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अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान शुरू हो गए हैं, जिसके बाद 500 सालों का इंतज़ार ख़त्म हो जाएगा.

By, बैतूल वार्ता

अयोध्या में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान शुरू हो गए हैं, जिसके बाद 500 सालों का इंतज़ार ख़त्म हो जाएगा.

अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के लिए आज से पूजा अर्चना और अनुष्ठान का दौर शुरू हो गया है. 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  के हाथों मंदिर का उद्घाटन होगा, जिसके बाद मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा. राम मंदिर के उद्घाटन के साथ ही रामभक्तों के 500 साल का इंतज़ार ख़त्म हो जाएगा और वो अपने प्रभु राम के दर्शन कर सकेंगे. इस पल का हर रामभक्त बड़ी बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है.

अयोध्या में अपने आराध्य भगवान श्रीराम के मंदिर के लिए भक्तों को 500 साल का इंतजार करना पड़ा. आईए आपको बताते हैं कि अयोध्या भूमि का पूरा विवाद क्या है. कैसे इसकी नींव पड़ी और कब-कब क्या हुआ?

अयोध्या भूमि का पूरा विवाद
– साल 1528 में मुगल बादशाह बाबर ने बाबरी मस्जिद का निर्माण किया था, हिन्दुओं का दावा है कि ये मस्जिद भगवान राम की जन्मभूमि पर बनाई थी, यहां पहले राम मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई.
-साल 1853 में पहली बार इस जगह को लेकर सांप्रदायिक हिंसा हुई
 साल 1859 में ब्रिटिश हुकूमत ने विवादित जगह के आसपास बाड़ लगवा दी. मुस्लिम को ढांचे के अंदर और हिन्दुओं को बाड़ के बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाज़त दी.
– साल 1885 में महंत रघुबीर दास ने फैजाबाद जिला अदालत में राम चबूतरे पर मंदिर बनाने की याचिका दायर की, जिसे कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया.
– साल 1949 में भगवान नाम की मूर्ति मस्जिद के अंदर मिली, हिन्दू पक्ष ने भगवान राम के प्रकट होने का दावा किया, जबकि मुस्लिम पक्ष ने कहा कि हिन्दुओं ने चुपचाप मूर्तियां अंदर रख दीं. दोनों पक्षों ने केस दायर किया. तत्कालीन सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया.
– साल 1950 में गोपाल सिंह विशारद ने जन्मभूमि स्थान पर रामलला की पूजा की अनुमति के लिए याचिका दाखिल की.
– साल 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने जन्मभूमि पर क़ब्ज़े की मांग करते हुए तीसरी अर्जी दाखिल कर दी.
– साल 1961 में यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मस्जिद की ज़मीन पर हक़ और मूर्तियां हटाने की मांग करते हुए अर्ज़ी दी
– साल 1984 में विश्व हिन्दू परिषद ने देशभर में विवादित ज़मीन पर राम मंदिर बनाने के लिए आंदोलन शुरू किया.
– साल 1986 में जिला जज ने मस्जिद के दरवाजे से ताला खोलने और दर्शन की इजाज़त दी.
– साल 1989 में विश्व हिन्दू परिषद ने विवादित ज़मीन के पास ही राम मंदिर का शिलान्यास किया और पहला पत्थर रखा.
– साल 1990 में लाल कृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण के लिए रथयात्रा निकाली
– साल 1992 में वीएचपी समेत तमाम हिन्दू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया. जिसके बाद देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए.
– साल 2002 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन जजों ने विवादित जमीन के मालिकाना हक के लिए सुनवाई शुरू की.
-साल 2003 में एएसआई ने मस्जिद के नीचे राम मंदिर के सबूत होने की बात कही,, मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया.
– साल 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया.
– साल 2011-2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में कई अर्ज़ियां दाखिल की गईं.
– साल 2019 में करीब 70 साल के विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट के पाँच जजों की बेंच राम मंदिर   के पक्ष में फ़ैसला सुनाया और मुस्लिमों को अलग से पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया.
-साल 2020  5 अगस्त 2020 को मंदिर के निर्माण के लिए भूमिपूजन किया गया
-साल 2024- 22 जनवरी 2024 मंदिर का उद्घाटन होगा और रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी.

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