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बोझ उठाने वाली दुर्गा 29 फरवरी को बनी दुल्हन: रेलवे स्टेशन पर लगी हल्दी-मेहंदी, इकलौती महिला कुली की हुई शादी, दोस्त ने खोजा हमसफर,अब शादी की साल गिरह आएगी हर चौथे बरस

By, बैतूल वार्ता

बोझ उठाने वाली दुर्गा 29 फरवरी को बनी दुल्हन: रेलवे स्टेशन पर लगी हल्दी-मेहंदी, इकलौती महिला कुली की हुई शादी, दोस्त ने खोजा हमसफर,अब शादी की साल गिरह आएगी हर चौथे बरस

मध्यप्रदेश के बैतूल रेलवे स्टेशन(BZU) की इकलौती महिला कुली की शादी काफी धूम धाम से हुई. रेलवे स्टेशन से ही दुर्गा की विदाई हुई. यहीं शादी की सारी रस्में पूरी की गई.

नागपुर रेल मंडल की बैतूल में कार्यरत एकमात्र महिला कुली दुर्गा की शादी बड़े ही अनूठे अंदाज में हुई है. नारी शक्ति की मिसाल, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर दुर्गा का रेलवे स्टेशन से गहरा नाता है इसलिए दुर्गा की शादी की सारी रस्में बैतूल रेलवे स्टेशन पर ही पूरी की गई है. सबसे खास बात यह है कि दुर्गा की शादी बैतूल आरपीएफ, समाजसेवी, व्यापारी और जनप्रतिनिधियों ने मिलकर की है.

साल 2011 में बैतूल स्टेशन पर लोगों ने पहली बार एक महिला कुली को देखा जिसका नाम है दुर्गा. दुर्गा को काफी संघर्ष के बाद अपने पिता की नौकरी मिली थी, लेकिन लड़की होकर भी उसने पूरी मेहनत से कुली जैसा काम किया और आज भी कर रही है. इस बीच दुर्गा के माता-पिता और एक बड़ी बहन की भी मौत हो गई.
साल 2011 में बैतूल स्टेशन पर लोगों ने पहली बार एक महिला कुली को देखा जिसका नाम है दुर्गा. दुर्गा को काफी संघर्ष के बाद अपने पिता की नौकरी मिली थी, लेकिन लड़की होकर भी उसने पूरी मेहनत से कुली जैसा काम किया और आज भी कर रही है. इस बीच दुर्गा के माता-पिता और एक बड़ी बहन की भी मौत हो गई

बड़ी बहन की एक बेटी की जिम्मेदारी भी दुर्गा पर आई तो दुर्गा ने अपनी भांजी की खातिर आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प ले लिया, लेकिन उसकी किस्मत को कुछ और मंजूर था और आज दुर्गा ने भी लाल जोड़े में सात फेरे ले लिए है.

बैतूल आरपीएफ स्टाफ में दुर्गा की पक्की दोस्त एएसआई फराह खान ने कई बार दुर्गा को शादी करने की सलाह दी, लेकिन दुर्गा नहीं मानी. आखिरकार फराह और आरपीएफ स्टाफ ने दुर्गा के लिए एक ऐसा वर ढूंढना शुरू किया जो दुर्गा के साथ उसकी भांजी को भी अपना ले. आरपीएफ की खोज पूरी हुई आठनेर निवासी सुरेश के रूप में जो अब दुर्गा के हमसफ़र बन गए है. पूरा आरपीएफ स्टाफ इस शादी में बाराती भी रहा और घराती भी.
दुर्गा पिछले 14 साल से बैतूल के लोगों के लिए नारी शक्ति की एक मिसाल रही है. लोग जानते थे कि दुर्गा की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है इसलिए बैतूल आरपीएफ ,जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों ने मिलकर दुर्गा की शादी का पूरा खर्च उठाया है. साथ ही उसकी शादी की सारी रस्में बैतूल रेलवे स्टेशन पर ही पूरी की गई है.
रेलवे स्टेशन पर शादी की रस्में और स्टेशन परिसर से ही दुर्गा की विदाई हुई. एक समय ताउम्र अविवाहित रहने का फैसला लेने वाली दुर्गा की जिस अंदाज और जिन हालात में शादी हुई है उससे ये फिर साबित हो गया कि जोड़ियां तो ऊपरवाला ही बनाता है. समाज के लोग तो बस दो आत्माओं को मिलाने का माध्यम बनते हैं. नागपुर रेल मंडल की एकमात्र महिला कुली दुर्गा की शादी एक मिसाल बन गई है.

परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए संभाला अपने पिता का काम

दरअसल, दुर्गा बहुत ही गरीब परिवार की बेटी है. दुर्गा के पिता मुन्नालाल बोरकर बैतूल रेलवे स्टेशन पर कुली थे और उन पर तीन बेटियों की जिम्मेदारी थी, लेकिन स्वास्थ्य खराब होने के चलते उनका चलना फिरना बंद हो गया. इसके बाद दुर्गा ने परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए अपने पिता का काम करने का निर्णय लिया और 2 साल तक रेलवे के चक्कर लगाने के बाद उसे अपने पिता का बिल्ला मिल गया. साल 2011 से दुर्गा बैतूल रेलवे स्टेशन पर कुली का काम कर रही है. दुर्गा बैतूल की एकमात्र महिला कुली है. 

अपने काम के प्रति दुर्गा का समर्पण और मेहनत देखकर रेलवे स्टाफ और आरपीएफ स्टाफ के लोग हमेशा उससे खुश रहते हैं. दुर्गा की जिंदगी में खुशहाली लाने के लिए आरपीएफ थाने में पदस्थ आरक्षक फराह खान ने एक एएसआई दीपक देशमुख से बात की. इस पर देशमुख के दोस्त आठनेर के जामठी गांव निवासी सुरेश भूमरकर ने शादी के लिए हामी भर दी. पेशे से किसान सुरेश से दुर्गा की शादी 29 फरवरी को रात्रि में बैतूल रेलवे स्टेशन के कल्याण केंद्र में होगी. शादी का कुछ खर्च आरपीएफ स्टाफ करेगा.  
महिला सशक्तिकरण के लिए यह बड़ा उदाहरण
सांसद दुर्गादास उइके का कहना है कि सौभाग्य का विषय है कि हमारी दुर्गा बिटिया देश की बेटियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. कुली के रूप में अपने सामर्थ्य के साथ में दायित्व निभा रही है और अपने परिवार के उदर पोषण के लिए यह काम कर रही है. महिला सशक्तिकरण के लिए यह बड़ा उदाहरण है. 
मैं घर का सहारा बनूंगी…
दुल्हन बनने जा रही दुर्गा ने बताया, मेरे पिता रेलवे स्टेशन पर कुली थे और उन्होंने बोला कि अब मुझसे काम नहीं होगा. लेकिन परिवार का कैसे गुजारा होगा. मैंने सोचा कि मैं घर का सहारा बनूंगी. मैंने कड़ी मेहनत की. रेलवे अधिकारियों ने सहारा दिया और पिता का बिल्ला दिलवाया. 

महिला सशक्तिकरण के लिए यह बड़ा उदाहरण
सांसद दुर्गादास उइके का कहना है कि सौभाग्य का विषय है कि हमारी दुर्गा बिटिया देश की बेटियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. कुली के रूप में अपने सामर्थ्य के साथ में दायित्व निभा रही है और अपने परिवार के उदर पोषण के लिए यह काम कर रही है. महिला सशक्तिकरण के लिए यह बड़ा उदाहरण है.
बहुत मेहनत करती है दुर्गा
आरपीएफ आरक्षक फराह खान का कहना है, दुर्गा को मैं ढाई साल से जानती हूं और देखती हूं कि बहुत मेहनत करती है. मैंने उसको बोला कि शादी क्यों नहीं करती हो? उसने कहा परिवार की जिम्मेदारी है. लेकिन हम लोगों ने प्रयास किया और रिश्ता देखा दुर्गा तैयार हो गई.

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