हाईकोर्ट से मिली राहत, हजारों विद्यार्थियों को होगा फायदा,चार नर्सिंग कॉलेजों के छात्र भी दे सकेंगे परीक्षा
By, बैतूल वार्ता
बैतूल के चार नर्सिंग कॉलेजों के छात्र भी दे सकेंगे परीक्षा
हाईकोर्ट से मिली राहत, हजारों विद्यार्थियों को होगा फायदा
बैतूल।। उच्च न्यायालय का एक आदेश ने उन नर्सिंग विद्यार्थियों के लिए उम्मीद की किरण लेकर आया है जो अपने भविष्य को लेकर पिछले 3 सालों से चिंता में डूबे हुए थे। इस दौरान नर्सिंग कॉलेजों पर चले न्यायालय के चाबुक का असर बैतूल में संचालित कॉलेजों पर भी नजर आया, लेकिन युवा अधिवक्ता अंशुल गर्ग की पैरवी ने विद्यार्थियों को एक अवसर देने का रास्ता खोल दिया है।
न्यायालय के इस फैसले के बाद नर्सिंग के छात्र-छात्राओं में खुशी की लहर व्याप्त है, क्योंकि पिछले तीन सालों से विद्यार्थी परेशान थे। हालांकि न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट कर दिया है कि विद्यार्थियों को परीक्षा देने का एक अवसर प्रदान किया जा रहा है। केवल उन विद्यार्थियों को ही आगे बढ़ने के अवसर मिल पाएंगे जो यह परीक्षा पास कर लेगा।
विद्यार्थियों के भविष्य के हवाले को लेकर की पैरवी
पूरे मामले को लेकर युवा अधिवक्ता अंशुल गर्ग ने बताया कि उच्च न्यायालय के फैसले के बाद बैतूल जिले के नर्सिंग कॉलेजों में अध्ययनरत हजारों विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में आ चुका था। लिहाजा विद्यार्थियों की इस गम्भीर समस्या को देखते हुए हाई कोर्ट में पिटीशन दायर की गई थी। बैतूल जिले में संचालित गोवर्धन दास राठी, अग्रसेन , मारुति और विजन नर्सिंग कॉलेज की ओर से यह याचिका लगाई गई थी।
उन्होंने बताया कि न्यायालय के समक्ष यह पक्ष रखा गया था कि नर्सिंग कालेज में पढ़ने वाले सैकड़ों विद्यार्थी ऐसे हैं, जिन्होंने आर्थिक संकट के बावजूद हजारों रुपयों की फीस जमा कर अपने सुनहरे भविष्य के सपना देखा है। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने की सशर्त अनुमति दी जा रही है। जिन छात्र-छात्राओं ने अध्ययन किया है या प्रशिक्षण लिया है, अगर वो परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाते हैं तो ही उन्हें आगे के लाभ मिलेंगे, अन्यथा वे अपात्र हो जाएंगे।
पूर्व आदेश में अपात्र घोषित कर दिए गए थे विद्यार्थी
हाईकोर्ट ने पूर्व आदेश में सीबीआई जांच के बाद कॉलेजों के विद्यार्थियों को भी अपात्र घोषित किया था। अब हाईकोर्ट ने आदेश में संशोधन करते हुए नए निर्देश जारी किए हैं, क्योंकि कुछ छात्र-छात्राओं और कॉलेजों ने भी आवेदन पेश कर कोर्ट से मांग की थी कि छात्रों के भविष्य और कोरोना काल में इनकी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए उन्हें परीक्षा में सम्मिलित किया जाए।
पिछले तीन सालों से अधर में था भविष्य
नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता समाप्ति के न्यायालय के निर्देश के बाद इन कॉलेजों में पढ़ने वाले सैकड़ों बच्चें मानसिक अवसाद में अपना जीवन गुजार रहे थे। अकेले गोवर्धन दास राठी, अग्रसेन, मारुति और विजन नर्सिंग कॉलेज में ही अध्ययनरत करीब 250 से 300 बच्चों का भविष्य दांव पर लगा हुआ था, लेकिन इन कालेजों के संचालकों ने अपने बच्चों को न्याय दिलाने के उद्देश्य से ही न्यायालय की शरण ली थी। लिहाजा न्यायालय ने भी विद्यार्थियों को राहत देते हुए परीक्षा करवाए जाने के निर्देश जारी किए हैं। साभार