धर्म की शिक्षा से ही संस्कारों का निर्माण संभव: बौद्ध धर्म के अनुयायी
श्रीराम कथा के चौथे दिन राम जन्मोत्सव का आयोजन, जय श्री राम के उद्घोष से गूंजा कार्यक्रम
बैतूल. नए भारत के निर्माण के लिए शिक्षा के साथ संस्कार भी जरूरी है। हमें बच्चों को विरासत में धन देना की सख्त संस्कार सबसे महत्वपूर्ण देना चाहिए। धर्म की शिक्षा से ही संस्कारों का निर्माण संभव है। सुसंस्कृत व्यक्ति समाज में धन और यश सहजता से प्राप्त कर लेता है।
यह सद्विचार श्री हनुमान मंदिर ग्राम कोडरोटी में आयोजित 9 दिव्य संगीतमयी श्री राम कथा के चौथे दिन 17 जनवरी दिन रविवार को उत्तरकाशी हिमालय गंगोत्री उत्तराखंड से आये अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक श्री राम कथा के चौथे दिन आये। उन्होंने श्री राम जन्म की कथा, श्री राम के वंशज का वर्णन भी सहायक शिष्यों को बताया। उन्होंने प्रभु श्रीराम के जन्म उत्सव के दौरान कहा था कि आज हर व्यक्ति राम को पुत्र के रूप में चाहता है लेकिन भूल यह होती है कि ऐसे पुत्र को पितामह के रूप में जन्म दिया जाता है।
अन्य देवताओं ने भगवान राम के जन्म का प्रसंग सुनाकर मठवासी को भावविभोर कर दिया। प्राचीन भगवान श्रीराम की जन्म कथा का श्रवण कर झूमें। कथावाचक जय श्री राम के उद्घोष से गूंज उठा। उन्होंने बताया कि किस प्रकार महाराजा दशमीर के यहां महारानी कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा के पुत्र योग का संयोग बना। राम के जन्म के बाद भगवान अयोध्या में हर तरफ खुशियां मनाई गईं। श्री हनुमान मंदिर कोदारोटी में समस्त ग्रामवासियों द्वारा श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है। 9 दिन तक चलने वाली कथा में रोजाना कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में महिला-पुरुष रसातल में पहुंच रहे हैं।
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