भ्रष्टाचार का एकलव्य विद्यालय ! शिक्षा के मंदिर को घोटालों का अड्डा बनाने वालों की घंटी बजाओ प्राचार्य नें लचर व्यवस्था में सेंध लगाई
By, बैतूल वार्ता
भ्रष्टाचार का एकलव्य विद्यालय ! शिक्षा के मंदिर को घोटालों का अड्डा बनाने वालों की घंटी बजाओ
प्राचार्य नें लचर व्यवस्था में सेंध लगाई
वाह डोनिवाल! साहब आपने तो हद ही कर दी, 210 रुपये की दीवार घड़ी 1हजार रुपये प्रति नग से खरीद ली
एकलव्य आवासीय विद्यालय में फर्जी वाड़े की सारी हदें पार
बैतूल ।।शाहपुर के आवासीय एकलव्य विद्यालय करप्शन सेंटर बन गया. बच्चों की पढ़ाई लिखाई तो क्या होगी. प्राचार्य पर ही सरकारी फंड के वारे न्यारे करने के आरोप कलेक्टर की जाँच रिपोर्ट मे सिद्ध हो गए है . बैतूल जिले मे शिक्षा व्यवस्था पहले से ही बदहाल है, रही सही कसर भ्रष्ट तंत्र ने पूरी कर दी है.
आप सोचिए अगर किसी विद्यालय का प्राचार्य ही पढाई की बजाए पैसे कमाने के दुष्चक्र में फंस जाए तो विद्यालय का क्या हाल होगा. सबसे बड़ी चौंकाने की बात तो ये कि इस पर ना भाजपा के राजनेता कोई कार्रवाई करते नजर आ रहे हैं और ना ही राज्य सरकार जिनके अधीन विद्यालयों के प्राचार्य होते हैं .
शिक्षा के क्षेत्र में कितना और किस हद तक भ्रष्टाचार फैला हुआ है इसकी बानगी शिकायत के बाद हाल में हुई कार्रवाई को देखकर लगाया जा सकता है।
भ्रष्ट्राचार की पराकाष्ठा किस तरह लांघी जाती है यह देखना और समझना हो तो एकलव्य आवासीय विद्यालय की वो जांच रिपोर्ट देख लें जिसमे प्राचार्य एस के डोनिवाल एन्ड टीम ने आवासीय विद्यालय के संचालन के लिए आए करोड़ों रुपयों को ठिकाने लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। दीवारों पर लगाने वाली दीवार घड़ी की खरीदी में भी भ्रष्ट्राचार कर यह साबित कर दिया गया की पैसे के लिए हद पार भी की जा सकती है। प्राचार्य ने बाजार मूल्य से 4 गुना अधिक भुगतान कर घड़ियों की खरीदी कर ली अब इसका जवाब उन्हें देना पड़ेगा।
210 की घड़ी के चुकाए 1000 रुपये दाम
वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्राचार्य एस के डोनिवाल ने भौपाल के दीवासु इंटरप्राइजेस से कुल 21 दीवार घड़ियों की खरीदी की है। इन घड़ियों की कीमत सुनकर हैरानी होना लाजिमी है। जिस दीवार घड़ी की कीमत खुले बाजार में मात्र 210 रुपये वही घड़ी 1 हजार रुपये प्रति नग के हिसाब से खरीदी गई है। यानी कि एक घड़ी पर 790 रुपये का ज्यादा भुगतान सप्लाई एजेंसी दीवासु इंटरप्राइजेस को किया गया है। इस हिसाब से एजेंसी को 16590रुपये ज्यादा भुगतान किया गया है। अब शासन को प्राचार्य और भरस्टाचारी टीम से यह पूछे जाने की जरूरत है कि, आखिर एजेंसी को तीन गुना ज्यादा भुगतान किस आधार पर और कैसे कर दिया गया है।
पैकिंग पर लिखी घड़ी की ओरिजनल कीमत
कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवँशी के निर्देश के बाद जब तीन सदस्यीय जाँच दल ने इसकी पड़ताल की तो डोनिवाल का फर्जीवाड़ा खुद ही सामने आ गया। जांच अधिकारी सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग ने जांच प्रतिवेदन में इस बात का उल्लेख किया है कि
क्रय की कार्यवाही तो जेम पोर्टल के माध्यम से की गई है। माह जुलाई 2023 में राशि रूपये 21,हजार की दीवार घड़ी क्रय की गई है। जांच के दौरान क्रय की गई दीवार घड़ी का अवलोकन किया गया । जो कि निश्चित माप दंड के अनुसार क्रय नहीं की गई है। घड़ी की कीमत रूपये 1000- प्रति नग क्रय की गई है किन्तु घड़ी की क्वालिटी न्यूनतम पाई गई है । भुगतान की गई कीमत के अनुरूप दीवार घड़ी नहीं पाई गई । संस्था में उपलब्ध घड़ी क्वेटोवा कंपनी की है, जिसके बाक्स पर घड़ी की कीमत रूपये 210 प्रति नग अंकित है । बायलॉज के अनुसार विद्यालयीन स्तर पर अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) की अध्यक्षता में गठित समिति से क्रय सामग्री का सत्यापन एवं भुगतान की अनुशंसा भी नहीं कराई गई है ।इससे पता चलता है कि प्राचार्य एस के डोनिवाल एन्ड कम्पनी ने एकलव्य आवासीय परिसर को अपने लिए कुबेर का खजाना समझकर इसका दोहन करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।