रामपुर भतोड़ी में 3 लाख सागौन पेड़ उजाड़े, 400 एकड़ पर अतिक्रमण चुनाहजूरी रेंज में 250 हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जा, 72 लाख का घोटाला
By,वामन पोटे
रामपुर भतोड़ी में 3 लाख सागौन पेड़ उजाड़े, 400 एकड़ पर अतिक्रमण
चुनाहजूरी रेंज में 250 हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जा, 72 लाख का घोटाला
वन विभाग की मिलीभगत का आरोप, भाजपा युवा मोर्चा जिला उपाध्यक्ष ने की शिकायत
बैतूल।।वन विकास निगम की रामपुर भतोड़ी परियोजना में बड़े पैमाने पर वन विभाग की मिलीभगत से जंगल की बर्बादी का मामला सामने आया है। भाजपा युवा मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष दिनेश यादव ने प्रबंधक मुख्य वन संरक्षक, वन बल प्रमुख भोपाल को आवेदन देकर इस घोटाले की शिकायत की है। यादव ने बताया कि रामपुर भतोड़ी परियोजना राम भरोसे चल रही है, और 3 लाख से अधिक सागौन के पेड़ों को उजाड़ कर 400 एकड़ वन भूमि पर अतिक्रमण कारियों ने खेती शुरू कर दी है। उन्होंने वन विभाग पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
दिनेश यादव ने अपनी शिकायत में बताया कि चुनाहजूरी रेंज के कक्ष क्रमांक 221 और 219 में 2018-19 में प्लांटेशन हुआ था, लेकिन आज वहां 250 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण कारियों ने खेती कर ली है। इसी रेंज में स्थित आंवरिया और काजली वन सुरक्षा समिति के खातों में प्राप्त 72 लाख रुपये का घोटाला भी सामने आया है, जिसमें यह राशि विकास खाते में ट्रांसफर कर दी गई। वन सुरक्षा के नाम पर वाहनों के फर्जी बिल बनाकर भुगतान लिया गया है।
पूंजी रेंज में 50 हजार पौधों की बर्बादी, चोपना रेंज में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण
यादव ने पूंजी रेंज के कक्ष क्रमांक 471 लखीपुर बीट में हुए पौधारोपण में भी भारी अनियमितताओं की जानकारी दी। अतिक्रमणकारियों के विरोध के चलते यहां 50 हजार रूट शूट लगाये नहीं जा सके और वे सूख गए। इसके अलावा, चोपना रेंज के डगडगा में कक्ष क्रमांक 310 और 311 में भी बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हो गया है, जबकि मार्च में इसकी शिकायत भी की गई थी। दिनेश यादव ने बताया कि उन्होंने अपनी शिकायत की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री मोहन यादव, मध्य प्रदेश के वन मंत्री राम निवास रावत और भारत सरकार के वन मंत्री भूपेंद्र यादव को भी भेजी है। उन्होंने बताया कि जल्द ही एक डेलीगेशन इन मंत्रियों से मुलाकात कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेगा। यादव ने वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से अतिक्रमणकारी वन भूमि पर खेती कर रहे हैं और इसके बदले में विभाग को भी मुनाफा हो रहा है।