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भैसदेही ब्लाक की तीन पंचायतों में 4 करोड़ खर्च , फिर भी ग्रामीण प्यासे आदिवासी ग्रामो के अलावा सामान्य ग्रामो मे भी नलजल  योजना के हालात खराब, कमिश्नर, कलेक्टर की गम्भीरता भी हाशिये पर

By,वामन पोटे

भैसदेही ब्लाक की तीन पंचायतों में 4 करोड़ खर्च , फिर भी ग्रामीण प्यासे

आदिवासी ग्रामो के अलावा सामान्य ग्रामो मे भी नलजल  योजना के हालात खराब, कमिश्नर, कलेक्टर की गम्भीरता भी हाशिये पर

बैतूल।। जिले के सभी दस ब्लाकों में नलजल योजना के हालात लगभग एक जैसे हैं। आदिवासी ब्लाक भीमपुर के बाद इससे सटे भैसदेही ब्लाक में भी नलजल योजना पर करोड़ो रुपये खर्च हो चुके हैं लेकिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का हर घर तक शुद्धपेय जल पहुंचाने का संकल्प वित्तीय अनियमितता की भेंट किस तरह चढ़ा दिया गया इसका उदाहरण बैतूल जिले में आसानी से देखने को मिल जाएगा। हालातों पर नजर डालें तो सामान्य ब्लाक के ग्रामीण भी पानी के लिए तरस रहे हैं।टँकी कबाड़ बन रही है तो, पाइप लाइन लोगों के घरों पर लटकी हुई हैं। दिखाने के लिए बिजली के ट्रांसफार्मर लगा तो दिये लेकिन इन्हें अब तक चालू तक नहीं किया जा सका है। योजना को लेकर कमिश्नर ,कलेक्टर लगातार दौरे कर रहे हैं लेकिन जमीनी स्तर पर खराब हालात सुधर पाएंगे या दोषियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर उन्हें जेल की हवा खिलवाई जाएगी ये सब भविष्य के गर्भ में समाया हुआ है।

3 पंचायतों में 4 करोड़ खर्च करने के बावजूद हालात खराब
भैसदेही ब्लाक की बोरगांव, बासनेर खुर्द और झल्लार ग्राम पंचायतों में वर्ष 2022 से अभी तक नलजल योजना में करीब 4 करोड़ रुपए खर्च किये जा चुके हैं। 326परिवारों कि बस्ती बोरगांव में संपवेल बनाने के साथ साथ ट्रांसफार्मर भी लगाया गया है लेकिन विडम्बना ये है कि यह ट्रांसफार्मर अभी तक चालु नहीं किया जा सका है। ठेकेदार ने सीमेंट के वाल्व चेम्बर तक नहीँ बनाये और वाल्व में सीधा पाइप जोड़कर उसे छोड़ दिया है। बासनेर खुर्द ग्राम पंचायत में भी कुछ इसी तरह नलजल योजना को पूरी तरह धराशाई कर दिया गया। लोगों के घरों पर लटके पाइप इस कि गवाही खुद दे रहे हैं कि ग्रामीणो को पीने का शुद्ध पानी मिल पा रहा है या नहीं। लोग आज भी पानी के उन्ही जलस्रोतों पर निर्भर हैं जहाँ से उन्हें दूषित पानी मिल रहा है।

पुरानी योजना को नई बताकर लाखों के कर लिए वारे न्यारे

इस योजना में कितने बड़े स्तर   भरस्टाचार  किया गया है। स्टेट हाइवे से सटी ग्राम पंचायत झल्लार में तो हद ही पार कर दी गयी। ग्रामीणों ने इसका खुलासा करते हुए बताया की ग्राम पंचायत में लगभग 10 वर्ष पूर्व पात्रा योजना के तहत पानी सप्लाई के लिए काम किया गया था। इसके बाद वर्ष 2022 में जब नलजल योजना का काम शुरू किया गया तो ठेकेदार ने पात्रा योजना के तहत बिछाई गई पाइप लाइन सहित कुछ कार्यों को नया काम बता दिया। और अधीकारियों ने भी आंख बंद कर इस पर यकीन कर लिया और लाखों रुपए का भुगतान ठेकेदार को कर दिया। जबकि नलजल योजना में ठेकेदार को पूरा काम नए सिरे से करना था। बड़ी ग्राम पंचायत होने से यहां करीब दो लाख लीटर पानी की टँकी बना दी गयी  ग्रामीनो के घरों तक पाइप लाइन बिछा कर छोड़ दी गयी। लेकिन टँकी से कनेक्शन ही नहीं जोड़े गए और आज भी योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी है।

कमिश्नर, कलेक्टर के निर्देशों की अनदेखी

सरकारी योजना का शत प्रतिशत लाभ ग्रामीणों को मिल सके इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कुछ ही दिनों पहले  सभी कमिश्नरों और कलेक्टरों को निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद कमिश्नर और कलेक्टर ने भीमपुर, भैसदेही ब्लाक का निरीक्षण भी किया था। लेकिन इन दोनों ही ब्लाकों में पीएचई अधीकारियों की नामौजूदगी इस बात का सबूत है कि केन्द्र सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना को लेकर अधिकारी कतई गम्भीर नहीं हैं।बताया जा रहा है कि जिले में नलजल योजना में की गई भारी वित्तीय अनियमितताओं को लेकर अब कुछ जागरूक नागरिक मय सबूत सीधे प्रधान मंत्री कार्यालय में शिकायत करने का पूरा मन बना चुके हैं। जिसमे मांग की जाएगी कि केंद्र सरकार की इस योजना में कई गयी वित्तीय अनियमितताओं की जांच अब सीधे केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से कराई जाए ताकि करोड़ो अरबों रुपयों का भ्रष्ट्राचार करने वाले अधीकारियों और ठेकेदारों को उनकी करनी की सजा मिल सके।

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