जिस पार्टी को कोसा- हमले के आरोप लगाए अब उसी का दामन थामने को तैयार बैठी निशा
पूर्व डिप्टी कलेक्टर का कांग्रेस से मोह भंग, दो पेज का पत्र लिखकर पीसीसी चीफ को सौंपा इस्तीफा
बैतूल।। गत विधानसभा चुनाव में पूरे देश में लाइम लाइट हुई डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे अब भाजपा का दामन थामेंगी। चुनाव के पहले वे भाजपा पर इतनी मुखर हुई थी कि पत्रकारों से चर्चा करते हुए जमकर भड़ास निकालते रही। उन्होंने बैतूल से भोपाल तक की यात्रा के दौरान भाजपा पर सुनियोजित हमले के आरोप तक लगाए। तत्कालीन मुख्यमंत्री के साथ प्रशासनिक कटघरे को आड़े हाथों लिया, लेकिन अब उन्हें कांग्रेस की राजनीति में वजन नहीं मिला तो अंबेडकर जयंती पर दो पेज का त्यागपत्र सौंपकर उन्होंने कांग्रेस को बाय-बाय कर दिया। चौकाने वाली बात यह है कि भाजपा की ही खिलाफत करने वाली पूर्व डिप्टी कलेक्टर को अब भाजपा में जाने का निर्णय लेना पड़ रहा है। अपने पल-पल बदलते बयानों को लेकर सुर्खियों में रही बांगरे ने पहले दोबारा डिप्टी कलेक्टर की नौकरी भी मांगी थी। इसके बाद कांग्रेस पर उन्होंने अपने दुरुपयोग तक के आरोप लगा दिए।
कांग्रेस पर लगाया साजिश करने का आरोप
पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को पत्र भेजकर पार्टी के सभी दायित्वों से मुक्त करने को कहा था। उन्होंने कांग्रेस पर धोखा देने और षड्यंत्र कर चुनाव लड़ने से रोकने का आरोप भी लगाया है। बाबा साहेब के जयंती पर्व पर निशा ने भाजपा का दामन थामने के बाद मीडिया के सामने अपनी भड़ास निकालते हुए कांग्रेस को धोखेबाज बताया है। उन्होंने कहा कि मैं समझती थी कि कांग्रेस से चुनाव लड़कर समाज के शोषित, पीड़ित और वंचित लोगों का प्रतिनिधित्व करूंगी , बाबा साहब के सपनों को साकार कर सकूंगी, लेकिन कांग्रेस की नीयत का करीब से आंकलन कर मैंने यह पाया कि कांग्रेस पार्टी ने मुझे धोखा दिया। आज मैं बाबा साहेब के जयंती अवसर पर छिंदवाड़ा आई हूं। मैंने भाजपा की राह स्वीकार करना ही उचित समझा है। मैं अपने लोगों को यह बताना चाहती हूं कि कांग्रेस ने किस तरह एक महिला का समाज की बेटी का अपमान किया है। पहले नॉकरी छुड़वाई और बाद में घर बैठा दिया गया।
उन्होंने कमलनाथ पर आरोप लगाते कहा कि मुझे टिकिट दिए जाने का पूर्ण आश्वासन दिया गया था, लेकिन मंच से यह कह दिया गया कि मैं चुनाव नहीं लड़ रही हूं। निशा ने अपने सुर बदलते भाजपा की तारीफ करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 34 प्रतिशत महिलाओं को मौका दिया है। उन्होंने कहा कि अपने लोगों को यह बताना चाहती हूं कि अब समय आ गया है कि हमें किस विचारधारा को लेकर आगे बढ़ना है। भाजपा के लिए प्रचार करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी उनका विचार नहीं है, लेकिन प्रस्ताव दिया गया तो वे प्रचार भी करेंगी। गौरतलब है कि फिलहाल निशा ने भाजपा का दामन तो थाम लिया है पर भाजपा की प्राथमिक सदस्यता मिलना अभी बाकी है।
सरकारी नौकरी में वापसी की भी जता चुकी इच्छा
कांग्रेस ने निशा बांगरे को प्रदेश महामंत्री और मुख्य प्रवक्ता बनाया था। इससे पहले उन्होंने सरकारी नौकरी में वापस आने की उम्मीद जताई थी मुख्य सचिव वीरा राणा को आवेदन भी भेजा था।लेकिन अभी तक विभाग की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। गौरतलब है कि बांगरे छतरपुर जिले में बतौर डिप्टी कलेक्टर पोस्टेड थीं। छतरपुर जिले के लवकुश नगर में एसडीएम रहते उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। वे बैतूल जिले की आमला सीट से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती थीं। इसी वजह से सरकारी नौकरी से इस्तीफा दिया था। उनका इस्तीफा शासन की ओर से जब तक स्वीकार किया गया, तब तक कांग्रेस ने मनोज मालवे को उम्मीदवार घोषित कर दिया था। ऐसे में वे चुनाव नहीं लड़ पाई थीं। अब वे भाजपा में हैं। देखना है कि निशा राजनीति में अपना कैरियर बना पाती हैं या फिर प्रशासनिक पुन: हासिल कर पाती हैं।
वापसी की आस वरिष्ठों पर टिकी
जानकार सूत्र बताते हैं कि आमला विधानसभा से कांग्रेस की टिकट मांगने वाली निशा बांगरे का इस्तीफे का प्रकरण हाईकोर्ट के आदेश के बाद अंतिम दौर में सुलझा तब तक यहां से पार्टी ने मनोज मालवे को उम्मीदवार बना दिया। यही उनकी उम्मीद टूट गई। हालांकि कांग्रेस सत्ता में आती तो शायद उन्हें सम्मानजनक पद मिल सकता था, लेकिन भाजपा की सत्ता में वापसी के बाद उनके रास्ते में कई कांटे आ गए। जिले के भी कई भाजपाई राजनैतिज्ञों पर भी उन्होंने पूर्व में कटाक्ष किए। यही वजह है कि उनकी भाजपा में जाने की मंशा पर स्थानीय भाजपाई विरोध जता सकते हैं, लेकिन यदि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उन्हें पार्टी में शामिल करता है तो स्थानीय लोगों को भी समझौता करना पड़ सकता है। वैसे यह सब भाजपा हाईकमान पर भी निर्भर है।