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प्रधानमंत्री की चिट्ठी भी रख दी ताक पर,लीपापोती में जुटा एकलव्य प्रबन्धन नहीं हो रही कार्यवाही

By, बैतूल वार्ता

लीपापोती में जुटा एकलव्य प्रबन्धन नहीं हो रही कार्यवाही
प्रधानमंत्री की चिट्ठी भी रख दी ताक पर
बैतूल। एकलव्य आवासीय परिसर में किए गए फर्जीवाड़े को समेटने के लिए अब जिम्मेदार लीपापोती करने में जुटे हुए हैं। जानकारी मिली है कि अपने दामन में दाग ना लगे इसके लिए रातोरात फर्जीवाड़े की तस्वीर बदलने के भरसक प्रयास किये जा रहे है, तो वहीं इस मामले की आंच अब प्रधान मंत्री कार्यालय तक पहुंच चुकी है। भ्रष्टचारी प्रधान मंत्री कार्यालय से मिली चिट्ठी को भी दरकिनार करने से परहेज नहीं कर रहे है।
शिकायतकर्ता  मध्य प्रदेश आदिवासी विकास परिषद के बैतूल शाखा के जिला अध्यक्ष मुन्नालाल वाडिवा ने प्रधानमंत्री कार्यालय को दस्तावेजी साक्ष्य के साथ एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय शाहपुर में हुए भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। शिकायत पर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा कार्रवाई करते हुए पत्र क्रमांक पीएमओपीजी क्रमांक 0006334 दिनांक 8 जनवरी 2024 से मुख्य सचिव मध्य प्रदेश सरकार को पत्र लिखा गया, जिसमें लेख किया गया है कि इस कार्यवाही करते हुए शिकायतकर्ता को अवगत कराया जाए तथा एक प्रति पोर्टल पर अपलोड कर दी जाए। प्रधानमंत्री कार्यालय से उक्त शिकायत डायरेक्टर सीएम हेल्पलाइन संदीप अस्थाना को ट्रांसफर की गई। संदीप अस्थाना डायरेक्टर सीएम हेल्पलाइन के द्वारा सीएम हेल्पलाइन क्रमांक 25585557 8 जनवरी 2024 से सीएम हेल्पलाइन में एल 1 अधिकारी श्रीमती शिल्पा जैन सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग बैतूल को स्थानांतरित की गई है। सीएम हेल्पलाइन एल 1  अधिकारी के द्वारा सीधे प्राचार्य से प्रतिवेदन लिया गया। शिकायतकर्ता की जानकारी में आने के बाद तत्काल शिकायतकर्ता ने प्रधानमंत्री  से की गई शिकायत को तथा सीएम हेल्पलाइन में परिवर्तित शिकायत को कलेक्टर जनसुनवाई में वैधानिक जांच करने के लिए दी गई। जिसका क्रमांक 352 दिनांक 30 जनवरी 2024 है। उसके बाद भी वैधानिक जांच नहीं किए जाने पर शिकायतकर्ता ने कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी बैतूल को 5 जनवरी 2024 को पत्र दिया। जिसमें उल्लेख है कि प्राचार्य एवं संबंधित फर्म के द्वारा वित्तीय अभिलेखों में हेरा फेरी की जा रही है। साक्ष्य प्रभावित किये जा रहे है। इसलिए इसकी पृथक से जांच की जाए इसके बावजूद वैधानिक जांच आज तक नहीं की गई।
— जांच प्रभावित करने की पूरी तैयारी–
इधर सूत्रों के अनुसार विद्यालय में की गई क्रय सामग्री को हटाया जा रहा है। आरओ जो कम मूल्य का क्रय किया गया था उसे हटा दिया गया है। स्पष्ट हो रहा है प्राचार्य एवं संबंधित फर्म के ठेकेदारों को जिला प्रशासन द्वारा बचाने की पूरी कोशिश की जा रही हैं। श्री वाडिवा ने अपने शिकायती पत्र में स्पष्ट कहा है कि प्राचार्य को तत्काल हटाकर जांच की जाए लेकिन ऐसा नही  किया जा रहा है। यह संस्था एक विशिष्ट संस्था है जो कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के अंतर्गत भारत सरकार जनजाति कार्य मंत्रालय नई दिल्ली के द्वारा नौवीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत है यह विद्यालय कक्षा छठवीं से 12वीं तक की सीबीएसई पाठ्यक्रम हिंदी में आदिवासी विद्यार्थियों के लिए स्थापित किया गया था। इस संस्था को जो शासकीय राशि प्राप्त हुई थी, उसको शासन के निर्देशानुसार योजना अनुसार नियोजन करने का दायित्व प्राचार्य का था, सही दिशा में शासकीय राशि का उपयोग करना था।प्राचार्य  के द्वारा शासकीय राशि का ठेकेदारों के साथ मिलकर दुरुपयोग किया गया। गरीब आदिवासी बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया। प्रशासन आज भी कोई भी कार्रवाई नहीं कर रहा है।

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