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पारसडोह परियोजना पर सवाल, 42 गांवों के 20 हजार किसानों की सिंचाई व्यवस्था ठप

By,वामन पोटे

जिपं सदस्य उर्मिला गव्हाड़े ने सिंचाई परियोजना में लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

पारसडोह परियोजना पर सवाल, 42 गांवों के 20 हजार किसानों की सिंचाई व्यवस्था ठप
बैतूल। जिले की पारसडोह मध्यम उदवहन सिंचाई परियोजना में धांधली का आरोप लगाते हुए मंगलवार को प्रभातपट्टन क्षेत्र के ग्रामीणों ने जिला पंचायत सदस्य उर्मिला गव्हाड़े, पूर्व भाजपा युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष भवानी गावंडे किसान नेता मकरध्वज सूर्यवंशी
के नेतृत्व में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में पारसडोह जलाशय की सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली योजना के अधूरे कार्यों को लेकर चिंता व्यक्त की गई है और ठेकेदार की एनओसी जारी न करने की मांग की गई है।
ग्रामीणों का आरोप है कि इस परियोजना का निर्माण 6 साल पहले हुआ था, लेकिन पिछले 5 वर्षों से पानी तो संग्रहित किया जा रहा है, परंतु 42 गांवों के 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में प्रस्तावित सिंचाई योजना अधूरी और अव्यवस्थित साबित हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि विभाग और ठेकेदार की लापरवाही के कारण इन गांवों के किसानों को आज तक पूरी तरह से सिंचाई की सुविधा नहीं मिली है।
ठेकेदार द्वारा झूठे आंकड़े पेश कर विभाग से सिंचाई की प्राप्ति का दावा किया गया, जिसके आधार पर किसानों को झूठे सिंचाई बिल भेजे गए। इस झूठे प्रकरण से किसानों में भारी आक्रोश व्याप्त है। परियोजना से किसी भी ग्राम में पूरी क्षमता से पानी नहीं पहुंचाया जा सका है। पंप तो चालू होते हैं, लेकिन पानी खेतों में पहुंचने के बजाय नदी-नालों में बहा दिया जाता है। अत्यधिक दबाव के कारण कई किसानों की पाइपलाइनें फट गईं, जिससे उनकी फसलें बर्बाद हो गईं। किसानों का कहना है कि इस योजना से उन्हें कोई लाभ नहीं मिला, बल्कि यह योजना घाटे का सौदा साबित हो रही है। हर साल सरकार पर लगभग 4 करोड़ रुपये का बिजली बिल का बोझ पड़ता है, जिससे यह परियोजना बंद होने की कगार पर पहुंच गई है। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि इस योजना की समीक्षा कर अव्यवस्थाओं को दूर नहीं किया गया तो 42 गांवों के 20 हजार किसान आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। उर्मिला गव्हाड़े ने ज्ञापन में उल्लेख किया है कि जलाशय में भरपूर पानी होते हुए भी सिंचाई का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है। पाइपलाइनों के सही तरीके से न बिछाए जाने के कारण वे खेतों में टूट-फूट जाती हैं, जिससे पूरी सिंचाई व्यवस्था बिगड़ जाती है।
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत नहीं दी जा रही जानकारी
कृषक मकरध्वज सूर्यवंशी ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6 (1) के तहत जानकारी मांगी थी, लेकिन उन्हें केवल 5 बिन्दुओं की ही जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि विभागीय अधिकारी उन्हें पिछले 6 महीनों से परेशान कर रहे हैं और अब तक सभी बिन्दुओं की जानकारी नहीं दी गई है।
सूर्यवंशी ने कहा कि अगर उन्हें पूरी जानकारी नहीं दी गई तो वे अपीलीय न्यायालय में अपील भी प्रस्तुत नहीं कर पाएंगे। उन्होंने कलेक्टर से मांग की कि उनके आवेदन पर त्वरित कार्यवाही करते हुए उन्हें शेष 11 बिन्दुओं की जानकारी दी जाए ताकि वे अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें। इस ज्ञापन में किसानों ने पारसडोह सिंचाई परियोजना के अधूरे कार्यों को पूरा किए बिना योजना को शासन को सौंपने से रोकने और ठेकेदार को एनओसी न दिए जाने की मांग की है। किसानों का कहना है कि अगर यह योजना पूरी नहीं हुई तो वे न्याय के लिए मजबूरन आंदोलन करेंगे। ज्ञापन सौंपने वालों में पूर्व भाजपा युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष भवानी गावंडे, किसान नेता मकरध्वज सूर्यवंशी, गुलाब देशमुख, चिंताराम हारोड़े, अलख निरंजन बरोदे एवं अन्य किसान उपस्थित थे।

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