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बांस की उन्नत खेती से होगी लाखों की कमाई, सरकार करती है मदद

By, बैतूल वार्ता

बांस की उन्नत खेती से होगी लाखों की कमाई, सरकार करती है मदद

बांस की खेती:आज के समय में किसान भाई नई तरह की की खेती करना पसंद कर रहे हैं खेती के क्षेत्र में नई नई तकनीक का उपयोग करके अच्छी पैदावार ले रहे हैं।वैसे आप भी कुछ नए तरीके से खेती कर सकते हैं. ऐसे में आपके लिए बांस की खेती करना अच्छा आइडिया हो सकता है. इस खेती में आपको थोड़ा टाइम तो देना होगा, लेकिन इसके बाद इससे अच्छे पैसे कमा सकते हैं. इसकी खास बात ये भी है कि अब बांस की खेती करने के नियम भी पहले से काफी आसान हो गए हैं, ऐसे में आप इसका फायदा उठा सकते हैं. भारत में बांस की मांग लगातार बढ़ रही है। यही वजह है कि सरकार भी अब किसानों को देश में बांस उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। बांस की खेती के लिए कई राज्य सरकारें किसानों को सब्सिडी दे रही हैं। तो अगर आप भी खेती को अपना पेशा बनाना चाहते हैं तो बांस की खेती कर सकते हैं। बांस की खेती की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे बंजर जमीन पर भी किया जा सकता है। साथ ही इसमें पानी की कम आवश्यकता होती है। एक बार लगाने के बाद बांस के पौधे से 50 साल तक उत्पादन लिया जा सकता है। बांस की खेती में ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं होती है। इन सब कारणों से किसानों का रुझान भी बांस की खेती की ओर बढ़ा है।

बांस की खेती करने का तरीका

बांस की खेती के लिए महत्वपूर्ण बात यह है कि बांस की खेती कश्मीर की घाटियों को छोड़कर कहीं पर भी की जा सकती है,भारत का पूर्वी भाग आज बांस का सबसे बड़ा उत्पादक है। एक हेक्टेयर भूमि पर बांस के 1500 पौधे रोपे जाते हैं। पौधे से पौधे की दूरी 2.5 मीटर तथा लाइन से लाइन की दूरी 3 मीटर रखी जाती है। बांस की खेती के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए।

भारत में बांस की कुल 136 किस्में हैं। इन प्रजातियों में सबसे लोकप्रिय बम्बुसा ऑरैंडिनेसी, बम्बुसा पॉलीमोर्फा, किमोनोबम्बुसा फाल्काटा, डेंड्रोकलामस स्ट्रीक्स, डेंड्रोकलामस हैमिल्टनी और मेलोकाना बेकिफेरा हैं। बांस के पौधे की रोपाई के लिए जुलाई सबसे उपयुक्त महीना है। बांस का पौधा 3 से 4 साल में कटाई योग्य हो जाता है।

जाने बांस की खेती से कितनी होती है कमाई

हम आपको बता दे की बांस की पहली कटाई रोपाई के चार दिनों के बाद की जाती है। एक अनुमान के मुताबिक बांस की खेती से 4 साल में एक हेक्टेयर में 40 लाख रुपये की कमाई हो जाती है. इसके अलावा बांस की कतारों के बीच खाली पड़ी जमीन पर अन्य फसलें लगाकर किसान बांस की खेती पर होने वाले खर्च की आसानी से वसूली कर सकते हैं। बांस की प्रूनिंग और प्रूनिंग भी साल में दो से तीन बार करनी पड़ती है। कटाई के समय निकलने वाली छोटी टहनियों को हरे चारे के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

सरकार करती है मदद

हम आपको बता दे की राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत अगर बांस की खेती में अधिक खर्च हो रहा है तो केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को आर्थिक राहत देंगी. बांस की खेती के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि की बात करें तो लागत का 50 प्रतिशत किसानों और 50 प्रतिशत सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।मध्यप्रदेश सरकार प्रति बांस के पौधे पर किसान को 120 रुपये की सहायता प्रदान कर रही है। यह राशि तीन साल में किस्तों में मिलती है। आप राष्ट्रीय बांस मिशन की आधिकारिक वेबसाइट nbm.nic.in पर जाकर सब्सिडी के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत हर जिले में एक नोडल अधिकारी बनाया गया है। योजना से संबंधित अधिक जानकारी आप अपने नोडल अधिकारी से भी प्राप्त कर सकते हैं।

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