सैम पित्रोदा ने ऐसा क्या कहा कि हो गया विवाद, पीएम मोदी को आया कांग्रेस पर ग़ुस्सा
इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चेयरमैन सैम पित्रोदा के एक बयान से विवाद शुरू हो गया है.
सैम पित्रोदा ने अंग्रेज़ी अख़बार स्टेट्समैन को दिए इंटरव्यू में उत्तर भारत के लोगों की तुलना गोरों, पश्चिम में रहने वालों की तुलना अरब, पूर्व में रहने वाले लोगों की तुलना चाइनीज़ और दक्षिण भारत में रहने वालों की तुलना अफ़्रीकियों से की थी.
कांग्रेस पार्टी ने पित्रोदा के बयान से किनारा कर लिया है और उसके सहयोगी दलों ने भी बयान को ग़लत करार दिया है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, “सैम पित्रोदा की ओर से भारत की अनेकताओं को जो उपमाएं दी गई हैं, वो ग़लत और दुर्भाग्यपूर्ण हैं, अस्वीकार्य हैं. कांग्रेस इन उपमाओं से अपने आप को पूर्ण रूप से अलग करती है और इसका खंडन करती है.”
पीएम नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी सभी में सैम पित्रोदा के बयान की निंदा की है और राहुल गांधी समेत कांग्रेस को घेरा है.
पीएम मोदी ने कहा, “मैं आज बहुत ग़ुस्से में हूँ. मुझे कोई गाली दे, मुझे ग़ुस्सा नहीं आता. मैं सहन कर लेता हूँ. लेकिन आज शहजादे के फिलॉस्फर (सैम पित्रोदा) ने इतनी बड़ी गाली दी है, जिसने मुझमें ग़ुस्सा भर दिया है. कोई मुझे ये बताए कि क्या मेरे देश में चमड़ी के आधार पर योग्यता तय होगी. संविधान सिर पर लेकर नाचने वाले लोग चमड़ी के रंग के आधार पर मेरे देशवासियों का अपमान कर रहे हैं.”
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भी ज़िक्र किया और कांग्रेस पर निशाना साधा.
पीएम मोदी ने द्रौपदी मुर्मू पर क्या कहा
पीएम मोदी बोले, “मैं बहुत सोच रहा था कि द्रौपदी मुर्मू जी जिनकी बहुत प्रतिष्ठा है. आदिवासी समाज की बेटी हैं. उनको हम राष्ट्रपति बना रहे हैं, तो कांग्रेस उनको हराने के लिए इतनी मेहनत क्यों कर रही है. कांग्रेस आदिवासियों को नाराज़ क्यों कर रही है. मैं सोचता रहता था पर मुझे समझ नहीं आता था. मुझे लगता कि ये शहजादे का दिमाग़ थोड़ा ऐसा है तो वो मुर्मू जी का विरोध कर रहा है.”
सैम पित्रोदा की ओर इशारा करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “मुझे आज पता चला कि कांग्रेस पार्टी द्रौपदी मुर्मू जो आदिवासी बेटी हैं, उनको हराने के लिए मैदान में क्यों उतरे थे.”
वो बोले, “आज मुझे पता चला कि अमेरिका में शहजादे के एक अंकल रहते थे. ये शहजादे के अंकल उनके फिलॉस्फर गाइड हैं. जैसे क्रिकेट में आजकल थर्ड अंपायर होते हैं, ठीक वैसे ही शहजादे थर्ड प्लेयर से कंफ्यूज होने पर सलाह लेते हैं.”
पीएम मोदी कहते हैं, “इन अंकल ने बड़ा रहस्य खोला है. उसने कहा है कि जिनकी चमड़ी का रंग काला होता है, ये सब अफ़्रीका के हैं. मेरे देश के लोगों को चमड़ी के आधार पर इतनी बड़ी गाली दे दी. तब जाकर मुझे समझ आया कि चमड़ी का रंग देखकर उन्होंने मान लिया कि द्रौपदी मुर्मू भी अफ़्रीकन हैं. इसलिए उनकी चमड़ी का रंग काला है तो उनको हराना चाहिए.”
पीएम मोदी ने कहा, “देश को कहाँ ले जाएँगे. अरे चमड़ी का रंग कोई भी हो. हम तो कृष्ण को पूजने वाले लोग हैं, जिमकी चमड़ी का रंग हम जैसा था.”
सैम पित्रोदा ने कहा क्या?
अंग्रेजी अखबार ‘द स्टेट्समैन’ को दिए इंटरव्यू में सैम पित्रोदा ने कहा, “हम भारत जैसे विविधता से भरे देश को एकजुट रख सकते हैं, जहाँ पूर्व में रहने वाले लोग चाइनीज़ जैसे दिखते हैं, पश्चिम में रहने वाले अरब जैसे दिखते हैं, उत्तर में रहने वाले मेरे ख़्याल से गोरे लोगों की तरह दिखते हैं, वहीं दक्षिण में रहने वाले अफ़्रीकी जैसे लगते हैं. इससे फ़र्क़ नहीं पड़ता. हम सब भाई-बहन हैं.”
पित्रोदा ने कहा कि भारत में अलग-अलग क्षेत्र के लोगों के रीति-रिवाज़, खान-पान, धर्म, भाषा अलग-अलग हैं, लेकिन वे सभी एक-दूसरे का सम्मान करते हैं.
पित्रोदा ने कहा, “आज आइडिया ऑफ़ इंडिया को लेकर देश वाक़ई बँटा हुआ है. ये ऐसा नहीं है कि कौन सही और कौन ग़लत है लेकिन सवाल ये है कि आपकी मान्यता क्या है. दोनों तरफ़ स्थितियाँ काफ़ी कठिन हैं.”
सैम पित्रोदा बोले, “एक पक्ष का मानना है कि हमें हिंदू राष्ट्र चाहिए. मेरी नज़र में उस पक्ष का प्रतिनिधित्व ऐसे लोग कर रहे हैं, जिन्होंने महात्मा गांधी को मारा. ये सही है या ग़लत, हम इस बारे में बहस कर सकते हैं. उनका विचार है कि भारत हिंदुओं का देश है, जहाँ दूसरों के लिए कोई जगह नहीं है, ख़ासतौर पर मुसलमानों के लिए. देश में 20 करोड़ मुसलमान हैं, आप उन्हें नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते.”
“ये पक्ष राम मंदिर, इतिहास, धरोहर, हनुमान, बजरंग दल और इस तरह के सभी मुद्दों के इर्द-गिर्द रहता है. मैं उनके विचार का सम्मान करता हूँ.”
उन्होंने कहा, “दूसरा पक्ष ये है कि हमारे देश की नींव रखने वालों ने ब्रिटिश राज से संघर्ष किया. ये लड़ाई हिंदू राष्ट्र के लिए नहीं थी, बल्कि एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के लिए थी. पाकिस्तान ने धर्म को चुना और देखिए उसका क्या हश्र हुआ.”
वो बोले, “हम दुनिया भर में लोकतंत्र का चमकता हुआ उदाहरण हैं. 70 साल तक देश में लोग ख़ुशहाल माहौल में रहे. हम सब भाई-बहन हैं. हम सब अलग संस्कृति, भाषा, भोजन सबका सम्मान करते हैं. ये वो भारत है, जिसे मैं मानता हूँ. एक ऐसा भारत जिसके मूल में लोकतंत्र, आज़ादी, बंधुता है.”
सैम के बयान पर किसने क्या कहा
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने सैम पित्रोदा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “सैम भाई, मैं उत्तर पूर्व से हूँ और मैं एक भारतीय की तरह दिखता हूँ. हम विविधता वाले देश हैं, हम अलग दिख सकते हैं लेकिन हम सब एक हैं. हमारे देश के बारे में थोड़ा तो समझ लो.”
अरुणाचल प्रदेश से आने वाले मोदी सरकार के मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट कर कहा, “राहुल गांधी के मुख्य सलाहकार कह रहे हैं कि दक्षिण भारतीय अफ़्रीकियों जैसे हैं, उत्तर पूर्व के लोग चीनियों जैसे हैं…. इस बयान की टोन भारत को बाँटने वाली है. शर्मनाक.”
मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने भी सैम पित्रोदा के बयान की निंदा की.
उन्होंने ट्वीट किया, “कांग्रेस ने हमेशा भारत को बाँटने की कोशिश की लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि उत्तर पूर्व भारत का हिस्सा रहा है और हमेशा रहेगा. कांग्रेस को माफ़ी मांगनी चाहिए.”
बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, “लोकसभा का चुनाव आगे बढ़ता जा रहा है और कांग्रेस के चेहरे से नक़ाब उतरता जा रहा है और वो देश के अंदर, भीतर और बाहर, सब तरफ से वो नक़ाब उतर रहा है.”
शिवसेना (यूबीटी) की नेता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “मैं उनकी बात से सहमत नहीं हूँ, लेकिन मैं आपसे सवाल पूछना चाहती हूँ कि क्या वे मेनिफ़ेस्टो कमेटी के मेंबर हैं, क्या वो कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारक हैं. क्या वो इस देश में रहते हैं. 1969 से वो विदेश में रह रहे हैं. जब राजीव गांधी जी थे तब वो देश में टेलिकॉम रिवोल्यूशन लाए थे, लेकिन वो भी 50 साल पुरानी है.”
प्रियंका चतुर्वेदी बोलीं, “उनके मुद्दे को देश का मुद्दा बनाना, ये दुर्भाग्यपूर्ण है. आज हर तरफ से देश का युवा बेरोज़गार है. हर तरफ़ से महिला प्रताड़ित है. पिछड़ा हुआ वर्ग है, वो उम्मीद था कि अच्छे दिन आएँगे, वो उन्हें नहीं मिले हैं. भ्रष्टाचार चरम पर है. किसानों की जो हालत हुई है वो देश ने देखी है.”
उन्होंने कहा कि सैम पित्रोदा से देश को कुछ लेना देना नहीं है.
सैम पित्रोदा और विवाद
ये पहली बार नहीं है, जब सैम पित्रोदा किसी विवाद से घिरे हैं.
सैम इंडियन ओवरसीज़ कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. राहुल गांधी जब विदेश दौरों पर जाते हैं तो सैम उनके साथ अक्सर नज़र आते हैं.
कुछ दिन पहले ही अप्रैल 2024 में संपत्ति बँटवारे पर सैम पित्रोदा के दिए बयान पर पीएम मोदी समेत बीजेपी आक्रामक रही थी.
सैम पित्रोदा ने अमेरिका के इनहेरिटेंस (उत्तराधिकार) टैक्स की वकालत की थी.
शिकागो में समाचार एजेंसी एएनआई से सैम पित्रोदा ने कहा था, “अमेरिका में इनहेरिटेंस टैक्स की व्यवस्था है. इसका मतलब है कि अगर किसी के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है तो उसके मरने के बाद बच्चों को केवल 45 फ़ीसदी संपत्ति ही मिलेगी और बाक़ी 55 फ़ीसदी सरकार ले लेगी.”
उन्होंने कहा था, “भारत में आप ऐसा नहीं कर सकते. अगर किसी की संपत्ति 10 अरब रुपये है और वह इस दुनिया में न रहे तो उनके बच्चे ही 10 अरब रुपये रखते हैं और जनता को कुछ नहीं मिलता… तो ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिस पर लोगों को बहस और चर्चा करनी चाहिए. मैं नहीं जानता कि इसका नतीजा क्या निकलेगा लेकिन जब हम संपत्ति के पुनर्वितरण की बात करते हैं, तो हम नई नीतियों और नए तरह के प्रोग्राम की बात करते हैं जो जनता के हित में है.. न कि केवल अमीर लोगों के.”
इसके बाद पीएम मोदी ने एक चुनावी सभा में इस बयान का ज़िक्र करते हुए कहा था- “जब तक आप जीवित रहेंगे, तब तक कांग्रेस आपको ज़्यादा टैक्स से मारेगी और जब जीवित नहीं रहेंगे, तब आप पर इनहेरिटेंस टैक्स का बोझ लाद देगी.”
मई 2019 में पित्रोदा ने 1984 सिख दंगों पर एक बयान दिया था, जिस पर काफी हँगामा हुआ था.
सैम पित्रौदा ने एक सवाल के जवाब में कहा था, “1984 में हुआ तो हुआ पिछले पाँच साल में क्या हुआ इस पर बात करिए.”
हालांकि जब इस बयान पर हंगामा हुआ तो सैम ने माफ़ी मांगी और अपने बयान की वजह अपनी ख़राब हिंदी को बताया था.
साल 2019 में सैम पित्रौदा का एक और बयान चर्चा में रहा था.
पुलवामा हमले और फिर भारत की जवाबी कार्रवाई के बाद सैम ने कहा था, “हमले होते रहते हैं. मुंबई में भी हमला हुआ था. हम भी प्रतिक्रिया देते हुए प्लेन भेज सकते थे लेकिन ये सही नहीं होता. मेरे हिसाब से आप दुनिया से ऐसे नहीं निपटते हैं.”
सैम पित्रोदा के बारे में कुछ बातें
सैम पित्रोदा को भारत में टेलीफोन लाने और बेहतर विस्तार दिए जाने का श्रेय दिया जाता है.
सैम पित्रोदा के सफ़र की शुरुआत ओडिशा के बोलांगीर ज़िले के एक गाँव से हुई थी.
सैम के दादा बढ़ई और लोहार का काम किया करते थे.
सैम के पिता चाहते थे कि वो गुजराती और अंग्रेज़ी सीखें इसलिए उन्होंने उन्हें और उनके बड़े भाई मानेक को पढ़ने के लिए पहले गुजरात में विद्यानगर के शारदा मंदिर बोर्डिंग स्कूल और फिर बड़ोदा विश्वविद्यालय भेजा.
वहाँ से उन्होंने भौतिकी शास्त्र में प्रथम श्रेणी में एमएससी की परीक्षा पास की.