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अपात्रों की बोल रही तूती, राजनैतिक रसूख के कारण अधिकारियों की चुप्पी पर उठ रहे सवाल, एकलव्य में 7 कर्मचारियों के निलंबन के बावजूद फिर गड़बड़झाला!

By,वामन पोटे ___बैतूल वार्ता

एकलव्य में 7 कर्मचारियों के निलंबन के बावजूद फिर गड़बड़झाला!

अपात्रों की बोल रही तूती, राजनैतिक रसूख के कारण अधिकारियों की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

बैतूल करीब 7 करोड़ रुपए सालाना बजट वाले एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में 7 कर्मचारियों के निलंबन के बाद इसका खुलासा हो चुका है कि विद्यालय में खर्च किए जाने वाले बजट का कैसा दोहन किया जा चुका है। बहती गंगा में छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों ने जम कर हाथ धोए, लेकिन कार्यवाही का शिकार सिर्फ छोटे कर्मचारियों को ही होना पड़ा। सूत्र बताते हैं कि अपने राजनीतिक और प्रशासनिक रसूख का ही नतीजा है कि बड़े अधिकारियों की जिम्मेदारी तक तय नहीं की गई। यही वजह है कि मामला शांत होने और मौजूदा हालातों के बीच विद्यालय में एक बार फिर चोरी- चुपके चौसर की बिसात तैयार की जा चुकी है। यानी कि फिर वहीं पुराना खेल जमाया जा रहा है।

किसके इशारे पर चल रहा था मास्टर माइंड गेम, कैसे हुआ करोड़ों का खेल

पुरानी कहावत है कि गेहूं के साथ घुन भी पिसता हैं, लेकिन अधिकारियों, ठेकेदार और विद्यालय प्रबंधन के बीच बने इस गठजोड़ में गेहूं नहीं, बल्कि कुछ घुन ही पिसते नजर आए। पूर्व में हुई विभागीय जांच में सिर्फ 7 पर ही गाज गिरी, लेकिन इस फर्जीवाड़े के पीछे काम करने वाले मास्टर माइंड लोगों को साफ बचा लिया गया। जबकि एकलव्य में ठेकेदार के माध्यम से होने वाली लाखों रुपए की खरीदी में की गई वित्तीय अनियमितताएं जांच में उजागर हुई थी।
कौड़ियों के दाम मिलने वाली सामग्रियों की कीमत लाखों में चुकाई गई, लेकिन उन अधिकारियों की जिम्मेदारी अभी तक तय नहीं की गई, जिनकी नाक के नीचे पूरा खेल खेला जा रहा था। कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने तहसीलदार के नेतृत्व में पूरे मामले की जांच करवाई तो दूध का दूध और पानी का पानी हो चुका था। जांच प्रतिवेदन प्राप्त होने के बाद संवेदनशील कलेक्टर ने कार्यवाही का प्रस्ताव बनाकर तत्काल आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग को भेज दिया था, लेकिन सूत्र बताते हैं कि उच्च पदस्थ अधिकारियों द्वारा आधी अधूरी कार्यवाही कर अपना पल्ला झाड़ लिया गया था।
करोड़ों रुपए की वित्तीय अनियमितता में उस अधिकारी पर कोई कार्यवाही सुनिश्चित नहीं कि गयी जो जिला मुख्यालय पर बैठकर पूरे जिले में जनजातीय कार्य विभाग का कामकाज संभाल रहे हैं। सूत्रों की माने तो यह कतई सम्भव नहीं है कि विभाग प्रमुख की नाक के नीचे करोड़ों की बंदरबांट होती रही और उन्हें इसका पता तक नहीं चल पाया। वित्तीय वर्ष 2023-24 में की गई इस अनियमितता की जांच यदि आगे बढ़ाई जाए तो इस खेल के मास्टर माइंड अपने आप सामने आ जाएंगे और आदिवासी छात्र-छात्राओं के हक और अधिकार पर डाका डालने वाले अधिकारियों की कारगुजारी भी उजागर हो सकेगी।

अपात्र बना रहे पात्रों पर दबाव, अधिकारियों की चुप्पी सवालों के घेरे में

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एकलव्य आवासीय विद्यालय में वित्तीय अनियमितता उजागर होने के बाद नियम अनुसार केंद्रीय परीक्षा के जरिये लगभग 24 शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है। इसके बाद उन अपात्र शिक्षकों को अपनी जमीन खिसकती नजर आ रही है जिन्हें मूल पदस्थापना स्थल पर भेजा जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि अब इन अपात्र शिक्षकों ने नए सिरे अपना जुगाड़ भिड़ाना शुरू कर दिया है क्योंकि यहां अपात्रों की ही हमेशा तूती बोलती आई है। जैसा वो चाहते हैं वैसा ही होता है, संस्था में हुई वित्तीय अनियमितताओं में इनके हाथ भी काले है ।
सूत्रों ने बताया की शिक्षकों के पद पर रहते हुए इनके द्वारा कोई भी आधिकारिक दस्तावेजों पर हस्ताक्षर तो नहीं किए जाते परंतु विद्यालय में होने वाले कई महत्वपूर्ण निर्णयों में इनकी प्रमुख भूमिका रहती है। स्थिति इतनी गंभीर है कि वर्तमान में नेस्ट के नवनियुक्त शिक्षकों को भी यह अपात्र शिक्षक अपने मनमाने ढंग से चलाने की कोशिश में लगे हुए हैं। नवनियुक्त कई शिक्षकों के कार्यों में इनका सीधा हस्तक्षेप हो रहा है, जिसकी जानकारी जिला और संभाग स्तरीय अधिकारियों को भी है, परंतु कुछ राजनेताओं और अधिकारियों के वरदहस्त के चलते इन पर आंच तक नहीं आ पा रही है।

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