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गरीब वर्ग को अवैध कॉलोनी के नाम पर किया जा रहा परेशान प्रशासनिक राहत के बावजूद परेशानियां जारी, एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

By, बैतूल वार्ता

गरीब वर्ग को अवैध कॉलोनी के नाम पर किया जा रहा परेशान
प्रशासनिक राहत के बावजूद परेशानियां जारी, एसडीएम को सौंपा ज्ञापन
बैतूल। मध्य प्रदेश शासन और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई छूट के बावजूद भीमपुर में गरीब और आदिवासी परिवारों को अवैध कॉलोनी के नाम पर परेशान किया जा रहा है। प्रशासनिक और कानूनी राहतों को नजरअंदाज कर, स्थानीय अधिकारियों और प्रभावशाली लोगों द्वारा इन वंचित समुदायों को अपनी जमीनों से बेदखल करने के प्रयास हो रहे हैं।
गौरतलब है मध्य प्रदेश सरकार ने 1999 में जारी किए गए मध्य प्रदेश ग्राम पंचायत के रजिस्ट्रीकरण और निबंधन तथा शर्तें नियम के तहत एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। नए प्रावधान के अनुसार, ग्राम पंचायत क्षेत्रों में गरीब वर्ग के परिवार अब कृषि भूमि पर भूखंड खरीद और बेच सकते हैं, और इसके लिए डायवर्सन (भूमि उपयोग में परिवर्तन) अनिवार्य नहीं होगा। यह निर्णय उन गरीब तबके के लोगों के लिए वरदान साबित होगा जो कम खर्च में अपने सिर पर छत का सपना देख रहे हैं। इस नए प्रावधान के तहत, ग्राम पंचायत क्षेत्र की परिभाषा में उन क्षेत्रों को शामिल किया गया है जो चार राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 के तहत निर्दिष्ट या घोषित किए गए राष्ट्रीय राजमार्ग और मध्य प्रदेश हाईवे एक्ट 1936 के तहत अधिसूचित लोक मार्गों के किनारे एक किलोमीटर की दूरी के भीतर स्थित हैं।
भीमपुर कॉलोनी का उदाहरण
उदाहरण के तौर पर, भीमपुर कॉलोनी, जो वर्तमान में नाछा से 6 किलोमीटर दूर स्थित है, 1993 से बसाई जा रही है। यह क्षेत्र स्टेट हाईवे से काफी दूर होने के बावजूद, यहाँ के आदिवासी और गरीब लोग इस नए नियम के अंतर्गत लाभ उठा सकेंगे। 1993 में जब आशापुर मार्ग स्टेट हाईवे नहीं था, तब से यहाँ कॉलोनी बसाई जा रही है, यहां के निवासियों का कहना है कि स्थानीय प्रशासन और प्रभावशाली लोग उन्हें लगातार परेशान कर रहे हैं और उनकी जमीन को अवैध घोषित करने की धमकी दे रहे हैं। एक निवासी, रामा काकोडिया, ने बताया, हम पिछले कई वर्षों से यहां रह रहे हैं और हमारे पास सभी आवश्यक दस्तावेज हैं। इसके बावजूद हमें अवैध कॉलोनी के नाम पर डराया और धमकाया जा रहा है। इस मामले में गरीब परिवारों ने भैंसदेही अनुविभागीय अधिकारी को ज्ञापन सौंप कर उचित कार्यवाही करने की मांग की है। ज्ञापन सौंपने वालों में सोनी बाई, सुकल, सुशीला, आशाराम, देबू सिंह छन्नू सिंह, सत्री बाई, सेवंती, काडमा धोटे, रतन धुर्वे, प्रेमलता, गुन्नू सिंह, सरिता चौहान, अनीता चौहान आदि शामिल है।

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