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जिन ईई के कार्यकाल में घटिया सड़क बनी, वहीं बता रहे हैं नियम बारिश में सड़क बनने पर उठा रहे सवाल, पूर्व ईई के कार्यकाल में कई सड़क उखड़ी

By, बैतूल वार्ता

जिन ईई के कार्यकाल में घटिया सड़क बनी, वहीं बता रहे हैं नियम

बारिश में सड़क बनने पर उठा रहे सवाल, पूर्व ईई के कार्यकाल में कई सड़क उखड़ी

बैतूल। इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है कि बैतूल नपा में पहले चार साल तक एई और बाद में तीन साल तक ईई रहे महेशचंद्र अग्रवाल के कार्यकाल में कई घटिया सड़कें बनी है और उखड़ भी गई। पार्षदों से लेकर जनप्रतिनिधियों ने भी नाराजगी जताई, लेकिन नतीजा सिफर रहा। अब वे एक्सपर्ट बनकर दावा कर रहे हैं कि 100 डिग्री तापमान रहने पर डामर और गिट्टी का मिश्रण सही रहता है। पानी और डामर का एक दूसरे से 36 का आंकड़ा है। यदि ऐसा है तो उनके कार्यकाल में न बैतूल नपा बल्कि उनके कार्यक्षेत्र में आने वाले नगरपालिकाओं में ऐसी कई सड़कें निर्माण कर ली, तब उनका ध्यान इस ओर क्यों नहीं गया? इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि नगरपालिका में ईई और एई सड़क निर्माण में तकनीकी स्वीकृति के बाद ही सड़क के मटेरियल की जांच के बाद इसे भुगतान के लिए आगे बढ़ाते हैं। यदि पिछले पांच वर्षों में नगरपालिका में डामरीकरण और सीसी सड़क के रिकार्ड तलाशे जाए तो स्थिति सामने आ जाएगी। कितनी सड़क तीन वर्ष के पहले उखड़ गई है। यदि इस पर नजर दौड़ाए तो आंकड़ा दर्जनों के पार हो जाएगा। सभी सड़कों की तकनीकी स्वीकृति ईई और एई के सामने होती है।

फाइल पर चलता है पूरा खेल

सूत्र बताते हैं कि नियम के अनुसार सड़क निर्माण के लिए तकनीकी स्वीकृति मिले बिना सड़क नहीं बनती। पिछले पांच वर्षों में आधा सैकड़ा से अधिक डामरीकृत और सीसी सड़क बनी है। इनमें से सीसी सड़क तो एक वर्ष में ही अधिकांश जगह उखड़ गई। डामरीकृत सड़क की बखिया उखड़ने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी गई। एई और ईई ने इन्हें एप्रुल कर भुगतान के लिए भी आगे बढ़ा दिया, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि सड़क गुणवत्तायुक्त नहीं बनने पर कैसे भुगतान हो गया। दोबारा सड़क निर्माण करने के लिए ठेकेदारों पर कोई दबाव नहीं बनाया गया। नतीजा नगरपालिका को ही फटका लग रहा है।

रिकार्ड उठाकर देखे तो कई सत्य सामने आ सकते हैं सामने

नपा के रिटायर्ड ईई महेशचंद्र अग्रवाल ने पिछले दिनों एक मीडिया से चर्चा में कहा था कि 100 डिग्री तापमान रहने पर ही डामर और गिट्टी का मिश्रण ठीक होता है। डामर और पानी का एक दूसरे से 36 का आंकड़ा है। यदि उनकी यह बात सही है तो उनके कार्यकाल में जितनी भी डामरीकृत सड़कें बनी है, उसे इसकी जानकारी निकाल ली जाए तो वस्तु स्थिति साफ हो जाएगी। अग्रवाल नपा में ईई के पहले एई भी रहे। उनके कार्यकाल में कई सड़कें बनाई गई।
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या डामरीकृत सड़कें 100 डिग्री तापमान में ही बनाई गई, यदि ऐसा होता तो आबकारी से मेकेनिक चौक तक और मुख्यमंत्री अधोसंरचना की गंज की 4 प्रमुख सड़कों की बखिया नहीं उधड़ती। पहले खुद के कार्यकाल के बजाए वे शहर में निर्माण कार्यों में एक्सपर्ट बनकर जिस तरह से सलाह दे रहे हैं। इससे लोगों में भी नाराजगी है। कहा तो यह भी जा रहा हैकि कई मामलों की फाइल भी उन्होंने सीएमओ को उपलब्ध नहीे कराई है। इससे कई काम पिछड़ गए हैं। इस संबंध में सेवानिवृत्त ईई महेशचंद्र अग्रवाल को दोपहर 1.53 बजे दो बार उनके मोबाइल नंबर 9993342552 पर दो बार काल किया, लेकिन मोबाइल रिसीव नहीं करने के कारण उनसे चर्चा नहीं हो सकी।

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