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जयस ने शहर में निकाली ऐतिहासिक महारैली में बड़ी संख्या में आदिवासी हुए शामिल क्रांतिकारी सरदार विष्णु सिंह गोंड की प्रतिमा का हुआ भव्य अनावरण अनावरण के अवसर पर कोठी बाजार में उमड़ा जन सैलाब

By,वामन पोटे

जयस ने शहर में निकाली ऐतिहासिक महारैली
में बड़ी संख्या में आदिवासी हुए शामिल
क्रांतिकारी सरदार विष्णु सिंह गोंड की प्रतिमा का हुआ भव्य अनावरण
अनावरण के अवसर पर कोठी बाजार में उमड़ा जन सैलाब
बैतूल। जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) द्वारा रविवार कोठी बाजार बस स्टैंड पर महान क्रांतिकारी सरदार विष्णु सिंह गोंड की प्रतिमा का भव्य अनावरण किया गया। इस अवसर पर जयस जिला अध्यक्ष एवं जिला पंचायत सदस्य संदीप कुमार धुर्वे के नेतृत्व में एक ऐतिहासिक महारैली निकाली गई, बड़ी  तादाद में आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हुए।
इस महारैली में छिंदवाड़ा, हरदा, धार सहित अन्य जिलों से जयस के पदाधिकारी भी शामिल हुए। रैली शहर में भ्रमण के बाद यह कोठी बाजार बस स्टैंड पहुंची। यहां पर भव्य रूप से सरदार विष्णु सिंह गोंड की प्रतिमा का अनावरण किया गया। रैली के दौरान शहर में जगह-जगह सामाजिक संगठनों द्वारा पुष्पवर्षा से रैली का स्वागत किया गया और फल वितरण भी किए गए।
सभी आदिवासी अपनी पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए, जिससे रैली की शोभा और भी बढ़ गई। हजारों की संख्या में महिला-पुरुष पारंपरिक वेशभूषा में शोभायात्रा में शामिल हुए। पूरी महारैली के दौरान पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीमें सुरक्षा और आपातकालीन सेवाओं के लिए तैनात रहीं, जिससे रैली शांतिपूर्ण और सफलतापूर्वक संपन्न हो सकी।
सरदार विष्णु सिंह गोंड का गौरवपूर्ण इतिहास
सरदार विष्णु सिंह गोंड का जन्म बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के ग्राम महेंद्रवादी में हुआ था। स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही। उन्होंने सतपुड़ा के घने जंगलों में आदिवासी समुदाय को संगठित कर ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष की नई इबारत लिखी।
जंगल सत्याग्रह आंदोलन में सरदार गंजन सिंह की गिरफ्तारी के बाद, सरदार विष्णु सिंह गोंड ने आदिवासी अंचलों में स्वतंत्रता की मशाल को जलाए रखा। वे 1930 के जंगल सत्याग्रह से लेकर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन तक आदिवासियों के शक्तिपुंज बने रहे। अपने युवा दिनों में ही वे स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए थे और 1930 के जंगल सत्याग्रह में काफी सक्रिय रहे। 1932 में उन्होंने इस आंदोलन का नेतृत्व किया और आदिवासियों को स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने के लिए प्रेरित किया।
1942 में गाँधीजी के भारत छोड़ो आंदोलन में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 5 हजार से अधिक आदिवासियों का नेतृत्त्व करते हुए वे ‘सरदार’ विष्णु सिंह के नाम से प्रसिद्ध हो गए। उनका प्रभाव इतना गहरा था कि घोड़ाडोंगरी अंचल के आदिवासी उनकी एक आवाज पर कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते थे। जयस जिला अध्यक्ष संदीप कुमार धुर्वे ने बताया कि सरदार विष्णु सिंह गोंड का व्यक्तित्व और उनका संघर्ष आदिवासी समाज के लिए प्रेरणास्रोत बना हुआ है। उनकी स्मृति में प्रतिमा का अनावरण कर आज के इस ऐतिहासिक दिन को एक नई पहचान मिली है।

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