आखिर क्यों इतनी खुश एवं प्रसन्न नजर आई घोडड़ोंगरी की भाजपा विधायक श्रीमती गंगा बाई उइके क्या मंगल सिंह धुर्वे को टिकट न मिलने की खुशी में हुई सासंद निवास पर जमकर आतिश बाजी ….!!
By, बैतूल वार्ता
आखिर क्यों इतनी खुश एवं प्रसन्न नजर आई घोडड़ोंगरी की भाजपा विधायक श्रीमती गंगा बाई उइके
क्या मंगल सिंह धुर्वे को टिकट न मिलने की खुशी में हुई सासंद निवास पर जमकर आतिश बाजी ….!!
बैतूल, देश में चार सौ पार का आकड़ा लेकर अपने सहयोगी दलो के साथ 2024 के लोकसभा चुनाव में उतर रही भाजपा में कभी खुशी कभी गम देखने को मिल ही जाती है। जिला भाजपा संगठन बैतूल तक जैसे ही अनुसूचित जन जाति के लिए आरक्षित सीट
बैतूल – हरदा – हरसूद संसदीय क्षेत्र क्रमांक 29 से वर्तमान सासंद दुर्गादास (डी डी) उइके की टिकट की घोषणा हुई जिले में सबसे ज्यादा खुशी श्रीमती गंगा बाई उइके के चेहरे पर देखने को मिली। श्रीमती गंगा बाई जिले की एक मात्र ऐसी भाजपा नेत्री है जिसने शह और मात के खेल में मंगल सिंह धुर्वे को एक नहीं बल्कि दो बार पटखनी दी है। वर्ष 2016 के उप चुनाव में अपनी पति सज्जन सिंह के निधन के बाद हुए मध्यावधि चुनाव में श्रीमती गंगा बाई के सामने की टिकट रूपी थाली छीन कर मंगल सिंह को दे दी गई थी। मंगल सिंह धुर्वे को टिकट दिलवाने में हेमंत खण्डेलवाल की अहम भूमिका रही लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर श्रीमती गंगा बाई और मंगल सिंह के बीच टिकट को लेकर मचे महासंग्राम में सामने की थाली श्रीमती गीता बाई रामजीलाल उइके को मिल गई। बीते दो चुनाव से टिकट से वंचित श्रीमती गंगा बाई ने 2023 के चुनाव में मंगल सिंह को मात देकर टिकट पा ली और जैसे तैसे वोटो से चुनाव जीत गई। श्रीमती गंगा बाई को यकीन हो चुका था कि वह चुनाव हार रही है लेकिन उसकी हार को जीत में बदलने का काम किया श्रीमती स्मिता राजा धुर्वे ने जिन्हे मिले वोट यदि कांग्रेस को कमल जाते तो गंगा बाई की नैया पार नहीं लग पाती। भाजपा प्रत्याशी श्रीमती गंगा बाई उईके को कुल 1 लाख 03 हजार 710 वोट मिले, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी राहुल उईके को कुल 99 हजार 497 वोट मिले। श्रीमती गंगा बाई उइके यह चुनाव 4 हजार 213 वोटो से चुनाव जीत गई। श्रीमति स्मिता राजा धुर्वे को मिले 6 हजार 150 वोट यदि नहीं मिले होते तो श्रीमती गंगा बाई चुनाव हार चुकी थी। पूर्व विधायक मंगल सिंह धुर्वे के साथ भाजपा की ओर से मिले आघात का जख्म भरने का काम किया गया था उन्हे लोकसभा चुनाव में टिकट दिलवाने का लेकिन भाजपा की राय शुमारी में डी डी उइके मंगल सिंह धुर्वे से पिछडऩे के बाद जब अपनी टिकट को पा चुके तो घोड़ाडोंगरी की विधायक श्रीमती गंगा बाई उइके की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जानकार लोगो को ऐसा मानना है कि जहां एक ओर श्रीमती गंगा बाई उइके गोंड जाति से आती है। वही दुसरी ओर वर्तमान सासंद दुर्गादास (डी डी) उइके प्रधान जाति से आते है। बैतूल हरदा – हरसूद संसदीय क्षेत्र में आदिवासी समाज में सबसे अधिक वोट गोंड समाज का आता है। पूरे संसदीय क्षेत्र में आदिवासी समाज में प्रधान जाति के वोटो की संख्या लगभग पांच हजार बताई जाती है। संसदीय क्षेत्र में कोरकू एवं गोंड जाति के वोटरो की संख्या लगभग 19 – 20 बताई जाती है। संसदीय क्षेत्र में सबसे अधिक गोंड जाति के लोगो की बाहुल्यता को देखते हुए संसदीय क्षेत्र से इस बार किसी गोंड जाति के व्यक्तिको ही टिकट देने की वकालत शुरू हुई। गोंड समाज से हंसराज धुर्वे, मंगल सिंह धुर्वे और श्रीमती ज्योति बाई धुर्वे भी टिकट की दौड़ में थी। चौथे नम्बर पर टिमरनी के भाजपा विधायक संजय शाह संसदीय क्षेत्र से टिकट की दौड़ में थे लेकिन शह और मात की इस लड़ाई में श्रीमती गंगा बाई उइके ने अपने ही गोंड समाज की खिलाफत प्रधान समाज से आने वाले भाजपा सासंद दुर्गादास उइके का साथ दिया। इसकी वजह यह बताई गई कि श्रीमती गंगा बाई उइके को उनके पति सज्जन सिंह उइके विधायक घोड़ाडोंगरी के निधन के बाद रिक्त हुई सीट से टिकट मांगी तो पार्टी हाइ कमान ने श्रीमती गंगा बाई की जगह जिला पंचायत अध्यक्ष रहे मंगल सिंह धुर्वे को टिकट दे दी। वर्ष 2016 से घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र से मंगल सिंह धुर्वे एवं श्रीमती गंगा बाई के बीच एक दुसरे को पटखनी देने की लड़ाई में जब इस बार लोकसभा की टिकट से मंगल सिंह धुर्वे पिछड़ गए तो श्रीमती गंगा बाई की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सबसे पहले सासंद के घर पर पहुंचने वाली वह एक मात्र भाजपाई विधायक थी जिसने अपने समर्थको के साथ जमकर आतीशबाजी करवाई तथा मिठाईयां बांटी और वे झुम – झुम कर तब तक नाचती रही जब तक की वह थक नहीं गई। जानकार सूत्रो एवं प्रत्यक्ष दर्शी ने बताया कि श्रीमती गंगाबाई को डी डी उइके को टिकट मिलने की उतनी खुशी नहीं थी जितनी मंगल सिंह धुर्वे को टिकट न मिलने की थी। मंगल का अमंगल होने से श्रीमती गंगा बाई का चेहरा खिल उठा और उन्होने जमकर अपनी खुशी को प्रदर्शित किया। अगले महीने लोकसभा के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है ऐसे में जिले में आदिवासी समाज से गोंड जाति से टिकट के प्रमुख दावेदार मंगल सिंह और हंसराज को मौका न मिलना कही न कहीं गोंड जाति को भाजपा के खिलाफ खड़ा कर गया तो भाजपा के सामने संकट का बादल तुफान बन कर आ सकता है क्योकि मोदी मैजिक आदिवासी समाज में शामिल गोंड, कोरकू, ओझा जाति के वोटरो पर उतना असर नहीं कर पाएगा। बैतूल हरदा – हरसूद संसदीय क्षेत्र में वर्तमान समय आठ में तीन विधानसभा अनुसूचित जनजाति के वर्ग के लिए आरक्षित है। इन तीनो विधानसभा क्षेत्र से गोंड – कोरकू जाति के लोग विधायक चुनते चले आ रहे है। जिले में पहली बार सबसे कम संख्या होने के बाद भी प्रधान जाति से किसी पढ़े लिखे व्यक्ति को सीधे सासंद चुना गया।