 अंक प्राप्त हुए। प्रतिशत के आधार पर अंकों की गणना में घर-घर कचरा संग्रहण में 99 प्रतिशत कचरे के पृथककीकरण में 99 प्रतिशत, रहवासी क्षेत्र में सफाई व्यवस्था पर 98 प्रतिशत, व्यवसायिक और सार्वजनिक क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था पर 98 प्रतिशत, जलीय संरचनाओं की सफाई, सार्वजनिक शौचालय की सफाई में सौ प्रतिशत अंक मिले हैं। अलबत्ता शहर में कुल कचरे के प्रसंस्करण में कुल पचास प्रतिशत, पुराने कचरे के निपटारण में जीरो प्रतिशत अंक मिले हैं।
टेंडर में उलझा मामला
कचरा प्रसंस्करण का मामला पहले टेंडर में उलझा फिर आचार संहिता के कारण देरी हो गई। इस वजह बैतूल नगरपालिका रैकिंग में पिछड़ गई है। जानकारी सामने आई है कि ट्रेचिंग ग्राउंड पर कचरा प्रसंस्करण के लिए पहले टेंडर हो चुके थे। योग्य ठेकेदार न होने के कारण नपा ने रीटेंडर किया, लेकिन आचार संहिता लगने के कारण विलंब हो गया। अब यही वजह है कि स्वच्छता शाखा रैकिंग में गिरावट के लिए कचरा प्रसंस्करण को दोषी मान रहे हैं। हालांकि रैकिंग में शहर की अन्य व्यवस्थाएं जैसी नाली सफाई एवं अन्य व्यवस्थाएं पुरानी स्थिति में है, इसलिए इस पर ध्यान न दिया जाना भी नागरिकों की नाराजगी का कारण बना है।
इनका कहना…
स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम मेरी ज्वाइनिंग के पहले आकर जा चुकी थी। रैकिंग में जरूर इस बार बैतूल नपा पिछड़ी है, लेकिन अगली बार इसमें सुधार के लिए जरूरत से ज्यादा बेहतर प्रयास करेंगे।
ओमपाल सिंह भदौरिया, सीएमओ नपा बैतूल।
कचरा प्रसंस्करण की फाइल ईई साहब के पास कई दिनों से रखी थी। यदि इसके टेंडर हो जाते तो बैतूल नपा टाप टेन में भी शामिल हो जाती।
संतोष धनेलिया, स्वच्छता निरीक्षक बैतूल।
कचरा प्रंस्करण के लिए टेंडर हो चुके थे, लेकिन ठेकेदार ठीक न होने के कारण टेंडर रीकाल करना पड़ा। इसके बाद आचार संहिता लग गई। इसमें मेरा कोई दोष नहीं है।
महेशचंद्र अग्रवाल, ईई नपा बैतूल